गुजराती नव वर्ष 2025: महत्व, तिथि और पूजा विधि जानिए

भारत में अलग अलग प्रांत और समुदाय के लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार नववर्ष मनाते हैं। भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात में भी अपना अलग नववर्ष मनाया जाता है। गुजरातियों का नया साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुरु होता है। आमतौर पर गुजराती नव वर्ष अन्नकूट पूजा के दिन ही शुरू होता है। आपको बता दें कि गोवर्धन पूजा को ही अन्नकूट पूजा के नाम से जाना जाता है। गुजराती नववर्ष वह होता है, जब पुराने खाताबुक को बंद कर नई खाता बुक शुरू की जाती है। गुजरात के अधिकतर लोग किसी न किसी व्यवसाय से जुड़े होते है, इसलिए यहां खाता बुक का अधिक महत्व है। यहां खाता बुक को चोपड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गुजराती माता लक्ष्मी से आशीर्वाद बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ ही इसे चोपड़ा पूजन के नाम से भी जाना जाता है। आने वाले साल व्यवसाय में लाभदायक हो, इसके लिए चोपड़ा पूजा या लक्ष्मी पूजा को दौरान नई खाता बुक पर स्वास्तिक का चिह्न भी बनाया जाता है। नए साल में आप पर भी लक्ष्मी की कृपा बरसें, इसके लिए आप विशेषज्ञ पंडितों से लक्ष्मी पूजा जरूर करवाइए। अपनी पूजा बुक करवाने के लिए हमसे संपर्क करें।

गुजराती नववर्ष तिथि

नए साल की शुरुआत पूजा पाठ से करना शुभ माना जाता है। इससे आपके घर में खुशियों का माहौल बना रहता है, साथ ही व्यवसायिक लाभ मिलता है। इस दिन आप माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। अगर आप वैदिक विधिविधान से पूजा कराना चाहते हैं, तो हमारे वैदिक पंडितों से संपर्क कर सकते हैं। पंडित जी से संपर्क करने के लिए यहां पर क्लिक करें..

गुजराती नव वर्ष बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ21 अक्टूबर 2025 को शाम 05:54 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त22 अक्टूबर 2025 को रात्रि 08:16 बजे

गुजराती नववर्ष का महत्व

दीपावली पूरे देश में मनाई जाती है, इसके हर जगह अलग अलग महत्व है। लेकिन, गुजरात में दीपावली को नए साल का प्रतीक माना गया है। दीपवाली के दिन साल का आखिरी दिन होता है, इसके अगले दिन से गुजराती नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। हिंदू कैलेडर के हिसाब से देखा जाए, तो यह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पड़वा या प्रतिपदा को आता है। चंद्र चक्र पर आधारित भारतीय कैलेंडर के अनुसार गुजरात में कार्तिक महीना साल का पहला महीना होता है, और यही गुजराती नववर्ष का पहला दिन होता है। इसी कारण इस दिन को वित्तीय नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। आपको बता दें कि इसी दिन से  भी शुरु होता है। साल 2025 में कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को विक्रम संवत्‌ 2082 शुरु हो जाएगा।

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कैसे मनाया जाता है नववर्ष

गुजराती नववर्ष गुजरातियों के लिए सबसे बड़े त्योहारों में से एक होता है। इस दिन यहां के लोग समारोहों का भी आयोजन करते हैं। नए कपड़े पहनकर, मंदर में पूजा पाठ करते हैं। इसके बाद अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर खुशियां बाटते हैं। अपनी खुशियों का इजहार करने के लिए गुजराती नव वर्ष पर शानदार आतिशबाजी की जाती है, घरों को सजाया जाता है। इस दिन महिलाएं घरों में स्वादिष्ट मिठाइयां तैयार करती है और सभी का मुंह मीठा कराया जाता है। साथ ही नए साल की बधाइयां प्रेषित करते हैं। वहीं आधुनिकता के चलते हर कोई मैसेज या किसी और माध्यम से अपने दूर बैठे रिश्तेदार या दोस्त को भी बधाइयां भेजते हैं।

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा

गुजराती नववर्ष के दिन ही गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा की जाती है। इसे भारत के विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पूजा के तहत भगवान कृष्‍ण, गोवर्धन पर्वत और गाय माता की पूजा का विधान है। कई जगहों पर इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्‍ण को भोग लगाया जाता है। इन्हें ही ‘अन्‍नकूट’ कहा जाता है। अन्नकूट के दिन आप अपने जीवन से संकटों का हरण करने के लिए विष्णु पूजा जरूर करवाएं।

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