कुंडली के सांतवे भाव का ज्योतिष में महत्व
जिन्दगी में सब कुछ अच्छा चल रहा होता है, रिश्ते भी अपनी जगह खुशहाल होते है, लेकिन तभी अचानक से रिश्तों में कुछ ऐसा मोड़ आ आता है, की सब अस्त-व्यस्त हो जाता है। जब यह घटना होती है। तो ऐसी स्थिति में आप को भी यकीन होने लगता है, की आप वो इंसान नहीं रहे, पूरी तरह से बदल गए हैं। अगर इस बात को ज्योतिष से जोड़ कर देखें तो, ऐसा सप्तम भाव की वजह से होता है। इसी भाव से लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप की गणना की जाती है। आप की कुंडली के सप्तम भाव में वो सारे पैटर्न छुपे होते हैं, जिनकी मदद से व्यक्ति के भविष्य के बारे में बताया जाता है।
जिस प्रकार पंचम भाव हाउस ऑफ डिजायर है, उसी प्रकार सप्तम भाव शादी का घर माना जाता है। सप्तम भाव से हम जान सकते है, दोनो पार्टनर की ट्यूनिंग आपस में कैसे रहेगी, दोनों में रिश्ते की डोर किसके हाथों में होगी। यानी यह सब सप्तम भाव नियंत्रित करता है। रिश्ते में हम क्या चाहते हैं और हमारा रिश्ता हमसे क्या चाहता है। इसका भी पता हम सप्तम स्थान से लगा सकते हैं।
सप्तम भाव शुभ हो तो ना सिर्फ़ आप को रोमांटिक पार्टनर मिलता है बल्कि यह एक समझदार बिजनेस पार्टनर से भी मिलवा सकता है। जो आप की तरक्की में सहायक हो। इस पर क्रिस्लर कहते हैं ” यह हमारा निर्णय है, हमें किस व्यक्ति से जुड़ना है, और हम उन्ही से मिलना चाहते है। जिसमें हमें अपनी परछाई नजर आती है” अपनी बात को जारी रखते हुए वे कहते हैं कि ” सप्तम भाव के प्रभाव से समझा जा सकता है, कि हम किस प्रकार का व्यवहार दूसरों से करते हैं, और हमारे बातचीत करने का तरीका हमारे जीवन पर क्या असर डाल सकता है।”
सप्तम स्थान पर चर्चा करने से पहले हम आपको कुंडली के भावों और उनसे जुड़ी राशियों के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे इस तरीके से समझें “संसार की शक्ति इन भावों में छिपी है, राशियां वो व्यक्तित्व है, जिन्हे ग्रह रोज़ धारण करते हैं और भाव इन ग्रहों के लक्षण हैं। अपनी कुंडली के भावों और ग्रहों की स्थिति को जानने के लिए अच्छे ज्योतिष से संपर्क करें, या आप अपनी कुंडली हमारी वेबसाइट से भी बना सकते हैं। तब आप को समझने में आसानी होगी. किस स्थान में किस राशि का क्या मतलब है – तो चलिए जानते हैं सप्तम भाव की जानकारी और उनके रहस्य।
सप्तम भाव में राशि और उनका अर्थ
सप्तम में भाव में मेष राशि (Aries In Seventh House)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि काल पुरुष कुंडली की पहली राशि है, और सप्तम भाव में इस राशि का मतलब दूसरों के साथ रिश्ता बनाना, इसलिए इन दोनो के मेल से विवाद की स्थिति जन्म लेती है। यदि आपका पिछला रिश्ता अपने पार्टनर के साथ अच्छा नहीं रहा, तो इसका कारण आप का इगो ही रहा होगा, इसमें कोई संदेह नहीं। आप को जरूरत होती है एक ऐसे पार्टनर की जो आपको अपना स्पेस दे।
