भाई दूज 2025: जानिए महत्व, पूजा सामग्री, मुहूर्त, पूजा विधि

एक भाई और एक बहन के बीच अनोखी समझ होती है। वे एक – दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त हैं, रक्षक हैं और प्रशंसक होने के साथ ही वे दूसरे की गुप्त बातों के हिस्सेदार भी हैं। इसी के साथ सबसे महत्वपूर्ण बात वे निस्वार्थ भाव से एक दूसरे से प्यार भी करते हैं। भाई – बहनों के बीच की भावनाएं और प्यार को समझना मुश्किल है। हालांकि, ऐसे विशेष दिन या अवसर होते हैं जो भाई और बहन के बीच प्यार को मजबूत करने के लिए समर्पित होते हैं। भैया दूज एक ऐसा ही अवसर है जो विभिन्न भाई बहनों के बीच शाश्वत प्रेम को परिभाषित करता है। यह अद्भुत त्योहार एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां बहनें अपने प्यारे भाई की लंबी उम्र, कल्याण और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। यह अवसर दिवाली के दो दिनों के बाद आता है। भाई दूज का त्योहार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन होता है जो अक्टूबर या नवंबर के बीच पड़ता है। इस साल भाई दूज बुधवार, 23 अक्टूबर 2025 के दिन मनाई जाएगी। क्या आपके और आपके भाई-बहनों के बीच रिश्तों में है दरार? क्या आपके परिवार में हमेशा मनमुटाव और तनाव की स्थिति बनी रहती है? ऐसी अन्य पारिवारिक समस्या के कारण और निवारण जानने के लिए हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी से संपर्क करें।

शुभ भाई दूज 2025 कब है

भाई दूजगुरुवार, 23 अक्टूबर 2025
भाई दूज अपराहन का समय01:33 पी एम से 03:50 पी एम
द्वितीया तिथि प्रारंभअक्टूबर 22, 2025 को 20:16 बजे
द्वितीया तिथि समाप्तअक्टूबर 23, 2025 को 22:46 बजे

भाई दूज का मतलब

भाई दूज दिवाली के बाद दूसरे दिन मनाया जाता है। भाई दूज का अर्थ नाम में ही दर्शाया गया है, क्योंकि यह एक भाई और एक बहन के बीच प्यार के रिश्ते को दर्शाता है। इस दिन एक बहन अपने भाई की सफलता और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा का प्रण लेता है और बहन के प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शाने के लिए उसे उपहार भी देता है। हमेशा की तरह मिठाइयों का भी आदान – प्रदान भी होता है।

भारतीय भूखंड की विशालता और क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की भाषाएं और बोलियां होने के कारण भाई दूज को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आइए भाई दूज का अर्थ समझने के साथ ही हम विभिन्नों क्षेत्रों में भाई दूज को किन नामों से जाना जाता है यह भी जानें।

कर्नाटक – सोडारा बिडिगे

पश्चिम बंगाल – भाई फोटा

नेपाल – भाई-टिका

महाराष्ट्र – भाऊबीज

उत्तर भारत – भैया दूज या भाई दूज

गुजरात – भाऊबीज

महाराष्ट्र में भाउबीज या भाई दूज उत्सव कई मायनों में एक विशेष महत्व रखता है। हालांकि भारत का एक बड़ा हिस्सा दिवाली के दौरान त्योहार मनाता है, कुछ लोग होली के त्योहार के एक या दो दिन बाद भी भाई दूज का त्योहार मनाते हैं। दक्षिण भारत के कई हिस्सों में इसे यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। अब आप सोच रहे होंगे की इसे यम द्वितीया क्यों कहा जाता है? तो आइए आपको भाई दूज की कहानी और इसे यम द्वितीया क्यों कहा जाता है सुनाते हैं।

भाई दूज व्रत कथा

पौराणिक रूप से, भाई दूज त्योहार के दो संस्करण हैं। क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की पौराणिक कथाएं सुनने को मिलती हैं। भाई दूज व्रत कथा के साथ भी ऐसा है। फिलहाल हम उन दो सर्वमान्य भाई दूज की व्रत कथा की बात करेंगे जो हमें भागवान कृष्ण और सुभद्रा के प्रेम से भाई दूज का अर्थ समझाएगी और दूसरी कथा हमें यमराज और यमुना के माध्यम से यम दूज का महत्व समझाएंगी।

