हरतालिका तीज 2023 में कब है?
हिन्दू पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस वर्ष सोमवार, 18 सितंबर 2023 को हरतालिका तीज का व्रत किया जाएगा। इस पवित्र दिन पर व्रत रखने वाली महिलाएं पूरे दिन माता पार्वती और भगवान शिव की उपासना करती है। यह व्रत मप्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में मनाया जाता है। महिलाएं इस दिन अखंड सुहाग की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है।
हरतालिका तीज 2023 पूजा का मुहूर्त
तिथि | |
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हरितालिका तीज दिनांक | सोमवार, 18 सितंबर 2023 |
प्रातःकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त | 06:12 AM से 08:38 AM |
तृतीया तिथि शुरू | 17 सितंबर 2023 को सुबह 11:08 बजे |
तृतीया तिथि समाप्त | 18 सितंबर, 2023 को दोपहर 12:39 बजे |
हरतालिका का अर्थ और हरतालिका व्रत कथा
हरतालिका शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है ‘हरत’ जिसका अर्थ होता है हरण करना, और दूसरा शब्द है ‘आलिका’ जिसका अर्थ होता है सखी। इस व्रत के पीछे जो पौराणिक कथा है वो कुछ इस प्रकार है कि माता पार्वती ने अपने 107 जन्म लेने के बाद 108वां जन्म गिरिराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। शैलपुत्री के रूप में उन्होंने 12 वर्षों तक कठोर निर्जल तपस्या की थी, जिसमें हर एक ऋतु के कठोर प्रहार को भी उन्होंने सहन किया था। गिरिराज अपनी पुत्री की ऐसी दशा को देखकर चिंतित थे। ऐसे में एक दिन नारद ऋषि उनसे मिलने आए और उन्होंने गिरिराज को बताया की भगवान विष्णु उनकी पुत्री की कठोर तपस्या से प्रसन्न है और उनसे विवाह करना चाहते है। चिंतित गिरिराज के लिए यह प्रस्ताव किसी वरदान से कम नहीं था इसीलिए उन्होंने तुरंत इसे स्वीकार कर लिया। जब यह बात माता पार्वती को यह बात पता चली तो वह बहुत व्याकुल हो उठी और अपनी सखियों को अपनी दुविधा बताई की वे भगवान विष्णु से नहीं बल्कि भगवान शिव से विवाह करना चाहती है।
उनकी सखियों ने पार्वती की मदद करने के लिए उनका हरण करके एक घने जंगल में ले जाकर गुफा में छिपा दिया। इस गुफा में पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाया और निराहार-निर्जला रहकर भगवान शिव की पूरी तल्लीनता से आराधना की। यह पूजा-आराधना इतनी कठिन थी कि भगवान शिव का आसन कांपने लगा और उन्होंने माता पार्वती को दर्शन दिये। जब माता पार्वती ने उन्हें बताया कि वे उन्हें बहुत पहले ही अपने पति रूप में स्वीकार कर चुकी है, तब भोलेनाथ ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाने का वचन दिया। यह दिन हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल की तृतीया का ही दिन था। शिव जी से मिले वचन के पश्चात माता पार्वती ने उस शिवलिंग और पूजन सामग्री को जल में विसर्जित कर दिया और अपने व्रत का पारण किया। गिरिराज को जब यह पूरा घटनाक्रम पता चला तो उन्होंने भगवान विष्णु से क्षमा मांगकर शिव-पार्वती के विवाह को स्वीकृति दे दी।
हरतालिका तीज कैसे मनाई जाती है, पूजन विधि और सामग्री
- प्रातःकाल इस व्रत को ग्रहण करने का सबसे अच्छा समय होता है।
- इस दिन व्रत रखने वाली सभी स्त्रियां सवेरे नहाकर शुद्ध वस्त्र धारण करके अपने ईष्ट देव का ध्यान करती है, और पवित्र मन से पूजा की तैयारियों में लग जाती है।