सप्तम में भाव में वृषभ राशि (Taurus In The Seventh House)
अब तक आप समझ ही गए होंगे सातवें घर की कहानी विवाहित जोड़ों के इर्द गिर्द ही घूम रही है, और वृषभ राशि अग्नि तत्व की होने के कारण, यहां टॉप लेवल का रिजल्ट देती है। यहां समझने वाली बात यह है की सप्तम स्थान का मतलब है, लॉयल और कमिटेड से जीवन भर साथ निभाना।
यहां स्थित वृषभ राशि स्टेबिलिटी, ट्रस्ट, वैल्यू के आधार पर कायम रहती हैं। अगर आप अपने रिश्ते में सेन्शूऐलिटी की खूबसूरती को निखारना चाहते हैं, तब आप को जमीन से जुड़े रहने की आवश्यक है। जब आप दोनो के बीच चीज़ें सही ना चल रही हो तब आप को चाहिए, की किसी भी बात की गहराई में न जाकर प्यार-मोहब्बत के साथ रिश्ते को निभाए। यदि अपने प्यार को आप खोना नहीं चाहते, तो आप को अपनी गलती स्वीकार करने की आदत डालनी पड़ेगी।
सप्तम में भाव में मिथुन राशि (Gemini In The Seventh House)
आपकी कुंडली के सप्तम स्थान में मिथुन राशि है, तब आप स्वभाव से मिलनसार होंगे और राह में कई सारे बिजनेस पार्टनर आप से जुड़ने की चाह में रहेंगे। आप दूसरों को खुश रखने की कला में माहिर होते है। जिसकी वजह से लोग आपसे बहुत प्यार करते हैं। क्यों की आप मिलनसार स्वभाव के होते हैं और दूसरों को समझने की आप में जिज्ञासा होती है, यही कारण है कि आप डेटिंग के लिए बढ़िया इंसान हैं। सप्तम भाव में स्थित मिथुन राशि वाले जातक को अपने साथी से कम्युनिकेट करते रहना चाहिए। वरना आप जल्दी बोर हो जायेगे।
सप्तम भाव में कर्क राशि (Cancer In The Seventh House)
आपको ऐसे साथी की तलाश करनी चाहिए। जो आपके नाजुक से दिल को संभाल सके। इस बात को इस तरह से समझे, “ख्याल करने वाली और ख्याल रखने वाली” के बीच का जो अंतर है वो अत्युतम है। दोनो के बीच नाराजगी की कोई जगह नहीं होती, परंतु किसी भी रिश्ते में जुड़ने से पहले इस बात को अवश्य समझ लेना आपको उस रिश्ते से क्या अपेक्षाएं हैं।
सप्तम भाव में सिंह राशि (Cancer In The Seventh House)
कुंडली के सप्तम भाव में स्थित सिंह राशि जातक के संबंधों को खुशियां, गर्माहट और प्लेजर से भर देती है। जब आप किसी व्यक्ति से सम्बन्ध जोड़ते हैं, तब आप को उस व्यक्ति के प्रति किए जाने वाले व्यवहार पर गर्व होता है। उस रिश्ते के प्रति आप उदार रहते हैं, जहां बात रिश्ते में अगुवाई की हो वो तो आप को करनी पड़ेगी। परंतु जब आप में असुरक्षा की भावना जन्म लेने लगती है, इसका सीधा असर आप के प्रेमी पर पड़ता है। आप चाहते हैं कि संबंधों में समस्या उत्पन्न न हो, तो इस बात का ध्यान आपको ही रखना पड़ेगा। आप अपने आप को कम ना आंके। आप अपने पार्टनर से इस विषय पर बात करें और सारा भार अपने कंधे पर उठाने की कोशिश ना करें। तभी जाकर रिश्ता खुबसुरत होगा.
