नवरात्रि का दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी (Devi Brahmacharini) पूजा और चंद्र दर्शन
नवरात्रि के त्यौहार में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। नवरात्रि के दूसरे दिन लोग उपवास रखते हैं, भारतीय पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और साथ में गुजराती लोक नृत्य (गरबा) का आनंद लेते हैं। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। देवी से आशीर्वाद पाने के लिए भक्त ब्रह्मचारिणी (Devi Brahmacharini) पूजा और यज्ञ का आयोजन करते हैं। इस नवरात्रि 2025 में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और उनके शक्तिशाली मंत्रों के साथ पूजा विधि करें ताकि उनसे सबसे आपको मनचाहा आशीर्वाद मिल सके। हिंदू पौराणिक कहानियों में देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है।
देवी ब्रह्मचारिणी की कथा
भगवान शिव के परम भक्त हिमालय के यहां एक बेटी का जन्म हुआ, जिसका नाम उन्होंने ‘पार्वती’ रखा। कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद पार्वती को ब्रह्मचारिणी के रूप में जाना जाने लगा। ब्रह्मचारिणी ने घोर तपस्या करके भगवान शिव से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने फलों और पत्तियों पर जीवित रहकर वर्षों तक उपवास जारी रखा। घोर तपस्या करने के बाद और बिना भोजन या पानी के मीलों तक पैदल चलने के बाद, पार्वती को ‘अपर्णा’ के रूप में जाना जाने लगा।
मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति में एक अविवाहित लड़की को बाएं हाथ में माला और दाहिने हाथ में पवित्र कमंडल को दिखाया गया है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी नंगे पैर चलती हैं और कठोर तपस्या में लीन हैं। उन्हें भक्त चमेली के ताजा फूल चढ़ाते हैं क्योंकि यह देवी ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए माने जाते हैं। वे मां ब्रह्मचारिणी को प्रभावित करने के लिए सोलह विभिन्न प्रकार की पूजा का आयोजन करते हैं।
नवरात्रि पर्व के दौरान दुर्गा सप्तशती की पूजा अवश्य करवाएं, इससे आपके घर में सुख समृद्धि बनी रहेगी।
नवरात्रि के दूसरे दिन के अनुष्ठान के लिए तिथि
दिनांक: मंगलवार, 23 सितंबर 2025
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी शांति, प्रेम, ज्ञान और ज्ञान प्रदान करती हैं। जीवन में शांति तथा ऐश्वर्य पाने के लिए लोग उनकी पूजा करते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह (मंगल) को नियंत्रित करती है एवं इसके बुरे प्रभावों को दूर करने में मदद करती है। कुंडली में मंगल दोष के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए ब्रह्मचारिणी की पूजा भी की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से मंगल की स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से देवी संतुष्ट होती हैं और व्यक्ति को सफलता के मार्ग पर जाने का वरदान देती हैं।
पूजा सामग्री
- मां ब्रह्मचारिणी की एक मूर्ति
- दूध का गिलास
- दही
- पिघलते हुये घी
- चीनी
- फल
- चमेली के फूल
- दूर्वा घास
- सुपारी और लविंगा
- कपड़े का एक टुकड़ा
- पूजा अनुष्ठान और मंत्र
पूजा विधि तथा मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन की जाने वाली पूजा की रस्में निम्नलिखित हैं, जो देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित हैं।
- भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और पूजा के लिए साफ कपड़े पहनते हैं
- वे ब्रह्मचारिणी की मूर्ति को शहद और दूध में विसर्जित करते हैं
- मूर्ति के माथे पर सिंदूर लगाया जाता है
- भक्त देवी की मूर्ति के सामने ताजे फल से युक्त प्रसाद रखते हैं।
- वे जीवन में समृद्धि और प्रचुरता के लिए विशेष कृपा और आशीर्वाद चाहते हैं।
ब्रह्मचारिणी मंत्र
ब्रह्मचारिणी मंत्र के जप किए बिना ब्रह्मचारिणी पूजा अधूरी है। नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जप कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। उनका मंत्र नीचे दिया गया है।
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
द्वितीया नवरात्रि की बधाई
हमारी प्रार्थना है कि माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे और आपके सभी कष्ट दूर करें। MyPandit टीम की ओर से बधाई!
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