रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती

रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती

रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के जन्मदिवस को रवीन्द्र जयंती के रूप में मनाया जाता है। एक तरह से यह पूरी दुनिया में टैगोर के अनुयायियों तथा उन्हें मानने वालों के लिए वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव के समान है। बंगाली कैलेंडर के अनुसार टैगोर का जन्म संवत 1268 (1861 ईस्वी – बोईशाख के 25 वें) में बंगाली माह बोईशाख के 25वें दिन हुआ था।

प्रत्येक वर्ष टैगोर को याद करने तथा उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न स्कूलों तथा संस्थाओं में कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कबिप्रणाम – गीत (रवीन्द्र संगीत), कविताएं, नृत्य और नाटक, टैगोर द्वारा लिखित और रचित नाटकों का आयोजन आदि। पूरे बंगाल में कॉलेज और विश्वविद्यालयों सहित विदेशों में बसे विभिन्न समूहों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर रविन्द्रनाथ टैगोर को याद किया जाता है। टैगोर की जयंती दुनिया भर में व्यापक रूप से मनाई जाती है, विशेष रूप से बंगाल के बीरभूम स्थित शांतिनिकेतन और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में, इन दोनों की नींव टैगोर ने छात्रों और समाज के सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षिक उत्थान के लिए रखी थी। वर्ष 2011 में भारत सरकार ने रवीन्द्रनाथ टैगोर के 150वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में एक पांच रुपये का सिक्का भी जारी किया था।


रवीन्द्रनाथ जयंती मनाने के तरीके (Ways To Observe Rabindranath Jayanti)

पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में रवीन्द्रनाथ जयंती वैभव और धूमधाम के साथ मनाई जाती है। कॉलेज, विश्वविद्यालयों और यहां तक विदेशी संस्थानों में भी विभिन्न समूहों द्वारा टैगोर के कार्यों को स्मरण कर सराहा जाता है। इन कार्यक्रमों में नृत्य (रवीन्द्र संगीत पर आधारित), नाटक, गीत और गायन आयोजित किए जाते हैं। इन गतिविधियों में विश्व भारती विश्वविद्यालय के विदेशी छात्र भी भाग लेते हैं। जोरासांको ठाकुर बारी, जहां रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ, में भी कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती के उपलक्ष्य पर अक्सर कॉलेजों और स्कूलों में आयोजित होने वाले के समारोहों में होनहार विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाता है। इस दिन बच्चों को कविता पढ़ते, गीत गाते हुए या रवीन्द्रनाथ के लेखन पर आधारित नाटक करते हुए देखा जा सकता है।

पारंपरिक उत्सवों के अलावा, अधिकांश बंगाली परिवार सुबह से शाम तक अपने घरों में रवीन्द्रनाथ के गीत गाकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।


रवीन्द्रनाथ जयंती मनाने के लिए आप क्या करेंगे? (What Would You Do To Celebrate Rabindranath Jayanti?)

पूरे राष्ट्र में रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्मदिन हर्ष और खुशी के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आप भी चाहें तो इन कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं।

उत्सव का हिस्सा बनने के लिए अपने क्षेत्र में आयोजित होने वाली रवीन्द्रनाथ जयंती की गतिविधियों को देखें और उनमें भाग लें।

यदि आप कहीं और रह रहे हैं, तो बंगाली संस्कृति से जुड़े लोगों की तलाश करें। बंगाली संस्कृति से जुड़े परिवार तथा समूह इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

यदि आप भारत में हैं, तो उत्सव मनाने के लिए कोलकाता या शांतिनिकेतन (कोलकाता से 165 किमी) जाने की योजना बना सकते हैं।

यदि आप कहीं बाहर नहीं जा सके, अथवा आपको कोई अन्य काम करना हो तो आप जहां भी हैं, वहीं पर रवीन्द्रनाथ के गीतों को सुनकर या बजाकर उनका आनंद ले सकते हैं।

इसलिए यथासंभव प्रयास कर 09 मई 2025 को किसी न किसी कार्यक्रम में भाग लें। यदि हो सके तो देश के सर्वश्रेष्ठ साहित्य-प्रेरित सांस्कृतिक उत्सवों में से एक में भाग लेने का प्रयास करें।


रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी (Rabindranath Tagore's Biography)

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कलकत्ता के एक धनी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह अपने परिवार के सबसे छोटे बच्चे थे। वह एक बहु-प्रतिभाशाली बालक थे और उनमें कुछ नया सीखने और ज्ञान अर्जित करने की तीव्र इच्छा थी। भारतीय साहित्य और संगीत में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

उनके जन्मदिन पर न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूरी दुनिया में लोग उनके भारतीय साहित्य और संगीत में उनके द्वारा दिए गए योगदान को याद करते हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर एक कवि, लेखक, संगीतकार और विजुअल आर्टिस्ट थे जो बंगाल में रहते थे। वर्ष 1913 में उन्हें भारतीय साहित्य में दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह इस सम्मान से सम्मानित होने वाले पहले एशियाई थे।

