Yogini Ekadashi 2025: सभी तरह की शारीरिक बीमारियां हो जाती हैं दूर

योगिनी एकादशी निर्जला एकादशी के बाद औऱ देवशयनी एकादशी के पहले आती है। अगर इसकी तिथि की बात करें तो उत्त भारतीय पंचांग के मुताबिक यह आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष और दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में आती है। वहीं अगर अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो यह व्रत जून या जुलाई माह के दौरान पड़ता है। योगिनी एकादशी का व्रत काफी फलदायी होता है औऱ इसका विधि-विधान से पालन करने से सभी तरह की शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती हैं।

इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। पूजा करवाने के लिए यहां क्लिक करें…

व्रत के लाभ

योगिनी एकादशी का व्रत करना कई तरह से शुभकारी होता है। इस व्रत के करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस व्रत के करने से स्वर्गलोग की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि मात्र इस व्रत के करने से आपको 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का फल मिलता है।

इस दौरान नहीं करना चाहिए पारण

एकादशी व्रत के दौरान हरि वासर की अवधि का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। पारण से पहले हरि वासर की अवधि समाप्त हो जानी चाहिए और ऐसा न हो तो इसकी प्रतीक्षा करना चाहिए। अब आप यह जनना चाहेंगे कि आखिर हरि वासर क्या है तो हम आपको बता देते हैं कि द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि हरि वासर होती है। ऐसे में व्रत के पारण के लिए प्रातःकाल का समय सबसे उपयुक्त होता है। यहां आपको जानना जरुरी है कि द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले व्रत का पारण करना जरुरी होती है। यदि द्वादशी की तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही किया जाता है।

पूजा करवाने के लिए यहां क्लिक करें…

योगिनी एकादशी के दिन करनी चाहिए भगवान विष्णु की पूजा

वैसे तो एकादशी (Ekadashi) की हर तिथि महत्वपूर्ण और भगवान को प्रिय होती हैं। ऐसे में भगवान विष्णु की कृपा बनाए रखने के लिए भक्तों को दोनों दिन एकादशी का व्रत करने की सलाह दी जाती है। योगिनी एकादशी का व्रत सभी पापों का नाश करने वाला है। हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष को काटना पाप माना जाता है और इस व्रत को करने से इस पाप से भी मुक्ति मिल जाती है। यही नहीं व्रत के प्रभाव से सभी तरह की शारीरिक बीमारियों से छुटाका मिलता है, यश की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं व्रत के प्रभाव से शाप का भी निवारण होता है।

योगिनी एकादशी 2025 व्रत पूजन विधि

  • योगिनी एकादशी के नियम एक दिन पहले से ही शुरू हो जाते हैं और दशमी तिथि की रात श्रद्धालु को जौ, गेहूं और मूंग दाल से बने भोजन से परहेज करना चाहिए।
  • व्रत के दौरान नमक युक्त भोजन नहीं करना चाहिए
  • एकादशी तिथि के दिन सबसे पहले सुबह में स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है।
  • व्रत का संकल्प करने के बाद कलश स्थापना की जाती है। कलशा स्थापना के बाद कलश के ऊपर भगवान – विष्णु की प्रतिमा रख कर पूजा की जाती है।
  • व्रत की रात्रि जागरण करना भी फलदायी होता है।।

योगिनी एकादशी व्रत की कथा

सभी एकादशी की कथाएं अलग-अलग हैं। योगिनी एकादशी की व्रत कथा के मुताबिक काफी समय पहले अलकापुरी नगर में कुबेर के यहां एक माली काम करता था। उसका प्रतिदिन का काम पूजन कार्य के लिए फूल लेकर आना था। एक दिन सुबह वह अपनी पत्नी के साथ प्रेमालाप में लीन हो गया। काफी विलंब होने के बावजूद वह फूल लेकर नहीं पहुंचा। राजा कुबेर ने पता लगवाया तो उन्हें सच्चाई का पता चल गया। इसके बाद उन्होंने नाराज होकर माली को कोढ़ी होने का शाप दे दिया है। शाप के प्रभाव से माली रोग के कारण इधर-उधर भटकने लगा और इश क्रम में मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने अपने तपोबल से उसके दुख का कारण जान लिया और उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दे डाली। इसके बाद माली ने पूरे विधि-विधान से योगिनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से उस उसका कुष्ठ रोग ठीक हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

य़ोगिनी एकादशी, तिथि और मुहूर्त

योगिनी एकादशी 202521 जून 2025, शनिवार
22 जून को पारण का समयदोपहर 01:40 बजे से शाम 04:11 बजे तक
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय09:41 पूर्वाह्न
एकादशी तिथि प्रारंभ21 जून 2025 को प्रातः 07:18 बजे
एकादशी तिथि समाप्त22 जून 2025 को प्रातः 04:27 बजे

अपने व्यक्तिगत समाधान पाने के लिए अभी ज्योतिष से बात करें!

Choose Your Package to Get 100% Cashback On First Consultation