sun eclipse हमें कैसे प्रभावित करते हैं? एक पूर्ण मार्गदर्शन
इंसानों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव (Impact Of Solar Eclipses On Humans)
ग्रहण के बारे में सामान्य तौर पर माना जाता है कि इनका संबंध शुरुआत और अंत से होता है। आंतरिक और बाहरी रूप से ये जुड़े हुए होते हैं। ग्रहण लगातार हो रहे किसी अनोखे बदलाव को दिखाता है या फिर एक बड़े ही महत्वपूर्ण अवसर को दर्शाता है। साथ ही इससे यह उम्मीद की जाती है कि इसकी वजह से कुछ सकारात्मक चीजें घटने के लिए प्रेरित होंगी।
वैसे, कुछ पुराने मौकों को देखा जाए तो बहुत से ऐसे समूह हैं, जो ग्रहण को बहुत ही भयानक मानते हैं। उन्हें लगता है कि यह एक भयानक संकेत लेकर आया है। यह संघर्ष का संकेत दे रहा है। भुखमरी का संकेत दे रहा है। इसी तरह की कई अन्य अप्रिय घटनाओं या आपदाओं को यह प्रेरित कर रहा है। वहीं, यदि वर्तमान की बात करें तो आज खगोलीय भविष्यवक्ता ग्रहण को किसी भयानक रूप में न देख कर इसे उन्नति के अवसर के रूप में देख रहे हैं। आकाश में घटने वाले इस महत्वपूर्ण छायांकन को लेकर कौतूहल की स्थिति हमेशा बनी रहती है। विशेषकर किसी भी व्यक्ति या फिर देश की कुंडली में इसका विशेष स्थान होता है।
सूर्य ग्रहण और उनके प्रभाव की अवधि (The Solar Eclipse and The Duration Of Their Influence)
किसी भी वर्ष में ग्रहण चार से लेकर कई बार लगता है। कई लोग ग्रहण लगने के दौरान खुद को बड़ा ही बेचैन महसूस करते हैं। आमतौर पर ग्रहण से सात दिन पहले या फिर सात दिन बाद ऊर्जा की जीत होती है। लंबे समय तक इसका प्रभाव रह सकता है। ग्रहण से तीन महीने पहले तक इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है, तो वहीं ग्रहण लगने के बाद भी तीन वर्षों तक इसका प्रभाव रह सकता है।
ज्योतिषियों की ओर से यह सलाह दी जाती है कि यदि ग्रहण लग रहा है, तो उसके तीन दिन पहले या फिर उसके तीन दिन बाद तक कोई भी नया काम शुरू करने से लोगों को बचना चाहिए।
हमारे ज्योतिषी आपको हमारी जन्मपत्री रिपोर्ट के साथ धन, आपके कल्याण और समृद्धि से संबंधित कई तरह की सलाह आपको दे सकते हैं, जिससे कि सबसे उत्तम तरीके से जिंदगी जीने में आपको मदद मिल सकती है।
राशियों को अलग तरीके से प्रभावित करते हैं ग्रहण (Eclipses Affect The Zodiac Signs Differently)
राशि चक्र के बीच जो अंतर मौजूद होता है, उसमें ग्रहण और उसके ग्रहों का नियंत्रण रहता है। इसके ऊपर भी पर्यवेक्षक की तरह जो सितारे अपनी नजरें बनाए रखते हैं, वे भी ग्रहण के प्रभाव से सरोकार रखते हैं। वैसी राशियां जो समुद्र के साथ पहचानी जाती हैं, इसमें ग्रहण का प्रभाव जल में रहने वाले जानवरों पर पड़ता है। यह प्रसव को भी प्रभावित करता है। वहीं, यदि बात लोगों से जुड़ी राशि वालों की करें तो पुरुषों से संबंधित मुद्दों पर इसका प्रभाव पड़ता है। नीतियों से संचालित होने वाले मुद्दों को भी यह प्रभावित करता है। इसके अलावा जीवों की राशियों की बात करें, तो ग्रहण का प्रभाव बैल समान प्रवृत्ति वालों और निर्दयी मनुष्यों पर पड़ता है। वहीं, पृथ्वी से जुड़ी राशि वालों की बात करें, तो फसलों और धरती को यह प्रभावित करता है।
