शक्ति की देवी मां दुर्गा की आराधना के बाद कन्या पूजन की परंपरा है। वैसे तो नवरात्र के किसी भी दिन कन्या पूजन कर सकते हैं, लेकिन आम तौर पर नवमी के दिन व्रती कन्या पूजन और कन्या भोज का संकल्प लेते हैं और इसके साथ ही नवरात्रे का समापन हो जाता है। हालांकि इसके कुछ नियम भी हैं, जिनका व्रती को पालन करना चाहिए। इससे माता प्रसन्न होती हैं। इसके बारे में विस्तृत जानकारी के लिए आप हमारे विद्वान ज्योतिषियों से भी संपर्क कर सकते हैं।
माता दुर्गा की कृपा के लिए ऐसे बनाएं प्रसाद
नवरात्रि में कन्या पूजन के इन नियमों को क्या आप जानते हैं
कन्या में मां आदि शक्ति का वास होता है और माता हवन, जाप और दान से जितनी प्रसन्न नहीं होतीं, उतनी कन्या पूजन से प्रसन्न होती हैं।
- नवरात्रि में पूजा के बाद 9 कन्या और एक बालक का पूजन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- अगर ऐसा संभव न हो तो कम से कम दो कन्याओं को भोजन जरुर कराना चाहिए
- कन्या पूजन के दौरान कन्या और बालक के पैर धोएं और अपने हाथों से साफ करें।
- ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र 2 से 10 साल के बीच होनी चाहिए।
- आदिशक्ति की सुरक्षा के लिए भगवान शिव ने एक-एक भैरव को रखा है, इसलिए इनकी पूजा भी जरुरी मानी जाती है, क्योंकि शक्ति पीठ के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन किए बिना मां का दर्शन भी अधूरी मानी जाती है।
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नवरात्र का है महात्म्य
नवरात्रि में माता के नौ रुपों की पूजा की जाती है। इस दौरान व्रती माता की आराधना, आरती और जागरण आदि करते हैं। नवरात्र में कन्या पूजन से माता प्रसन्न होती है। ऐसे में अगर आप कन्या पूजन के कुछ नियमों का पालन करते हैं तो माता की कृपा बरसेगी। इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं।