गुड़ी पड़वा 2025: मराठी नव वर्ष के बारे में जानने योग्य बातें
गुड़ी पड़वा 2025: मराठी नव वर्ष के बारे में जानने योग्य बातें
गुड़ी पड़वा वसंत ऋतु के दौरान आने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गोवा राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन से मराठी नव वर्ष की शुरुआत होती है। गुड़ी पड़वा हिंदू चंद्र कैलेंडर के नए साल के पहले महीने चैत्र महीने में आता है।
पड़वा चंद्र मास के पहले दिन प्रतिपदा के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला संस्कृत शब्द है। इस दिन लोग रंगोली बनाते हैं, मीठे व्यंजन बनाते हैं और अपने घरों को सजाते हैं। इस प्रकार, जब प्रतिपदा तिथि प्रबल होती है, तो यह महाराष्ट्र के लोगों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्यौहार भारत के दक्षिणी राज्यों जैसे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी मनाया जाता है, जहां इसे आमतौर पर उगादी के नाम से जाना जाता है।
इस मराठी नव वर्ष का स्वागत अपार हर्ष और उल्लास के साथ किया जाता है। इसलिए, नए साल में प्रवेश करने से पहले, आइए हम इसके उत्सव के पीछे के महत्व और अनुष्ठानों के बारे में जानते हैं…
भगवान गणेश की पूजा के साथ करें नए साल की शुरुआत…
गुड़ी पड़वा 2025 की तिथि और समय
गुड़ी पड़वा 2025 | 30 मार्च 2025, रविवार |
---|---|
मराठी शक सम्वत | 1947 की शुरुआत |
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ | 29 मार्च 2025 को 16:27 बजे से |
प्रतिपदा तिथि समाप्त | 30 मार्च 2025 को 12:49 बजे |
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा
इस शुभ अवसर पर, महाराष्ट्र के लोग छत पर झंडा फहराते हैं, जो उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे गुड़ी के नाम से भी जाना जाता है। लोग अपने घरों को कई गुड़ियों से सजाते हैं। इस प्रक्रिया में बांस की छड़ी के ऊपरी भाग पर बंधे कपड़े का एक टुकड़ा शामिल होता है। इसके साथ ही इसे आम के पत्ते, फूल और माला से लपेटा जाता है। एक चांदी, कांस्य, या तांबे का बर्तन (हांडी या कलश) जो जीत का प्रतीक है, तो उसे डंडे के ऊपरी हिस्से में लटकाया जाता है। यह झंडा हर घर में सही दिशा की ओर इशारा करते हुए फहराया जाता है। यह ध्वज अन्य लोगों को भी स्पष्ट रूप से दिखाई देना चाहिए। कई ग्रामीण क्षेत्रों के लोग गुड़ी को लेकर जुलूस निकालते हैं, जिसमें की सारे लोग शामिल होते हैं। इस जुलूस का समापन शिव मंदिर पर किया जाता है।
गुड़ी पड़वा का महत्व
गुड़ी पड़वा न केवल वसंत के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि रबी फसलों के लिए कटाई का समय भी है। इसके अलावा, यह उस समय को भी याद दिलाता है, जब सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड और दुनिया की रचना की थी। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि रावण का वध करने के बाद जब भगवान श्रीराम आयोध्या लौटे थे, उसके बाद गुड़ी पड़वा के दिन ही भगवान राम का राज्यभिषेक हुआ था। साथ ही शालिवाहन कैलेंडर के शुभारंभ की याद दिलाता है। महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मानना है कि यह भगवान शिव के नृत्य से जुड़ा है। इसलिए, वे भगवान शिव के मंदिर में गुड़ी कावड़ लाने के लिए एक समूह बनाते हैं। इसलिए, हम कह सकते हैं कि महाराष्ट्र के साथ-साथ भारत के दक्षिणी हिस्सों में गुड़ी पड़वा का अत्यधिक महत्व है।
अपनी जन्मपत्री का निशुल्क विश्लेषण करवाएं और अपने छिपे हुए शत्रुओं पर विजय प्राप्त करें…
गुड़ी पड़वा के अनुष्ठान
गुड़ी पड़वा के दिन कई सारे अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन को मनाने के लिए अपने घरों की साफ सफाई करते हैं और गोबर के उपलों से सजाते हैं। ज्यादातर, युवा-लड़कियां अपने घर के बाहर या मुख्य द्वार पर रंगीन रंगोली डिजाइन करती हैं। लोग नए और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर मिलन समारोह का आयोजन करते हैं। लोग अपने घरों में विशेष व्यंजन भी तैयार करवाते हैं। भारत के दक्षिणी राज्यों में लोग पचड़ी बनाकर उगादी यानी गुड़ी पड़वा के दिन परोसते हैं, और स्वाद का आनंद लेते हैं। पचड़ी को लेकर एक प्राचीन मान्यता यह है कि इस इसका नीम आधारित मिश्रण, व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। महाराष्ट्र के लोग भी इस दिन श्रीखंड, पूरी और पूरनपोली सहित कई तरह के व्यंजन तैयार करते हैं।
हमारे ज्योतिष विशेषज्ञों की मदद से समस्याओं को कहें अलविदा…
समाप्ति नोट
यह गुड़ी पड़वा आपके लिए हर जगह खुशियां ही खुशियां लेकर आए। यह नव वर्ष आपके लिए धन और समृद्धि लाए। इस पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार को MyPandit की तरफ ढेर सारा प्यार और शुभकामनाएं…