रमजान (Ramadan): क्यों रखे जाते हैं रोजे जाने इसका महत्व
मुस्लिम कैलेंडर का नवां महीना रमजान या रमदान होता है, यह बहुत मुकद्दस माह होता है, इस दौरान मुस्लिम अनुयायी उपवास रखते हैं, जिसे रोजा कहा जाता है। यह आधे चांद की उपस्थिति के साथ ही शुरू होता है और उसी के साथ खत्म भी होता है। रमदान अरबी शब्द रमद से लिया गया है, जिसका अर्थ होता झुलसते हुए सूखना या सूर्य की धूप से तपना। मुस्लिम समुदाय के मुताबिक इस माह के दौरान अच्छे कार्य बढ़-चढ़कर किए जाते हैं, साल के बाकी महीनों की तुलना में कहीं अधिक दान पुण्य के काम किए जाते हैं।
रमदान 2025 की तारीख
2025 के लिए रमज़ान की शुरुआत शुक्रवार 28 फ़रवरी 2025 को मक्का में चाँद दिखने के बाद होने की उम्मीद है। 30 दिनों तक चलने वाला रमज़ान रविवार 30 मार्च 2025 को समाप्त होगा और ईद-उल-फ़ित्र का जश्न 31 मार्च 2025, सोमवार को मनाया जाएगा।
रमदान का इतिहास
रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है, और दुनिया भर के मुसलमान इसे मनाते हैं। रोजा, अकीदत, दुआ आदि इस पाक माह का हिस्सा होते है। रमजान प्राचीन अरबी कैलेंडर का हिस्सा रहा है। रमजान की उत्पत्ति 610 एडी साल पूर्व से बताई जाती है, इसका संबंध पैगंबर मोहम्मद साहब के साथ जुड़ा है। अल्लाह के दूत लियालत-अल-कदर की एक रात उनसे मिले थे और उन्हें पाक कुरान के बारे में बताया था। इसके रहस्य को कुरान में संकलित किया गया। कुरान के 114 अध्याय में इसे आप पढ़ सकते हैं, मुस्लिमों का दावा है कि इस किताब में अल्लाह के शब्द लिखे गए हैं। इन देवदूतों को अल्लाह का दूत माना जाता है। लोगों को रमजान के पाक महीने में रोजा करने के लिए कहा जाता है। पैगंबर मोहम्मद को लेकर मुस्लिमों का विश्वास है कि वे अल्लाह के आखिरी पैगंबर थे। उन्हें मानवता की सेवा करने व भाईचारे को बढ़ाने के लिए चुना गया था। पैगंबर मोहम्मद साहब ने कहा था कि जब रमजान माह की शुरुआत होती है, तब जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद हो जाते हैं। शैतान जंजीरों से बंधे होते हैं।
रमजान के फायदे
हजार साल से दुनिया भर के मुसलमान रमजान माह के दौरान रोजे रखते हैं। वे इस दौरान अल्लाह की खास मेहरबानी को पाना चाहते हैं। इस माह के दौरान खाने व पानी से दूरी, लोगों के लिए सेहत से जुड़े कई फायदे भी लेकर आती है। नियमित अकीदत, दुआ, अल्लाह में भरोसा और दान-पुण्य तो करते ही हैं साथ ही लोग सऊदी अरब के मक्का में हज यात्रा के लिए भी जाते हैं।
रोजा रखने के कई फायदे होते हैं। इससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सही रहता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य व आध्यात्मिकता भी बेहतर होती है। रमजान के दौरान मस्तिष्क की स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण होता है, मस्तिष्क में गतिविधियों में सुधार होता है, एकाग्रता बढ़ती है। जो लोग रोजे रखते हैं, वे इस दौरान खजूर खाते हैं, जो कि कैलोरी का अच्छा स्रोत होते हैं। खजूर में पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन बी होते हैं, यह पाचन शक्ति को भी सही रखता है। खजूर में विटामिन, पोषक तत्व, चीनी, फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है।
इस दौरान कोर्टिसोल हार्मोन कम होता है, जिससे तनाव में कमी आती है। व्यसनों का सेवन करने की मनाही होती है, धूम्रपान, मद्यपान और मीठे का उपयोग कम होने से भी शरीर को लाभ होता है।
जो लोग रमजान माह में नियमों का अनुसरण करते हैं, उन लोगों को लिपिड प्रोफाइल भी कम हो जाती है, जिसका अर्थ है कि उनके रक्त में कोलेस्ट्रॉल कम है और कोरोनरी की समस्याएं, दिल के दौरे या एनजाइना की समस्याओं की संभावनाएं कम हो गई है। रमजान शरीर से हानिकारक तत्वों को दूर करने के लिए भी फायदेमंद है। यह शरीर में लंबे समय से मौजूद हानिकारक तत्वों को दूर करने व पाचन को सही करने के लिए लाभकारी होता है।
इस माह में खाना कम खाने से पेट का आकार थोड़ा कम हो जाता है। कम खाने में भी पेट भरा हुआ सा लगता है, संतुष्टि लगती है। खाने का संतुलन बनाना बहुत अधिक जरूरी होता है।
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रमजान क्यों मनाया जाता है