अग्नि राशियों, जिनमें मेष, सिंह और धनु राशियां शामिल हैं, इनके लिए ग्रहण यह दर्शाता है कि संघर्ष या युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। किसी तरह का उपद्रव हो सकता है। प्रियजनों का निधन हो सकता है। उसी तरह से पृथ्वी वाली राशियों जैसे कि मकर, वृषभ और कन्या के लिए यह बागवानी से संबंधित मुद्दों के उभरने की ओर इशारा करता है। अब इसकी तुलना में वायु राशियों यानी कि मिथुन, तुला और कुंभ से करें तो इन्हें लेकर ग्रहण दर्शाता है कि इनकी जिंदगी में अशांति आ सकती है। बीमारी और भुखमरी की ओर भी इसका इशारा होता है। इन सबके अलावा जल चिह्न वाली राशियों कर्क, वृश्चिक और मीन के लोगों के लिए ग्रहण इशारा करता है कि समुद्र से संबंधित खतरों, बाढ़, युद्ध और ऊंचे मृत्यु दर आदि के ये शिकार हो सकते हैं।
मानव जीवन पर ग्रहण का असर (Influence Of Eclipse On Human Life)
किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहण की क्या स्थिति है, एक ज्योतिषी इसके बारे में पता लगा सकते हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत रूप से सूर्य से संचालित होने वाले या फिर चंद्र ग्रहण के प्रभाव का भी अनुमान लगा सकते हैं। इतना ही नहीं, व्यक्ति ग्रहण के सकारात्मक परिणामों को अपने पक्ष में किस तरह से भुना सकता है, इसका भी इंतजाम ज्योतिषी कर सकते हैं।
जब सूर्य ग्रहण लगता है, तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। उसी तरह से जब चंद्र ग्रहण लगता है, तो पृथ्वी चंद्रमा को ढक लेती है। इस तरह से पूर्णिमा के बारे में और भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। साथ ही यह भी पता चलता है कि हर महीने का जुड़ाव इससे किस तरीके से है।
आश्चर्यजनक शुरुआत को दर्शाते हैं सूर्य ग्रहण और इसके प्रभाव (Solar Eclipse And Its Effects Signify Surprise Beginnings)
सूर्य ग्रहण जब लगता है, तो यह एक शुरुआत का संकेत देता है। एक चमत्कार के रूप में हम इसे देख सकते हैं। आम तौर पर देखा जाए तो अपने सामान्य परिवेश में अवसरों के रूप में हम इन्हें पहचानते हैं। जिन चीजों की शुरुआत सूर्यग्रहण और अगले पूर्णिमा के बीच होती है, चाहे वह किसी चीज का चुनाव करना हो, कोई नया काम शुरू करना हो, बीज बोना हो या फिर किसी तरह का संपर्क स्थापित करना हो, अगले आधे वर्ष के लिए इन चीजों पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।
उसी तरह से चंद्रग्रहण अंदरूनी बदलावों के बारे में बताता है। यह हमारे और अन्य लोगों के बारे में कई तरह के खुलासे करता है। ये ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें हम जाने देते हैं। जिनके बारे में हम निर्णय लेते हैं। जिन चीजों के लिए हम दरवाजे बंद कर देते हैं। ये सारी चीजें बड़ा महत्व रखती हैं। इस तरह से यह कहा जा सकता है कि हमारे जीवन के अलग-अलग हिस्सों जैसे कि हमारे काम या फिर हमारे व्यवसाय आदि पर यह मजबूती से अपना प्रभाव डाल सकता है।
दुनिया पर ग्रहणों का प्रभाव (Impact Of Eclipses On The World)
ग्रहण के बारे में सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि ग्रहण एक तरह का ऐसा संकेत है, जो दुनिया भर में अलग-अलग चीजों को दर्शाता है। जब कोई ग्रहण लगता है तो सूर्य या फिर चंद्रमा से एक छाया गुजरती है। इसके अंतर्गत आने वाले सभी देशों, उनके शासकों और दुनिया भर के सरकार से जुड़े मुद्दों पर भी व्यापक रूप से यह अपना असर डालता है।
इसके अतिरिक्त हम जब लोगों की बात करते हैं, तो उनकी जिंदगी पर भी ग्रहण असर डालता है। आधे वर्ष तक इसका प्रभाव बना रहता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में किसी ग्रह की डिग्री के आसपास ही यदि ग्रहण लगता है, तो ऐसे में उस बिंदु पर उस ग्रह पर यह अपना असर डाल सकता है। इसकी वजह से व्यक्ति की कुंडली में भी सारी चीजें प्रभावित होने लगती हैं।
