Basant panchami 2025 : इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती
साल की शुरुआत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchami 2025)। वसंत पंचमी (Vasant Panchami) के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) की जाती है। यह त्योहार पूरे भारत वर्ष में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है। प्राचीन परंपराओं के अनुशार वेदों में जिन 6 ऋतुओं वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और बसंत का वर्णन किया गया है, उनमें से बसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक यह त्योहार है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही फूलों पर बहार, खेतों में चमकता सरसों का सोना, जौ और गेहूँ की बालियाँ, आमों के पेड़ पर बौर और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियां मंडराती दिखाई देने लगती है। वसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) को हिंदू माह माघ के पांचवे दिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी जनवरी के अंतिम सप्ताह में मनाया जाएगा। आइए इस त्योहार के विषय में विस्तृत रूप से जानते हैं….
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बसंत पंचमी 2025 का महत्व
हिंदू परंपराओं और शास्त्रों में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) को ऋषि पंचमी के नाम से भी उल्लेखित किया गया है। माघ माह की शुक्ल पंचमी को मनाए जाने वाले इस महत्वपूर्ण त्योहार “बसंत पंचमी” को और भी कई नामों से जाना जाता है है। जिसमें श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, वागीश्वरी जयंती, मदनोत्सव और सरस्वती पूजा (saraswati puja) उत्सव शामिल है। बसंत पंचमी 2025 (Basant panchami 2025) के दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है, यह मां सरस्वती का आविर्भाव दिवस है। मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की प्रदाता कहा गया है। वहीं इनकी उत्पत्ती के दौरान इनके हाथों में वीणा थी। इस वजह से इन्हें संगीत की देवी भी कहा गया है। इस बात का उल्लेख ऋग्वेद में भी किया गया है। ऋग्वेद में लिखा है कि ‘प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।’ अर्थात् ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। जानिए 2025 में कब है बसंत पंचमी (2025 me Basant Panchami kab hai)…
बसंत पंचमी 2025 में कब है (Basant Panchami 2025 me kab hai)
बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchami 2025) | रविवार, फरवरी 2, 2025 |
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बसंत पंचमी सरस्वती पूजा (saraswati puja) मुहूर्त | 07:15 ए एम से 12:24 पी एम |
अवधि | 05 घण्टे 09 मिनट्स |
बसंत पंचमी मध्याह्न का क्षण | 12:24 पी एम |
पंचमी तिथि प्रारम्भ | फरवरी 01, 2025 को 10:44 पी एम बजे |
पंचमी तिथि समाप्त | फरवरी 02, 2025 को 08:22 पी एम बजे |
बसंत पंचमी : 2025 में सरस्वती पूजा कब है
विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) के लिए उनकी स्तुति या वंदना करना बहुत लाभकारी होता है। आज हम आपको उस स्तुति से अवगत कराते हैं, जो सरस्वती स्तोत्रम का एक अंश है। इस सरस्वती स्तुति का पाठ बसंत पंचमी 2025 (Vasant panchami 2025) के पावन दिन पर सरस्वती पूजा के दौरान किए जाने से आपको विशेष लाभ मिलेगा।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
माँ सरस्वती के साथ ही भगवान गणेश को भी बुद्धि के दाता माना जाता है, इस बसंत पंचमी पर हमारे विशेषज्ञों से करवाइए विशेष गणेश पूजा और पाइए बुद्धि का वरदान…
Basant Panchami 2025 के दिन कैसे करें देवी सरस्वती की पूजा
भारत में बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का विशेष महत्व माना जाता है, खासकर बिहार में सरस्वती पूजा का बहुत महत्व रखती है (Saraswati Puja in 2025 in Bihar)। तो इस बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchami 2025) को कीजिये विधि विधान से पूजा और पाइए पूजा का संपूर्ण लाभ, जानिए सरस्वती पूजा 2025 (Saraswati Puja 2025) की विधि
- माता सरस्वती के उपासकों को बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए।
- तेल में बेसन लगाकर उसका शरीर पर उबटन करने के बाद स्नान करना चाहिए। इसके बाद पीले वस्त्र धारण कर माता सरस्वती के पूजन की तैयारी करना चाहिए।
- इसके बाद पूजा स्थान पर उत्तम वेदी वस्त्र बिछाकर उस पर चावल से अष्टदल (चौक) बनाएं। इसके आगे भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर सकते है।