रमजान मुस्लिमों के लिए एक पाक महीना होता है। इस माह के दौरान वे रोजा रखते हैं, आत्मनिरीक्षण करते हैं और अपने बुरे कामों के लिए अफसोस करते हैं। यह माह इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस माह में पैगंबर मोहम्मद साहब को कुरान का ज्ञान हुआ था। इस दौरान मुस्लिम मोहम्मद साहब के उपदेश को मानते हैं और उनका पालन करते हैं। यह माह आधे चांद से शुरू होकर करीब 29-30 तक आधे चांद वाले दिन तक चलता है। यह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि रमजान में रखने जाने वाले रोजों में थावे या अल्लाह की दुआएं मिली होती हैं।
रमजान के दौरान रोजा कैसे रखा जाता है
रोजा रखना सभी वयस्कों के लिए अनिवार्य होता है, यह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है। इसमें रोगियों, बुजुर्गों, मासिक धर्म व गर्भवती महिलाओं को छूट रहती है। बाकी सभी को रोजा रखना होता है। रोजे के दौरान किसी तरह का खाना खाने, पानी पीने, पेय पदार्थ, ज्यूस या कोई अन्य तरल पदार्थ खाने से परहेज किया जाता है। इस दौरान यौन गतिविधियों से भी दूर रहना होता है। इसमें दवा भी बिना पानी के लेनी होती है। इस दौरान कुरान की आयत सुननी होती हैं व गलत शब्दों या व्यवहार से बचने को प्राथमिकता दी जाती है।
रोजा कहता है कि अपने शरीर और आत्मा को सांसारिक प्रथाओं से दूर रहकर शुद्ध किया जा सकता है। दिल और दिमाग को पाक बनाया जाता है। जो भी रोजा रखता है, उससे यह उम्मीद की जाती है कि वह सुबह उठकर सबसे पहले एक ग्लास पानी पिए। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान नौवें माह में मनाया जाता है। हालांकि इसकी तारीख साल दर साल बदलती रहती है।
रमजान के आखिर में तीन दिन का उत्सव ईद-अल-फितर मनाया जाता है। यह चांद के दिखने को लेकर शुरू होता है, जब चांद सुबह नजर आता है।
रमजान के दौरान क्या खाएं
रमजान में दो तरह का खाना खाया जाता है। पहला खाना सुहूर कहलाता है। यह सूर्योदय से पूर्व खा लिया जाता है। यह इतना पौष्टिक होता है, जिससे दिन भर का काम चल जाए। इफ्तार शाम को सूर्यास्त के बाद होता है। जब सुहूर खत्म हो जाता है और फज्र की नमाज हो जाती है, उसके बाद इफ्तार किया जाता है। इफ्तार से पहले कई मुस्लिम खजूर खाते हैं। लोगों को अगली सुबह सुहूर से पहले रात भर खाने पीने की अनुमति होती है। सऊदी अरब के प्रसिद्ध व्यंजनों में लुकैमत, बकलवा और नफेह शामिल होते हैं।
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रमजान के दौरान रोजे के नियम
रमजान के दौरान मुस्लिमों को पूरे माह रोजे रखने होते हैं। इसके लिए उन्हें खास नियमों का पालन करना होता है।
- रोजे के दौरान कुछ भी खाना या पीना मना होता है।
- यौन गतिविधियों पर भी पाबंदी होती है।
- गलत व्यवहार और गलत वचन बोलने की मनाही होती है।
- दान जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है। जकात (अनिवार्य दान) जरूरी होता है।
- रोजा रखना, लोगों को दूसरे का साथ खाना बांटने की सीख देता है। यह जरूरतमंद लोगों की मदद करने को बढ़ावा देता है।
रमजान से जुड़ी कुछ बातें
- हर साल रमजान की शुरुआत 11 से 12 दिन तक आगे बढ़ जाती है।
- रोजों मेंं मिस्र में दिन को छोटा और रात को बड़ी करने के लिए घड़ी में बदलाव किया जाता है।
- कई मुस्लिम देशों की अर्थव्यवस्था रमजान के दौरान मुद्रास्फीति में वृद्धि देखने को मिलती है।
- सदका (स्वैच्छिक दान) और जकात (धार्मिक कर) रमजान के दौरान किए जाने वाले दान के दो रूप हैं।
- सवाम (उपवास), हज (तीर्थयात्रा), जकात (दान), सलात (मक्का के सामने रोज पांच बार की नमाज) इस्लाम के पांच स्तंभ हैं।
- रमजान के दौरान रोजा मददगार है, लेकिन पानी पर पाबंदी किडनी के काम को नुकसान पहुंचा सकती है।
रमदान कहां कहां मनाते हैं
अध्ययन बताते हैं कि 39 देशों में 93 फीसदी मुस्लिम रोजे रखते हैं। दक्षिण पूर्व और दक्षिणी एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और उप सहारा अफ्रीका जैसे इलाकों में रमजान की पालना बड़ी संख्या में की जाती है। मध्य एशिया और दक्षिण पूर्वी यूरोप में यह कम होता है।
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