उसी तरीके से जब किसी व्यक्ति के जन्म के सूर्य, चंद्रमा या फिर लग्न के स्वामी पर इसका प्रभाव पड़ता है, तो ऐसे में उस व्यक्ति की जिंदगी भी गंभीर रूप से प्रभावित होने लगती है। यदि आप साढ़े साती की अवधि से गुजर रहे हैं, तो इस बात की बड़ी आशंका है कि आपकी रोजाना की जिंदगी में कई तरह के आपको हिला देने वाले प्रभाव आप पर पड़ सकते हैं। कहने का मतलब है कि इससे आपको परेशानियां हो सकती हैं। धन का नुकसान हो सकता है। व्यवसाय में दिक्कतें आ सकती हैं। लोगों से संपर्क पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
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ग्रहण के प्रकार जो आपको जरूर जानने चाहिए (Kinds Of Eclipses You Must Know)
ग्रहण कई तरह की संरचनाओं के रूप में दिख सकते हैं। विशेष तौर पर ये सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, वलयाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण के रूप में सामने आते हैं। यहां हम आपको अलग-अलग तरह के ग्रहणों के बारे में बता रहे हैं।
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण, क्या है दोनों में अंतर? (Solar Eclipse and Lunar Eclipse, What Is The Difference?)
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण, इन दोनों में ही पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य शामिल हैं। इन तीनों पिंडों को जब रखा जाता है, तो ग्रहण के प्रकार का निर्धारण होता है। सूर्य ग्रहण एक ऐसा बिंदु होता है, जिस पर कि चंद्रमा पृथ्वी से दिखने वाले सूर्य की तरह नजर आने लगता है। सूर्य के प्रकाश को यह बाधित कर देता है। चंद्र ग्रहण उस वक्त लगता है, जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया के आगोश में चला जाता है।
यहां ग्रहणों के प्रकार विस्तार से बताए गए हैं, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए।
सूर्य ग्रहण: आधा सूर्य ग्रहण (Solar Eclipses: Halfway Solar Eclipses)
इस प्रकार का ग्रहण उस वक्त लगता है, जब पूरी तरीके से यह सूर्य के द्वारा ही संचालित होता है। इस दौरान सूर्य पूरी तरीके से न ढका होकर आधा ही ढका हुआ होता है। जिस बिंदु से ग्रहण लगता है, उसके आधे आकार में ही इसका विस्तार होता है। सामान्य तौर पर पृथ्वी पर मौजूद बहुत सी जगहों से यह ग्रहण देखने को मिल जाता है। नियमित रूप से देखे जाने वाले सूर्य ग्रहण में से यह एक है।
सूर्य ग्रहण: वलयाकार सूर्य ग्रहण (Solar Eclipses: Annular Solar Eclipse)
अर्ध सूर्य ग्रहण तो ज्यादातर देखने के लिए मिल जाते हैं, मगर एक वलयाकार सूर्य ग्रहण इतनी आसानी से नहीं दिखता। आधे सूर्य ग्रहण को धरती पर कई जगहों से बहुत से लोग आसानी से देख पाते हैं, लेकिन वलयाकार सूर्यग्रहण पृथ्वी पर बहुत ही कम जगहों पर देखा जाता है। आखिर चंद्रमा के घुमावदार वृत्त के नीचे ‘आकाश में वलय’ होने के क्या कारण हो सकते हैं।
ऐसा उस वक्त होता है, जब अलग-अलग अवसरों की तुलना में अमावस्या पृथ्वी से काफी दूर पर मौजूद होता है। जिस बिंदु पर इसकी दूरी सबसे अधिक होती है, उसे ‘अपोजी कहते’ हैं। यदि इस समय के आसपास सूर्य का पूर्ण ग्रहण लगता है, तो ऐसे में एक वलयाकार सूर्यग्रहण देखने के लिए मिलता है। वह इसलिए कि सूर्य की तुलना में चंद्रमा कुछ ज्यादा ही मामूली नजर आता है।
सूर्य ग्रहण: पूर्ण सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse: Complete Solar Eclipse)