सप्तम भाव में कन्या राशि (Virgo In The Seventh House)
कुंडली के सप्तम भाव में कन्या राशि के प्रभाव से जातक दूसरों की भलाई को ज्यादा महत्व देता है। अपने रिश्ते को चलाने के लिए आप हमेशा मदद का हाथ बढ़ाते हैं। आप को मूर्ति बन कर रहने की आदत डाल लेनी चाहिए। पंरतु इसमें महारत हासिल करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। आप को सीखना पड़ेगा पुराना जो रिश्ता था। उसे वही छोड़ देना अच्छा है, नए रिश्ते में उसे घुसेड़ने से सिर्फ समस्या बढ़ेगी।
सप्तम भाव में तुला राशि (Libra In The Seventh House)
तुला राशि के लिए सप्तम भाव नैसर्गिक स्थान है, जिसके कारण रिश्ते और खुशियों में चार चांद लग जाते हैं। दूसरों की जरूरतों को पूरा करते करते आप अपना अस्तित्व खो देते हैं। आप इस बात को अच्छे से समझ लें, कि आप को रिश्ते से क्या अपेक्षाएं है। जिससे आप को समझौता ना करना पड़े। अगर आप सोचते हैं मुकाबले से रुख मोड़ लेंगे तो ऐसा है नहीं। आप को कोम्मुनिकेशन करना ही पड़ेगा।
सप्तम भाव में वृश्चिक राशि (Scorpio In The Seventh House)
सप्तम भाव में वृश्चिक राशि होने से जातक की तलाश कभी खत्म नहीं होती, अगर उन्हें साथी मिल भी जाए। तो उनकी चाहते कभी संतुष्ट नहीं होती। ऐसे व्यक्ति अपने लिए समस्या तो खड़ी करते ही हैं। साथ ही दूसरो को भी परेशान कर देते हैं। ऐसे जातक को अपना प्रेम शारिरिक संबंध द्वारा दिखाना पड़ता है और यही इनके रिश्ते को मजबूती देता है। जिस जातक के सप्तम भाव में वृश्चिक राशि होती है। वो जातक रिश्ते के बीच भले ही दीवार खड़ी कर दे। परंतु शारीरिक संबंध नहीं तोड़ पाते। यही कारण है। इनका रिश्ता चुनौतियों से भरा होता है।
सप्तम भाव में धनु राशि (Sagittarius In The Seventh House)
सप्तम भाव के लिए धनु राशि सबसे सुलभ राशि है। धनु राशि का सप्तम में होना जातक के लिए वो सभी रास्ते खोल देता है जिसे खोजना सबके बस की बात नहीं। ऐसे जातक के लिए लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप मज़ा और आनंद देने वाला होता है।
अगर आप अपने रिश्ते को कायम रखना चाहते हैं तो संयम से शब्दों का चयन किया करें वरना आप पर भारी पड़ सकता है। शायद आप अपने आप को कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के इंटरेस्ट से दूर रखना चाहते हो। यूं भी हो सकता है की जो साथी आप पर हावी रहता हो आप के शब्दों से आहत हो जाए इसलिए आप को अपनी जरूरतों को समझने की जरूरत है।
सप्तम भाव में मकर राशि (Capricorn In The Seventh House)
यहां स्थित मकर राशि आप को बिजनेस पार्टनर से जोड़ता है। आप के लिए वफादारी सर्वोपरि है, इसी के साथ जब आप जिम्मेदारियों को महसूस करने लगते हैं, वहीं आपकी मुश्किलें बढ़नी शुरू हो जाती है। जो आप के रिश्ते से प्रसन्नता और आकर्षण को धीरे धीरे खत्म करने लगती है।
आप की एक छोटी सी गलती बड़े विवाद को अंजाम दे सकती है। और इसकी आड़ में जो ताक लगाए थे वो आप से नाता भी तोड़ सकते हैं। अपने आसपास की गतिविधियों पर नजर रखें। आप गुप्त खतरो की चपेट में आप आ सकते हैं। आप अपने साथी को जितनी जल्दी समझ जाएंगे, उतना खुश रहेंगे और साथी के साथ का आनंद ले पायेंगे। जब बात प्रेम की हो तब आप किसी के क्या अपने भी बस मे नही रहते।
सप्तम भाव में कुंभ राशि (Aquarius In The Seventh House)