आज भी, बहुत से लोग उनके उपन्यास और लघु कथाएं पढ़ना पसंद करते हैं। उन्होंने राजनीतिक और व्यक्तिगत मुद्दों पर नृत्य नाटक, कविताएं और निबंध भी लिखे। हालांकि, घरे-बाइरे, गोरा और गीतांजलि उनकी कुछ बेहतरीन कृतियां हैं। साथ ही, वह अपने उत्कृष्ट लेखन कौशल और रचनात्मक सोच के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध थे।

टैगोर ने भारत में भाषाई क्रांति की शुरुआत की। उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना ‘जन गण मन’ है। इस गीत को भारत के राष्ट्रगान के रूप में चुना गया था। रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया साहित्य पवित्र भारतीय धर्मशास्त्रों तथा कविता का अद्भुत मेल हैं। उन्होंने अपने लेखन के लिए उपनिषदों और वेदों से प्रेरणा ली।

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रवीन्द्रनाथ टैगोर के काम को जानें (Sneak Peak On Rabindranath Tagore's Work)

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मात्र सोलह वर्ष की उम्र में नाटक लिखना शुरू कर दिया था। इस कार्य में उनके भाई ज्योतिरिन्द्रनाथ भी उनका साथ दिया करते थे। जब वे 20 वर्ष के थे, तब उन्होंने अपना पहला नाटक वाल्मीकि प्रतिभा लिखा। वर्ष 1890 में प्रकाशित हुआ नाटक विसर्जन उनके सर्वश्रेष्ठ नाटकों में से एक है। उनकी अन्य प्रसिद्ध कृतियों में चित्रांगदा, श्यामा, चंद्रिका और अन्य नाटक शामिल हैं।

शॉर्ट स्टोरीज

16 साल की उम्र में उन्होंने लघु कथाएं लिखना शुरू कर दिया था। वर्ष 1877 में उनकी पहली लघु कहानी प्रकाशित हुई थी। वर्ष 1891 और 1895 के बीच, उनकी कई कहानियां प्रकाशित हुईं। इन चार वर्षों की अवधि को रवीन्द्रनाथ टैगोर की “साधना” अवधि के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में काबुलीवाला, क्षुधिता पाशन, अतिथि और अन्य प्रसिद्ध लघु कथाएं का भी लेखन किया।

उपन्यास

निस्संदेह वह एक शानदार लेखक थे। उन्होंने आठ उपन्यास और चार शॉर्ट उपन्यास प्रकाशित किए। चार ओधाय, चतुरंगा, नौकाडुबी और शुशेर कोबिता टैगोर की कुछ सबसे प्रसिद्ध कृतियां हैं। उन्होंने घरे बाइरे में स्वदेशी आंदोलन के दौरान बढ़ते आतंकवाद को लेकर निंदा की है। लेकिन दूसरी ओर, गोरा भारतीय व्यक्तित्व से संबंधित विवादास्पद चिंताओं को उठाता है।


गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की लोकप्रिय रचनाएं (Popular Works Of Gurudev Rabindranath Tagore Jayanti)

चोखेर बाली (Chokher Bali)

टैगोर का बंगाली उपन्यास ‘चोखेर बाली’ या ‘ए ग्रेन ऑफ सैंड’ एक विवाहेतर संबंध की कहानी है। यह जुनून, इच्छाओं, रिश्तों, अवास्तविक सपनों और वास्तविकता की कहानी बताता है। इस उपन्यास में मानवीय संबंधों और चरित्र की जटिलताओं को बखूबी बताया गया है।

गोरा (Gora)

गोरा 1880 के दशक की पृष्ठभूमि में रचा गया एक विशाल, संपूर्ण और महत्वपूर्ण उपन्यास है। यह उपन्यास धर्म, लिंगभेद और नारीवाद सहित विभिन्न विषयों को छूता है, साथ ही साथ परंपरा और आधुनिकता के बीच छिड़े युद्ध को भी दर्शाता है।

घरे बाइरे (Ghare Baire)

वर्ष 1916 में प्रकाशित टैगोर का ‘घरे बाइरे’ एक उत्कृष्ट उपन्यास है। यह एक विवाहित महिला की कहानी है, जो अपने ही घर में फंसी हुई अपनी पहचान खोजने के लिए संघर्ष कर रही है।


रवीन्द्रनाथ टैगोर से जुड़े अज्ञात तथ्य (Rabindranath Tagore's Lesser-Known Truth)

रवीन्द्रनाथ टैगोर के मोहनदास करमचंद गांधी के साथ घनिष्ठ संबंध थे, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रवाद पर गांधी के विचारों से प्रेरित होकर टैगोर ने सम्मान के प्रतीक के रूप में उन्हें “महात्मा” की उपाधि दी थी।

उन्होंने भारत के राष्ट्रगान, ‘जन गण मन’, बांग्लादेश के राष्ट्रगान, ‘अमर सोनार बांग्ला’ और श्रीलंका के राष्ट्रगान, ‘नाम नामा श्रीलंका माता’ की रचना बंगाली में की थी।

सन 1930 में जर्मनी के कैपुथ में अल्बर्ट आइंस्टीन से उनके घर पर मिलने के बाद, रवीन्द्रनाथ टैगोर और आइंस्टीन की बातचीत को दुनिया भर में व्यापक रूप से प्रचारित किया गया था। दोनों नोबेल पुरस्कार विजेता एक दूसरे के प्रशंसक थे।