- अष्टदल के पृष्ठभाग में जौ व गेहूं की बाली के पूंज (बसंत पूंज) को जल से भरे कलश के साथ स्थापित करें।
- बसंत पंचमी (Basant Panchami) में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इसलिए सबसे पहले श्री गणेश की पूजा करें।
- बसंत पूंज से रति और कामदेव की पूजा करें और हवन करें। हवन करने के पश्चात केसर या हल्दी के मिश्रण की आहुतियां दें।
- इस दिन पर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा का भी विशेष विधान है। इसलिए भगवान विष्णु की पूजा करें।
- इन सारी प्रक्रियाओं गणेश स्थापना सूर्य, विष्णु, रति, कामदेव और महादेव की पूजा करने के बाद देवी सरस्वती का पूजन करें।
- सबसे पहले अष्टदल पर माता सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित कीजिए।
- इसके बाद माता को पीले रंग के वस्त्र के साथ हल्दी, चंदन, रोली, पीली मिठाई, पीले फूल, अक्षत और केसर अर्पित करें।
- इसके अलावा बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) के दिन वाद्य यंत्र और किताबों की भी पूजा करनी चाहिए। इससे माता सरस्वती खुश होती है, और आशीर्वाद प्रदान करती है।
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बसंत पंचमी की कथा
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की, तो उन्हें अपने सर्जन से संतुष्टी नहीं मिली। उन्हें कुछ कमी लगने लगी, जिसकी वजह से हर तरफ मौन छाया हुआ था। इसके बाद उन्होंने श्रीहरि विष्णु से अनुमति लेकर अपने कमण्डल से जल का छिड़काव किया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा। इसके बाद पृथ्वी पर हर तरफ हरियाली छा गई, वृक्ष और पौधे लग गए। इसी के बीच एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। वह एक चतुर्भूजी सुंदर स्त्री थी। उनके एक हाथ में वीणा, तो दूसरा हाथ वरमुद्रा में था। बाकी दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। यह देखकर ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती से वीणा बजाने का अनुरोध किया। ब्रह्मा जी के अनुरोध पर माता सरस्वती ने मधुर वीणा बजाई, जिससे संसार के समस्त जीव जंतुओं को वाणी की प्राप्ती हुई। साथ ही अथाह जल में कोलाहल उठा, पवन चलने लगी। यह सब देखकर भगवान ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती के नाम से पुकारा। यह बसंत पंचमी (Basant Panchami) की ही पावन तिथि थी। इसी कारण इसे देवी सरस्वती के प्रकटोत्सव के रूप मे जाना जाता है। उनके हाथ में पुस्तक और वीणा होने के कारण वह बुद्धि और संगीत की देवी कहलाई।
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बसंत पंचमी 2025 के दिन पतंगोत्सव का भी महत्व
वसंत पंचमी (Vasant panchami) के उत्सव पर पतंग उड़ाने का भी पुराना रिवाज है। कहा जाता है कि यह रिवाज सबसे पहले चीन मेें शुरू हुआ था। इसके बाद फिर कोरिया और जापान के बाद भारत पहुंचा। भारत में मकर संक्रांति के दिन को पतंगोत्सव के रूप में मनाया जाता है। लेकिन, इस उत्सव की धूम बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchami 2025) तक रहेगी। वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल जाता है। मानवों के साथ पशु-पक्षी में भी उल्लास भर जाता है। इसीलिए इस दिन पर पतंग उड़ाने का अलग ही रोमांच है। जिस तरह से गुजरात में पतंग उड़ाने का सबसे अच्छा त्योहार मकर संक्रांति को माना जाता है, ठीक उसी तरह बसंत पंचमी के दिन पंजाब में खूब पेंच लड़ते हैं। बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन पंजाब में पतंग उड़ाने की परम्परा सालों पुरानी है। इस दिन हरियाणा और पंजाब में सुन्दर और आकर्षक पतंगों से आसमन रंगीन नजर आता है।
निष्कर्ष
बसंत पंचमी (Basant Panchami ) का त्योहार पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है। इस दिन को सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के लिये उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु कैलेण्डर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) का दिन सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है। इसी कारण से बसंत पंचमी 2025 (Vasant panchami 2025) अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नए कार्यों की शुरुआत के लिये अति उत्तम है। बसंत पंचमी 2025 (Basant Panchami 2025) के दिन किसी भी समय सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) की जा सकती है। हालांकि, इसके लिए पूर्वाह्न का समय श्रेष्ठ माना जाता है। सभी स्कूलों और शिक्षा केन्द्रों में पूर्वाह्न के समय ही सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) की जाती है।
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