Mauni Amavasya 2025 पर जानें व्रत कथा और इसके विशेष लाभ की पूजा कैसे करें ?
गंगा नदी को भारतीय परंपरा में सबसे पवित्र नदी माना गया है और माघ अमावस्या (magh amavasya) के पवित्र दिन के अवसर पर गंगाजल को अमृतमय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था, इसीलिए इसे मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) के नाम से जाना जाता है। इस दिन मौन व्रत रखने से वाक् सिद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इस दिन जप-तप करने को बहुत ही शुभ दिवस माना गया है, वहीं कुछ विशेष काम करने की मनाही भी है। उत्तर भारतीय कैलेण्डर के अनुसार, मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या (magh amavasya or mauni amavasya) माघ माह के मध्य में आती है, इसलिए इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के दिन ही नहीं, बल्कि पूरे माघ माह में गंगा में डुबकी लगाने का संकल्प लेते हैं। प्रतिदिन गंगा स्नान का यह अनुष्ठान पौष पूर्णिमा से शुरु होकर माघ पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है।
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मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) का महत्व
माघ महीने की इस अमावस्या को गंगा स्नान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों में देवताओं का वास माना गया है। यही कारण है कि इस दिन प्रयागराज में मौजूद त्रिवेणी संगम में स्नान का महत्व बहुत बढ़ जाता है। कुंभ मेले के दौरान माघ अमावस्या (magh amavasya 2025) के दिन लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। साथ ही सोमवार के दिन पड़ने वाले शाही स्नान बेहद ही शुभ माने जाते हैं। इस दिन पूरे मन से भगवान शिव की रुद्राभिषेक पूजा करवाने से आपको दीर्घायु प्राप्त होती है।
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मौनी अमावस्या 2025 में कब हैं (mauni amavasya 2025 mein kab hai)
मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) | अमावस्या तिथि, दिन |
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मौनी अमावस्या 2025 तिथि | बुधवार, जनवरी 29, 2025 |
अमावस्या तिथि दिनांक | जनवरी 28, 2025 को 09:05 ए एम बजे |
अमावस्या तिथि समाप्त | जनवरी 29, 2025 को 07:35 ए एम बजे |
मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) व्रत कथा
मौनी अमावस्या 2025 या माघ अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025 or magh amavasya 2025) को लेकर कई कहानियां प्रचलित है, लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रचलित कथा है, उसके बारे में हम आपको बताते हैं।
बहुत समय पुरानी बात है, कांचीपुरी में देवस्वामी नाम का एक ब्राह्मण अपने बेटे और एक गुणवती बेटी के साथ रहता था। उनकी पत्नी का नाम धनवती थी। उसने अपने सभी बेटों का विवाह कर दिया था। अब उसकी एक ही पुत्री विवाह योग्य थी। जिसके लिए अच्छा वर तलाशने के लिए उसने अपने बड़े बेटे को नगर में भेजा। इधर ब्राह्मण ने जब एक ज्योतिष को अपनी बेटी की कुंडली दिखाई, तो ज्योतिष ने बताया कि विवाह के तुरंत बाद उसकी बेटी विधवा हो जाएगी। जब इस बात को ब्राह्मण ने सुना तो वह दुखी हो गया। इस समस्या के निवारण के लिए ज्योतिष ने ब्राह्मण को एक उपाय बताते हुए कहा कि सिंहलद्वीप में एक सोमा नामक की धोबिन रहती है। अगर वह घर आकर पूजा करे, तो उसकी बेटी की कुंडली से दोष दूर हो जाएगा।
देवस्वामी जब उस महिला को खोजने के लिए गया, तो उसे समुद्र पार करना था। लेकिन, उसे कोई उपाय नहीं मिल रहा था कि आखिर कैसे द्वीप पर जाया जाए। जब कोई उपाय नहीं मिला तो वह भूखा-प्यासा एक वट वृक्ष के नीचे आराम करने लगा। उसी पेड़ पर एक गिद्ध का परिवार रहता था। गिद्ध ने जब देवस्वामी से उसकी उदासी का कारण पूछा, तो देवस्वामी ने सारा वृतांत सुना दिया। इस पर गिद्ध ने उसे आश्वासन दिया कि उसकी समस्या का समाधान वह कर देगा। दूसरे दिन गिद्ध ने उसे सोमा के घर पहुंचा दिया।
देवस्वामी ने सोमा को पूजा के लिए अपने घर ले आया और पूजा विधि के बाद गुणवती का विवाह एक सुयोग्य वर से कर दिया। लेकिन, फिर भी उसके पति की मृत्यु हो गई। तब सोमा ने अपने पुण्य गुणवती को दान किए और इससे उसका पति भी जीवित हो गया। इसके बाद सोमा सिंहलद्वीपर पर वापस आ गई, लेकिन वह अपने सारे पुण्य कर्म गुणवती को दे आई थी, इस वजह से उसके बेटे, पति और दामाद का निधन हो गया। इससे दुखी होकर सोमा ने नदी किनारे पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की आराधना की। साथ ही पीपल की 108 बार प्रदक्षिणा की। इससे भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हो गए, और उसके बेटे, पति और दामाद को जीवित कर दिया। तभी से इस व्रत को किया जाने लगा।
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मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) की पूजा-विधि
- मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठना बहुत लाभदायक माना जाता है।
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यक्रिया के बाद गंगा स्नान करें। यदि आप गंगास्नान करने में असमर्थ हैं, तो शुद्ध पानी से स्नान कर लें। या फिर पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर उससे स्नान करें।
- इसके बाद श्री हरि विष्णु का ध्यान करें, और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा कर, तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें।
- पूजा के बाद दान अवश्य करें, साथ ही गरीबों को धन, भोजन अथवा वस्त्र दें।
- ध्यान रखें कि स्नान करने के बाद से ही आपको मौन धारण करना है।
- साथ ही आपको मन में ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।’ मंत्र का उच्चारण स्नान करने के दौरान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेने के बाद इस मंत्र का उच्चारण मन में कर सकते हैं।
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मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) के दिन क्यों रखा जाता है मौन व्रत?
मौन रहना मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) के दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन अगर आप मौन रहते हैं, तो आपका मन शांत रहता है। मन को शांत रखने के लिए ही माघ महीने की इस अमावस्या के दिन मौन रहा जाता है। ऐसा करने से मन शांत रहता है और बुरे ख्याल दूर रहते हैं। अगर आपको लगता है कि आप मौन रहने में असमर्थ हैं, तो आप इस दिन किसी को भी भला-बुरा न कहें, इस परिस्थिती में भी यह व्रत पूरा माना जाता है।
मौनी अमावस्या 2025 (mauni amavasya 2025) पर क्यों की जाती है पीपल की पूजा
मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीपल के वृक्ष की भी पूजा करें और उसकी परिक्रमा करें। ऐसा माना जाता है कि पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का वास होता है। पीपल की पूजा से सौभाग्य की वृद्धि होती है और घर धन-धान्य से भर जाता है।
निष्कर्ष
पौराणिक ग्रंथों में माना जाता है कि मौनी अमावस्या (mauni amavasya) के दिन मौन धारण करने से मनुष्य को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान-दान के साथ ही भगवान श्रीहरि विष्णु का ध्यान करने से भक्तों को लाभ होता है। वहीं, अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने से भी लोगों पर विशेष कृपा बनी रहती है।
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