किस ग्रह का कैसा होगा प्रभाव : जाने ग्रहों की दुनिया में

ज्योतिष की दुनिया में आपका स्वागत है। जैसा कि हम सब जानते हैं, ज्योतिष विज्ञान और विश्लेषण सौर मंडल में ग्रहों के गोचर पर आधारित होता है। ज्योतिष की दुनिया में कुल नौ ग्रह हैं। जिनमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति, शनि, राहु और केतु शामिल हैं। वैसे तो हमारा शरीर पंचमहाभूत से बना है। प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन में समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक पूरा चक्र होता है। तो चलिए बिना देर किए वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों पर चर्चा करते हैं।


ज्योतिष में सूर्य ग्रह का महत्व

सूर्य को सौरमंडल का राजा कहा जाता है। यह ग्रह कुंडली में अहंकार, स्वयं की भावना, मूल व्यक्तित्व और सामान्य प्राथमिकताओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु भी कहा जाता है। ज्योतिष में यह स्वयं के केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है।

ज्योतिष जगत में, सूर्य ग्रह को सिंह राशि प्रदान की गई है। यह ग्रह उग्र और गतिशील राशि पर शासन करता है। यह वीरता का भी प्रतिनिधित्व करता है। पश्चिमी ज्योतिष में, सूर्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि सभी मूल व्याख्या उसी पर आधारित होती हैं। यह दुनिया को रोशन करता है, और इसे रंग देता है।

ध्यान देने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि सूर्य सबसे तेज गति से चलने वाले ग्रहों में से एक है। राशि चक्र पर गोचर करने के लिए यह लगभग एक महीने का समय लेता है। सूर्य का गोचर संक्रांति बनाता है।


ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्व

चंद्र ग्रह को रानी की संज्ञा दी जाती है। इसे माँ से भी जोड़ा जाता है। यह हमारी आंतरिक भावनाओं और हमारे भीतर के उन हिस्सों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें हम व्यक्त नहीं कर सकते। चंद्रमा सौर मंडल की एक संवेदनशील, सहानुभूतिपूर्ण, पोषण करने वाला ग्रह है। यह हमारे आध्यात्मिक वापसी का प्रतिनिधित्व करता है।

ज्योतिष जगत में चंद्रमा को कर्क राशि प्रदान की गई है। यह ग्रह संवेदनशील, सुरक्षात्मकता के बारे में बताता है। यह ग्रह जल तत्व के अंतर्गत आता है। यह ग्रह पोषण, आराम और सुरक्षा को परिभाषित करता है। भारतीय ज्योतिष में, चंद्रमा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि वैदिक ज्योतिष पूरी तरह से चंद्रमा पर ही आधारित है।

यह सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह है, जिसे राशि चक्र से गुजरने में सिर्फ ढाई दिन का समय लगता है। यही कारण है, कि आपकी चंद्र राशि आपके व्यक्तित्व और क्षमता के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी देती है।
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ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व

बुध ग्रह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। रोमन में बुध ग्रह को भगवान दूत माना जाता है। ज्योतिष में बुध हमारे संचार, बौद्धिक शक्ति, यात्रा, वाणी का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारी रचनात्मक प्रतिभा को भी दर्शाता है। इसके अलावा, बुध तर्क और तर्कसंगतता दिखाता है।

ज्योतिष जगत में बुध ग्रह को मिथुन और कन्या राशि प्रदान की गई है। यह दोनों राशि संकेत और अभिव्यक्ति के विभिन्न तरीकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। मिथुन बहिर्मुखी चिन्ह है, और कन्या एक सांसारिक अंतर्मुखी चिन्ह है। बुध को 12 राशियों में गोचर करने में लगभग 13 से 14 दिन का समय लगता है। यह हमेशा सूर्य के करीब रहता है। बुध ग्रह के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह हर साल 3 से 4 बार प्रतिगामी होता है।


ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व

शुक्र ग्रह प्रेम, रोमांस और रिश्तों का प्रतिनिधित्व करता है। प्रेम और सौंदर्य की देवी वीनस को भी इसी ग्रह के नाम से जाना जाता है। यह सभी फूलों और कामुकता का ग्रह है। प्रेम और रोमांस के अलावा, शुक्र विलासिता, उम्दा शराब और समृद्ध खाद्य पदार्थों का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, शुक्र का स्थान प्रेम की हमारी आदर्श धारणा को प्रकट करता है।

शुक्र वृषभ और तुला राशि पर शासन करता है। इसके साथ ही इसके प्रत्येक चिन्ह प्रेम अभिव्यक्ति के एक अलग – अलग तरीके का प्रतिनिधित्व करते हैं। पृथ्वी चिन्ह वाला वृषभ एक फिजिशियन है, वही इसके विपरीत, तुला राशि सेरेब्रल है।
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को एक राशि में गोचर करने में लगभग 4 से 5 सप्ताह का समय लगता है। इसके साथ ही यह राशि में 18 महीने के बाद वक्री होती है।

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ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व

मंगल ग्रह एक्शन, दृढ़ संकल्प और आक्रामकता का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारी शारीरिक क्रिया और प्रेम को दर्शाता है। मंगल को लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है, जो हमारी तीव्रता और जुनून को दर्शाता है। हालांकि, मंगल की स्थिति यह दर्शाती है कि हम अपने लक्ष्यों का पीछा कैसे करते हैं। यह कामेच्छा और यौन ऊर्जा से संबंधित है। इसे एक प्राकृतिक अशुभ ग्रह भी माना जाता है।

मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि पर शासन करता है, जो क्रोध और आक्रामकता के प्रबल संकेत के बारे में बताता हैं। ज्योतिष में मंगल को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग 6 से 7 सप्ताह का समय लगता है। हर दो साल बाद मंगल वक्री हो जाता है, जिससे हमारे जीवन में कई बदलाव आते हैं।


ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का महत्व

सौरमंडल का सबसे विशाल ग्रह बृहस्पति है। यह भाग्य और फ्यूचर के बारे में बताता है। यह ग्रह सकारात्मकता का प्रतिनिधित्व, विकास, अवसर और पॉजिटिविटी लाता है। यह आध्यात्मिकता और दर्शन का भी प्रतिनिधित्व करता है। बृहस्पति को एक लाभकारी ग्रह के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यह अच्छी शिक्षा, कॅरियर, विवाह और बच्चे के जन्म का कारक है।

इस ग्रह को साधारण समझने की भूल मत करना। इस तेजी से भागती दुनिया में कुछ भी हासिल करने के लिए इसका आशीर्वाद आवश्यक है। बृहस्पति धनु राशि पर शासन करता है, जो अपने रोमांच चाहने वाले स्वभाव के लिए जानी जाती है। इस ग्रह को गोचर करने में लगभग 12 से 13 महीने का समय लगता है। यह ग्रह प्रति वर्ष वक्री होता है।


ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व

शनि ग्रह सीमाओं, प्रतिबंधों और कठिनाइयों का प्रतिनिधित्व करता है। कभी-कभी, शनि कठोर और भावहीन हो सकता है। जो हमें कठिन प्रेम और जटिल चुनौतियां सिखा देता है। हालांकि, शनि हमेशा व्यक्ति को पूरी तरह से परिपक्व बनाना चाहता है। व्यक्ति केवल कठिनाइयों का सामना करके ही परिपक्व बन सकता है।

ज्योतिष में, शनि मकर और कुंभ राशि पर शासन करता है। एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग ढाई वर्ष का समय लगाता है। हालांकि, यह हर साल लगभग 140 दिनों के लिए प्रतिगामी हो जाता है।


ज्योतिष में राहु ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष में राहु प्राकृतिक अशुभ ग्रह है। वैसे यह कोई ग्रह नहीं है। वास्तव में, यह एक भ्रम या छाया ग्रह है। यह उन चीजों का प्रतिनिधित्व करता है, जो हम सभी के लिए वर्जित या अपरंपरागत होती हैं। प्राचीन वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु वृष राशि में उच्च का होता है। राहु किसी राशि का स्वामी नहीं है। लेकिन यह आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा नामक नक्षत्र पर शासन करता है।

राहु के सकारात्मक पक्ष की बात की जाए तो यह, अपनी दशा के दौरान लाभ के अप्रत्याशित स्रोत देता है। कुंडली में राहु शुभ हुआ तो आप विदेश में जाकर भी रह सकते हैं। इस ग्रह का दूसरा पहलू देखा जाए, तो यह जीवन में तनाव, भय, चिंता और अवसाद पैदा करता है। ज्योतिष में राहु तंबाकू, ड्रग्स, मीडिया और फिल्मों का प्रतिनिधित्व करता है।


ज्योतिष में केतु ग्रह का महत्व

केतु ग्रह अलगाव और वैराग्य का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक प्राकृतिक अशुभ ग्रह भी है। वैदिक ज्योतिष में केतु वृश्चिक राशि में उच्च का होता है। केतु ग्रह पिछले जीवन और कर्म का प्रतिनिधित्व करता है। यह आध्यात्मिक ज्ञान का ग्रह है, जो मोक्ष देता है।

केतु की दशा अवधि जीवन में कई तरह के बदलाव लाती है। इस दौरान जातक काफी आध्यात्मिक हो जाता है। केतु रहस्य और गुप्त ज्ञान का भी प्रतिनिधित्व करता है। मजबूत केतु के साथ जातक विदेश यात्रा भी कर सकता है।

अब हमारे पास ज्योतिष के सभी नौ ग्रहों के बारे में जानकारी प्राप्त हो गई है। इन ग्रहों का जीवन में क्या प्रभाव होता है। यह भी समझ आ गया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं, इनमें से सबसे शक्तिशाली ग्रह कौन सा है? नहीं न तो चलिए हम बताते है ज्योतिष में शक्तिशाली ग्रह के बारे में ।


ज्योतिष में कौन सा ग्रह होता है सबसे शक्तिशाली

ज्योतिष में हर ग्रह का अपना एक महत्व होता है। लेकिन सूर्य ग्रह को सबसे शक्तिशाली ग्रह की संज्ञा दी गई है। अब आप सोच रहे होंगे यह कैसे संभव है। कुंडली में सूर्य की स्थिति यह निर्धारित करती है, कि जातक जीवन के सभी चरणों से गुजरेगा या नहीं।

यदि कुंडली में सूर्य शुभ नहीं है, तो जातक को कई अवांछित परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर खराब दशा अवधि के दौरान। यह जातक की लंबी उम्र को भी प्रभावित करता है। यही कारण है, कि समग्र सफलता और दीर्घायु के लिए सूर्य की स्थिति की सही तरीके से विश्लेषण करना चाहिए। वास्तव में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए हम ज्योतिष में सबसे शक्तिशाली ग्रह सूर्य को मानते हैं। अपनी जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति जानना चाहते है, तो हमारे ज्योतिषी से बात करें।

अब तो आप समझ ही गए होंगे की सौरमंडल के 9 ग्रह मिलकर हमारे जीवन पर किस प्रकार से प्रभाव डालते हैं। यह सारे ग्रह किसी व्यक्ति को पूरी तरह से नियंत्रित करते हैं। जीवन की हर ख़ुशी और गम इनके अधीन होता है। यदि आप जानना चाहते है, की आपके जीवन में क्या उतार-चढ़ाव आने वाले है तो अभी हमारा MyPandit ऐप डाउनलोड करें



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