जानें कैसे राम नवमी 2025 पर सही पूजा विधि से पाएं भगवान श्रीराम आशीर्वाद!

जानें कैसे राम नवमी 2025 पर सही पूजा विधि से पाएं भगवान श्रीराम आशीर्वाद!

भारतवर्ष में कई त्योहार में मनाएं जाते हैं, जिनमें से कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जिनके जाने के बाद फिर अगले साल उनके आने का इंतजार होने लगता है। ऐसे त्योहारों में शामिल है रामनवमी (Ramnavmi)। देश विदेश में लोकप्रिय यह त्योहार का हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम के भक्त अपने प्रभु की आराधना करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आमतौर पर रामनवमी (ramnavmi) का यह त्योहार अप्रैल या मई महीने में आता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में इस त्योहार पर घरों को सजाया जाता है, भगवान राम की नगरी को एक सुंदर रूप दिया जाता है। साथ ही लोग विशेष अनुष्ठानों और समारोहों में भाग लेते हैं।

भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला यह उत्सव खुशी, उमंग और उत्साह से जुड़ा हुआ है। इस दिन भगवाम राम के अनन्य भक्त कई कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाने वाले भगवान राम के भक्त इस दिन अपने प्रभु की भक्ति में लीन होते हैं, वह मीठे व्यंजन बनाते हैं। साथ ही भगवान राम की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं में उल्लेखित है कि भगवान राम ने रावण का वध किया था, असत्य पर सत्य को जीत दिलाई थी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार रामनवमी (ramnavmi) का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में रामनवमी (ramnavmi) 06 अप्रैल को है, आइए जानते हैं इसके शुभ मुहूर्त के बारे में…

राम नवमी 2025 – रविवार, 6 अप्रैल 2025

मध्याह्न मुहूर्त – 11:11 से 13:38 तक
नवमी 2025 तिथि प्रारम्भ – 05 अप्रैल 2025 को 19:26
नवमी 2025 तिथि समाप्त – 06 अप्रैल 2025 को 19:22 बजे

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राम नवमी 2025 की मुख्य कथा

हिंदू पौराणिक कथाओं में इस बात पुष्टि की जाती है कि राम नवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण के रचयिता ऋषि वाल्मिकि ने भी रामायण में इसका जिक्र किया है। रामायण हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, जो कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित है।

रामायण के अनुसार अयोध्या नरेेश राजा दशरथ की तीन पत्नियां था। जिनके नाम कौशल्या, कैकेयी, और सुमित्रा थे। राजा दशरथ अयोध्या के लिए एक कुशल राजा था, इसकी गवाही समय देता है।

शुरुआत में राजा दशरथ के घर कोई संतान नहीं थी, और इसलिए इक्ष्वाकु कुल के राजसिंहासन का कोई उत्तराधिकारी नहीं था। ऋषि वशिष्ठ की सलाह पर उन्होंने ‘पुत्र-कामेष्ठी यज्ञ’ का आयोजन किया, जो वांछित संतान प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यज्ञ के दौरान अग्नि देव और यज्ञेश्वर प्रकट हुए और राजा दशरथ को खीर का कटोरा देते हुए कहा – आप इसे अपनी रानियों को खिला दीजिए। इससे आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।

राजा दशरथ ने अग्नि देव और यज्ञेश्वर की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी रानियों को खीर खिला दी। इसके बाद कौशल्या ने चैत्र महीने के नौवें दिन भगवान राम को जन्म दिया। वहीं कैकेयी ने भरत और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। तभी से इस दिन को रामनवमी (Ramnavmi) के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।


रामनवमी (ramnavmi) पर्व का महत्व

हिंदू धर्म में रामनवमी (ramnavmi) का काफी महत्व है। इसे भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। यह त्योहार न केवल राम के जन्म का प्रतीक है, बल्कि यह बुरी ताकतों पर जीत का भी संकेत देता है। इसीलिए इस त्योहार को दुनियाभर में फैले भगवान राम के अनन्य भक्त पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं, और भगवान राम की पूजा करते हैं।

लोग रामनवमी (ramnavmi) के दिन भगवान राम के मंदिर में एकठ्ठा होकर भगवान राम की मूर्ति को पालने में रखते हैं। इसके बाद पूरे दिन राम कथा या पवित्र गीत गाए जाते हैं। इस अवसर पर कई भक्त प्रभु श्री राम को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखते हैं। इस दिन भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण और पवनपुत्र हनुमान की भी आराधना करते हैं, और उनकी भी पूजा करते हैं।