- स्त्रियां इस दिन खासकर हरे या लाल रंग के वस्त्र और चूड़ियाँ पहनकर पूरा साजो-श्रृंगार करती है, जिसमें हाथों में मेहँदी लगाना भी शामिल होता है। इस पूरे दिन में महिलाएं एक नई दुल्हन की तरह तैयार होती हैं।
- किसी मंदिर में या घर में ही पूजा स्थल पर मुहूर्त के अनुसार रेत के शिव पार्वती की प्रतिमाएं बनाकर एक पाट पर केले का पत्ता रखकर उसपर यह प्रतिमा स्थापित की जाती है।
- इन मूर्तियों पर बिल्व पत्र, फूल- फल भुट्टा, धतूरा व पंचामृत आदि चढ़ाया जाता है। इसके साथ माता पार्वती को सुहाग का सारा श्रृंगार चढ़ाया जाता है।
- धूप-कर्पूर अगरबत्ती व घी के दीपक जलाकर चारों प्रहर में पूरे विधान के साथ पूजा व आरती की जाती है।
- इस व्रत में व्रत रखने वाली स्त्री का सोना निषेध है, इसीलिए रात में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण कर महिलाएं तीज के लोक गीत गाती हैं और हरतालिका तीज कथा को सुनती हैं, जो देवी पार्वती और भगवान शिव के मिलन की दिव्य कथा है।
- हरतालिका के समापन के रूप में स्त्रियाँ रेत की देव मूर्ति की आरती करके उन्हें और पूजा की सामग्री को जल में विसर्जित कर देती हैं और पूजा में आए चढ़ावे को दान कर देती है
- हरतालिका तीज उपवास पवित्र मंत्रों का जप करके अगले दिन प्रातः समाप्त होता है।
- एक बार सभी पूजा-अनुष्ठान पूरा हो जाने के बाद, महिलाएं अपने पति के पैरों को छूकर उनसे आशीर्वाद मांगती हैं और प्रसाद से अपने व्रत का पारण करती है।
गौरी हब्बा और हरतालिका तीज
भारत के विभिन्न राज्यों में यह त्यौहार अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। दक्षिण के राज्य प्रमुखत: कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इसे गौरी हब्बा अथवा स्वर्ण गौरी व्रत के नाम से मनाया जाता है। जबकि उत्तर भारत के राज्य मुख्यतः राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में इसे हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है.
गौरी शंकर को मनाने के लिए आरती व मंत्र
वैसे तो अधिकांशतः स्त्रियाँ इस दिन भगवान शिव की आरती गाती है, लेकिन हरतालिका तीज 2023 में माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती भी गाएं। आरती के साथ ही हरतालिका तीज के शुभ अवसर पर गौरी शंकर को प्रसन्न करने के लिए पुरे दिन मन ही मन इन मंत्रो को भी उच्चरित करें:
h3 मां पार्वती को प्रसन्न करने के 5 मंत्र
ॐ उमाये नमः। ॐ पार्वत्यै नमः। ॐ जगद्धात्रयै नमः। ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नमः। ॐ शांतिरूपिण्यै नमः।
h3 भगवान शिव को प्रसन्न करने के 7 मंत्र
ॐ नमः शिवाय। ॐ हराय नमः। ॐ महेश्वराय नमः। ॐ शम्भवे नमः। ॐ शूलपाणये नमः। ॐ पिनाकवृषेनमः। ॐ पशुपतये नमः।
इस तरह विधि -विधान से व्रत करने पर हरतालिका तीज 2023 में शिवशक्ति के आशीर्वाद से आपका व्रत सफल होगा और आपका सौभाग्य हमेशा बना रहेगा।
समापन
हरतालिका तृतीया के उपवास अनुष्ठानों और इसके महत्व के विवरण को आप पढ़ चुके हैं। साथ ही हमने हरतालिका तीज पूजा विधि का आयोजन कैसे किया जाता है, इस बारें में भी जानकारी हासिल की। उम्मीद करते हैं कि आपका त्योहार बहुत ही अच्छा होगा । आपको हरतालिका तीज की अग्रिम शुभकामनाएं देते हैं।