सुभद्रा की भातृ पूजा और कृष्ण नरकासुर वध

ऐसा कहा जाता है कि नरकासुर नाम के राक्षस का वध करने के बाद भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिले थे। इस यात्रा के दौरान सुभद्रा ने पूजा की थाली से अपने भाई कृष्ण को टीका लगाया और फिर एक अनुष्ठान किया, जिसका पालन भाई दूज के दौरान किया जाता है। इस अनुष्ठान को भाई दूज पूजा विधि के रूप में जाना जाता है।

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यमुना का भाई-प्रेम और यमराज का वरदान

कहानी का दूसरा संस्करण यह है कि सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन है। बहन यमुना के कई बार बुलाने पर भी यम उनके घर नहीं पहुंचे, लेकिन एक दिन यमराज यमुना के घर बिना बुलाए पहुंच गए। अपने प्रिय भाई को देखकर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। बहन के प्रेम से अभिभूत यम ने जब यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष इस दिन मेरे घर पधारें और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे यम भय मुक्ति मिलें। भाई के रिश्ते के लिए बहन यमुना का स्नेह देखकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें वांछित वरदान देकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की दूज पर पुनः लौटने का वादा किया। यमराज और यमुना की यह पौराणिक कथा भाई दूज या यम दूज के महत्व को समझाने और इसके विशाल रूप से पूरे भारत में प्रचलित होने का कारण समझाने के लिए काफी तर्कसंगत भी नजर आती है। इसीलिए धार्मिक तौर पर इस दिन यमुना नदी में स्नान का महत्व है। कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है।

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भाई दूज पूजा विधि

भाई दूजा का त्योहार भाई – बहन के अटूट प्रेम का त्योहार इस दिन बहन अपने भाई की पूजा करती है। वे उन्हें भाई दूज शुभ टीका मुहूर्त 2025 में टीका करती है और फिर भाई की आरती उतारकर अपने भाई का मुंह मीठा कराती हैं और भगवान से भाई की लंबे और सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती है। इसके बाद भाई बहनों में उपहारों का आदान प्रदान होता है। भाई दूज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अमावस्या को पड़ता है। इस वर्ष भाई दूज बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस वर्ष शुभ भाई दूज 2025 टिका मुहूर्त दोपहर 14:00 से 16:10 बजे तक

भाई दूज पूजा सामाग्री

हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार भाई दूज पूजा करने के लिए, बहनों को निम्नलिखित भाई दूज सामग्री की आवश्यकता होगी।

  • एक पूजा थाली
  • मिट्टी के तेल का दीपक (दीया)
  • तिलक के लिए रोली – चवाल
  • तिलक के समय भाई के हाथ में देने के लिए श्री फल
  • एक नया कोरा रूमाल
  • ताजा फूल
  • मौसमी फल
  • पान सुपारी
  • मौली
  • एक छोटा पानी का कलश या बर्तन

भाई दूज पर बहनें क्या करें

भाई दूज के दिन बहनों और भाइयों को जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और नए कपड़े पहनकर तैयार होना चाहिए।

1. पूजा की थाली को दीया, रोली-चवाल, फल, फूल, मौली और मिठाई और सुपारी से सजाएं।

2. फर्श पर चावल का एक वर्ग बनाएं।

3. शुभ मुहूर्त के अनुसार अपने भाई को पैर मोड़कर और सिर पर रुमाल रखकर चौक पर बैठने को कहें।

4. अब बहन दीया जलाकर थाली घुमाकर अपने भाई की आरती करेंगी।

5. पूजा के बाद बहन भाई के माथे पर तिलक लगाएगी, उसके बाद मिठाई और फल चढ़ाएगी.

6. फिर अपनी थाली में रखे कलश से भाई के दोनों ओर जमीन पर थोड़ा-थोड़ा पानी चढ़ाएगी

7. भाइयों और बहनों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान भी होता है।

कम शब्दों में भाई दूज

भाई दूज उत्सव की सबसे बड़ी बात यह है कि यह भाई-बहनों के प्यार का प्रतिनिधित्व करता है और दिखाता है कि भाई-बहनों के बीच का बंधन कितना खास हो सकता है। अपने आप में इतना पवित्र और सच्चा। कई लोग मानते हैं कि यह दिन रक्षा बंधन के समान है। हालाँकि, एक अंतर है। रक्षा बंधन और भाई दूज के बीच का अंतर यह है कि भाई दूज पर भाई अपनी बहन के घर जाते हैं, जबकि रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाई के घर जाती हैं।

वे चाहे कहीं भी हों, उनके बीच का बंधन हमेशा मजबूत होता रहता है। हमारी ओर से आप सभी को भाई दूज की बहुत बहुत शुभकामनाएं। भाई दूज 2025 आपके और आपके भाई-बहनों के लिए लंबी आयु और समृद्धि लेकर लाए।

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