कई जगहों पर इस दिन भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की शोभा यात्रा भी निकालते है। इसके अलावा भी मंदिर के पुजारी सहित अन्य लोग कई कार्यक्रमों का आयोजन करते है। रामनवमी (ramnavmi) का त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मनाया जाता है।


राम नवमी 2025 के शुभ अवसर पर अनुष्ठान

भगवान राम के भक्त रामनवमी (ramnavmi) के दिन उपवास भी रखते हैं। साथ ही कई लोग भगवान राम और माता सीता का प्रतीकात्मक विवाह भी रचाते हैं। लेकिन, यह रीत दक्षिण भारत के राज्यों में देखी जाती है। यहां ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की नवमी को भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। जबकि, उत्तर भारत में इसे राम के जन्मोत्सव के रूप में ही मनाया जाता है। साथ ही महाकाव्य रामायण को सुनते हैं। वहीं कई जगहों पर रामलीला का भी मंचन होता है।

रामनवमी (ramnavmi) का त्योहार कई जगहों पर चैत्र माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से ही शुरु हो जाता है। जो पूरे नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान उपासक नौ दिनों तक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। भगवान राम के कुछ भक्त 9 दिनों तक उपवास रखते हैं, इस दौरान वह अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। वहीं कुछ लोग हल्का उपवास रखते हैं, जिसके तहत वह सिर्फ रात के समय भोजन करते हैं।

रामनवमी (ramnavmi) के दिन भगवान राम की जन्मभुमि आयोध्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस दिन दुनिया के अलग-अलग कोने से भक्त आते हैं। वे भगवान राम की पूजा करने और रोशनी और फूलों से सजाए गए खूबसूरत शहर को देखने के लिए अयोध्या पहुंचते हैं।

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राम नवमी 2025 पर कैसे करें पूजा

रामनवमी (ramnavmi) के अवसर पर भगवान विष्णु के अवतार श्री राम की पूजा के लिए भक्तजन उनके मंदिर में एकठ्ठा होते हैं। उनके भक्त भजन और कीर्तन करने के लिए रातभर जागते हैं। इसके अलावा, लोग इस दिन भगवान राम की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर मंदिर में रखते हैं, और उनकी पूजा करते हैं।

इन दिनों में भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या राम और सीता के रंग में रंग जाती है। कई समारोह का आयोजन किया जाता है। भगवान राम और माता सीता बनकर कई उपासक इस त्योहार को मनाते हैं। आइए जानते हैं कि राम नवमी 2025 (ram navmi 2025) पर आप अपने घर में ही अनुष्ठान कैसे कर सकते हैं।

  • राम नवमी 2025 (ram navmi 2025) के शुभ अवसर पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • घर के मंदिर में भगवान राम की मूर्ति रखें।
  • अक्षत, चंदन, धूप के साथ अगरबत्ती लगाएं।
  • भगवान राम को गुड़ या मिठाई का भोग लगाएं।
  • राम नवमी 2025 (ram navmi 2025) के दिन महाकाव्य रामायण को पढ़े।
  • आरती कर पूजा का समापन करें।
  • इसके बाद भक्तों को प्रसाद वितरण करें।

चूंकि रामनवमी (ramnavmi) चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन पड़ती है, इसलिए रामनवमी (ramnavmi) पर कन्या पूजन भी किया जाता है, जहां नौ कन्याओं को अपने घर पर आमंत्रित किया जाता है। इन कन्याओं को नौ देवियों का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।

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रामनवमी (ramnavmi) पर कुछ जरूरी बातें

रामनवमी (ramnavmi) चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो कोई भी रामनवमी (ramnavmi) के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री पूजा करता है, उसे प्रेम और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान राम ने रावण को मारकर धर्म को जीत दिलाई थी। साथ ही माता सीता को उसके कैद से आजाद कराया था। राम नवमी (Ram navmi) के अवसर पर भक्त सरयू नदी में स्नान करते हैं और फिर उनकी पूजा करने के लिए राम मंदिर जाते हैं।

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निष्कर्ष

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाने वाली रामनवमी (ramnavmi) हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह भगवान राम की वीरता का सम्मान करने और बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान राम के मंदिर में जाकर वहां उनकी पूजा करते हैं। इस दिन हिंदू धर्म के लोग अपने आराध्य मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम की भक्ति में लीन रहते हैं। इस दिन बच्चों से लेकर बुजूर्गों तक हर कोई रामधुन में मग्न रहता है।