जिस जातक के सप्तम भाव में कुम्भ राशि होती है। उनका मन आसमान में ही उड़ता रहता है। और जब इनकी भावनाओं को ठेस लगती है, तब इन्हे समझ नहीं आता इससे खुद को कैसे अलग करें। यह भी उन राशियों में से एक है। जो अपना अधिकार खोज रही हैं, यही बात इनके प्रेम संबंधों में भी दिखाई पड़ती है। ऐसे जातक नियम के साथ प्रेम का सम्बंध स्थापित करना चाहते हैं, मगर ऐसा संभव नहीं। ऐसे में आप दोनो बोर होकर अलग हो जाते हैं। दरअसल आप को ऐसे साथी की तलाश करनी चाहिए, जो आप से सहमत हो इसके लिए आप को स्वतंत्र रहकर वैसा दिखना होगा वास्तव में जैसे आप हैं। कहने का मतलब है ” चेहरे के नकाब हटाएँ साहब”।
सप्तम भाव में मीन राशि (Pisces In The Seventh House)
सप्तम स्थान में मीन राशि होने से जातक का पार्टनर केयरिंग, प्यार करने वाला और रोमांटिक होता है। ऐसी कुंडली वाले जातक के लिए इंटिमेसी प्रेम की परिभाषा होती है। भले आप प्रेम में खो जाएं, मगर इस बात को कभी न भूलें स्वयं को समय देना कितना जरूरी है। इसमें बुराई नहीं है, की आप को हर समय अपने साथी को पैंपर करना पसंद है, मगर इतनी निर्भरता हानिकारक हो सकता है।
सप्तम भाव में ग्रह और उनका महत्व
सप्तम भाव में सूर्य (Sun in 7th House)
यदि आप कंपनी की स्थापना करते हैं, पार्टनरशिप से काम करते हैं, या शादी करते हैं तो शादी के बाद पत्नी द्वार सप्तम स्थान में बैठे सूर्य के प्रभाव से आपको प्रॉफिट ही प्रॉफिट होगा। आपको पता है, आप क्या हासिल करना चाहते हैं, इसलिए आप निरंतर सफलता की सीढ़ी चढ़ते जाते हैं। कहने का मतलब यह है कि आप जिस परिवेश में जन्म लेते हैं, उस स्टेटस से कई ऊंचा आप उठते चले जाते हैं। ऊँचे ओहदे वाले को अपना पार्टनर बनाने की तलाश आप को होती है। यही कारण है आप का कॉन्फिडेंस कभी कम नहीं होता निरंतर बढ़ता ही जाता है, और तब आप सुरक्षित महसूस करते हैं।
सप्तम भाव में चंद्रमा (Moon in 7th House)
कुंडली में जब सप्तम भाव में चंद्रमा होता है, तो व्यक्ति का पार्टनर प्यार करने वाला, स्वभाव से दयालु और साथ निभाने वाला होता है। यदि आप विवाह के बंधन में बंध चुके हैं, या फिर व्यापार कर रहे हैं आप को एक ही प्रयास करना है। अपने मूड को नियंत्रित रखें। जब बात प्रेम संबंध की हो तो उस स्थिति में वे अपने पार्टनर से भावनात्मक समर्थन की अभिलाषा रखते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र सप्तम स्थान पर प्रभाव डालते हैं, ऐसे व्यक्ति में मेलजोल की समझ खूब होती है। चाहे वो प्रेम का मामला हो या अन्य कोई।
सप्तम भाव में बृहस्पति (Jupiter in 7th House)
यहां भी सूर्य की तरह गुरु सप्तम भाव में बैठ कर जातक विवाह द्वारा और पार्टनरशिप द्वारा धन लाभ पाते हैं। आप आशावादी होते हैं और अपने साथी से भी खूब अपेक्षाएं रखते हैं। यद्यपि आपका साथी आप की आशाओं के अनुसार रोमांटिक भी हुआ, तब भी अंत में आप को निराशा ही हाथ लगेगी। यहां स्थित बृहस्पति निश्चित ही व्यक्ति को पार्टनरशिप द्वारा नाम और प्रसिद्धि दिलाते हैं। सप्तम में बैठ कर बृहस्पति जातक को व्यापार में नई ऊंचाई तक ले जाते हैं ।
सप्तम भाव में शुक्र (Venus in the 7th House)
इस भाव में शुक्र होने से व्यक्ति के वैवाहिक सुख में कोई कमी नहीं होती। शादी के बाद आपकी सोशल और फाइनेंसियल स्थिति में सुधार होने लगता है। सप्तम में शुक्र की स्थिति व्यक्ति में रोमांटिक और नए आकांक्षाओं को जन्म देती है। आप को तलाश होती है ऐसे जीवन साथी की जिसके साथ आप जीवन के सभी सुखों को भोग सकें। अगर आप अपने प्रेमी से बहुत अपेक्षाएं रखते हैं तो अभी संभल जाना बेहतर है।
सप्तम भाव में मंगल (Mars in 7th House)