ऐसा होने के लिए चंद्रमा का एक नए चरण में होना जरूरी होता है। इसके अलावा यह पृथ्वी के चारों ओर की परिधि में अपोजी के नजदीक भी नहीं होना चाहिए। बिल्कुल वलयाकार सूर्य ग्रहण के समान ही दुनिया भर में वास्तव में बहुत ही कम लोग इस ग्रहण के साक्षी बन पाते हैं। यह वह जगह होती है, जिसका विस्तार पृथ्वी पर पश्चिम से पूर्व तक होता है। पृथ्वी का अधिकांश हिस्सा ‘संपूर्णता वाले मार्ग’ से बाहर स्थित होता है। फिर भी पृथ्वी पर बड़ी संख्या में लोग इस कमाल की खगोलीय घटना को देखना चाहते हैं, क्योंकि यह वास्तव में अद्भुत होता है।
चंद्र ग्रहण: उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipses: Penumbral Lunar Eclipse)
उपच्छाया चंद्र ग्रहण वास्तव में अगोचर होते हैं। इनका तो निर्धारण करना भी कई बार बहुत ही मुश्किल हो जाता है। यह बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि कितनी गहराई तक ये अस्पष्ट हैं। जब ये स्पष्ट नहीं होते हैं, तो उस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की बाहरी छाया से बस स्पर्श ही हो पाता है। जाहिर सी बात है कि ऐसे में आंशिक या पूर्ण चंद्र के कुछ प्रमुख चरण ही देखे जा सकते हैं। फिर भी बार-बार जो चंद्रमा ढक जाता है, वह कभी-कभी उपच्छाया चंद्र ग्रहण के रूप में नजर आ सकता है। पूर्ण चंद्रमा की ओर का एक बहुत ही मामूली ग्रहण देखने के लिए मिल पाता है। उस बिंदु पर पूर्णिमा के फिर से काबिज होने के लिए सबसे पहले धीरे-धीरे चंद्रमा के किनारे के आसपास के हिस्से को यह फैलाना करता है।
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चंद्र ग्रहण: अर्ध चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipses: Halfway Lunar Eclipse)
अर्ध चंद्र ग्रहण तब नजर आता है, जब पूर्ण चंद्र ग्रहण विकसित हो रहा होता है या फिर जब चंद्रमा में धुंधलापन होता है। थोड़े वक्त के लिए यह अधूरा रह जाता है। इस वक्त चंद्रमा की स्थिति बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं होती है। बाद में पृथ्वी की छाया के एक हिस्से में यह नजर आने लगता है, जो कि गर्भ कहलाता है। हालांकि, पृथ्वी की छाया चंद्रमा को पूरी तरीके से ढक नहीं पाती है। यहां इन दो छायाओं को दर्शाया भी गया है।
सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक प्रभाव और ज्योतिष (Surya Grahan Scientific Effects And Astrology)
इतना ही नहीं, जिन तारों के समूह में ग्रहण लगता है, वह देशों और इन देशों में रहने वाले लोगों पर इसके पड़ने वाले प्रभावों के बारे में संकेत भी देता है। सामान्य तौर पर ग्रहण के बाद आधे वर्ष तक इसका प्रभाव बना हुआ रहता है। कहने का तात्पर्य है कि जहां पर ग्रहण लग रहा है, उस क्षेत्र पर इसका प्रभाव ज्यादा रहता है। इस तरीके से सितारों के समूह में जो ये ग्रहण लगते हैं और इसकी वजह से जो प्रतिकूल परिणाम सामने आ सकते हैं, उन पर लगाम कसने के लिए खगोलीय भविष्यवक्ताओं की तरफ से कई तरह के उपाय भी सुझाए गए हैं।
दुनिया के पूर्वी हिस्सों, विशेषकर भारत में जब ग्रहण लगता है तो इस दौरान बहुत से लोग कुछ खाते-पीते नहीं हैं। इतना ही नहीं, वे कई तरह के मंत्रों का भी जाप करते हैं, जिनका संबंध ग्रहण से होता है। वहीं, दुनिया के पश्चिमी हिस्से की बात की जाए तो यहां पर बड़ी संख्या में लोग ग्रहण के बारे में बातें करते हैं और जमकर अपने विचार सामने रखते हैं।
इस तरह से सदियों से जो ग्रहण लगते आए हैं, हमारे अस्तित्व में यह कई तरह के बदलाव का संकेत देते रहे हैं। इसलिए ध्यान रखें कि अगली बार जब कोई ग्रहण लग रहा हो, तो कठिनाइयों का सामना करने के लिए आप तैयार रहें और इस तरह के अवसरों को छीन लें। याद रखें कि एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुल जाता है।