जब मंगल सप्तम भाव में हों तब आपको पैशनेट रिलेशनशिप की चाहत होती है। आप को ऐसे साथी की तलाश है, जिसमें एक्टिव और ब्रेव हो। ऐसे व्यक्त जिनकी कुंडली में मंगल सप्तम भाव में होते है, यह लोग बिना सोचे-समझें काम करते हैं। जिसकी वजह से इनके व्यापार और वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं।
सप्तम भाव में बुध (Mercury in 7th House)
यहां पर बुध होने की वजह से व्यक्ति कम्युनिकेशन स्किल से भरपूर होता है। परंतु यहां स्थित बुध के कारण आप प्रेम संबंधों में ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं। जिसकी वजह से रिश्ते में दरार आ सकती है। ऐसे जातक बुध की वजह से आराम करना ज्यादा पसन्द करते हैं। मेहनत करना इन्हें कम ही पसंद होता है। अगर समय रहते आप अपने अंदर बदलाव ले आए, तो आप प्रेम संबंधों का लाभ अवश्य ले पाएंगे। आप के लिए सलाह यही है की आप अपने व्यवहार में सरल और ईमानदार बने रहें।
सप्तम भाव में शनि (Saturn in 7th House)
सप्तम के शनि ईमानदार और रोमांटिक साथी से आप की मुलाकात करवाते हैं। आप अपनी उम्र से अधिक वाले व्यक्ति के प्रेम में पड़ सकते हैं। जिसके साथ भी आप किसी बंधन में बंध जाते हैं तो आप उस व्यक्ति के सपने पूरे करने में मदद करते हैं। वास्तव में आप प्यार के लिए शादी नहीं करते हैं, बल्कि भावनात्मक आधार की तलाश पूरी हो, इसलिए रिश्ता जोड़ते है। भले ही आप रिश्ते में कमी महसूस कर रहे हों, परंतु आप का साथी किसी भी हाल में आप को अकेला नहीं छोड़ेगा।
सप्तम भाव में राहु (Rahu in the 7th House)
जब कुंडली के सप्तम स्थान पर राहु विराजमान होते हैं। तब जातक में एकता का भाव होता है। फिर चाहे वो वैवाहिक जीवन हो या साझेदारी से किया गया बिज़नस हो। भावनात्मक रूप से जुड़ने के लिए आप को कठिन प्रयास करना पड़ता है। सप्तमस्थ राहु वाले व्यक्ति अमूमन असामान्य व्यक्ति की ओर आकर्षित होते हैं। इस भाव में राहु की वजह से व्यक्ति विश्वास की पात्रता खो देता हैं।
सप्तम भाव में केतु (Ketu in 7th House)
सप्तमस्थ केतु जीवनसाथी के स्वस्थ पर सीधा असर डालता है, और इसी के साथ वैवाहिक जीवन में परेशानियां उत्पन्न करता है। इतना ही नहीं आप भी केतु के कारण सेहत से जुड़ी समस्या से जूझ सकते हैं। कोई आप के साथी की तारीफ करें। आपको बिलकुल भी रास नहीं आता। ऐसे व्यक्ति एकांत प्रिय होते हैं, और सभी कार्य स्वयं करना पसन्द करते हैं, किसी की रोक टोक बर्दाश्त करते हैं। अगर कोई व्यक्ति पार्टनरशिप कर भी ले तो उसमें किया गया निवेश दोनो के लिए हानिकारक होता है। आप की छोटी छोटी बातों पर साथी से लड़ाइयां होती रहेगी। अगर व्यापार कर रहे हैं तो उसमें भी नुकसान झेलना पड़ेगा मुनाफा नहीं कमा पाएंगे।
ज्योतिष में सातवें भाव का अर्थ
हम अपने जीवन साथी से क्या चहते हैं इसका पता पंचम भाव से लगाया जाता है जिसे हाउस ऑफ डिजायर्स भी कहते हैं। इसी प्रकार सप्तम स्थान शादी का घर भी कहा गया है, फिर चाहे वो समझौते से की गई शादी हो या समर्पित भाव से। किसी रिश्ते से हम क्या चाहते हैं और उससे जुड़ी हमारी आदतों का लेखा जोखा सप्तम भाव से मिलता है।
सप्तम भाव में कौन सा ग्रह शुभ होता है
अब तक तो आप सब समझ गए होंगे सप्तम भाव का अध्ययन शादी के लिए किया जाता है। और शुक्र को विवाह का कारक माना गया है। गुरू, शुक्र, बुध और चंद्र सप्तम में शुभ फल देते हैं, वहीं सूर्य, शनि, मंगल, राहु और उनके को अशुभ फल देने वाले ग्रहों की सूची में रखा गया है।
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