कल्कि अवतार (Kalki Avatar): भगवान विष्णु के 10वें अवतार की कहानी
यदि हम श्रीमद्भागवत गीता और ब्रह्माण्ड पुराण का अध्ययन करें तो हम पढ़ेंगे कि धरती पर धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु अपना दसवां अवतार लेंगे। जब पृथ्वी पर अधर्म अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगा और धर्म को पूर्णतया लोप होता हुआ दिखाई देगा, तब भगवान विष्णु अपने दसवें अवतार कल्कि भगवान (Kalki Avatar) के रूप में इस धरा पर आएंगे। वह घोड़े पर सवार तथा हाथ में तलवार लिए होंगे। वह समस्त दुष्टों तथा अधर्मियों का नाश कर धरती पर पुन: शांति तथा धर्म को स्थापित करेंगे और सद्जनों तथा सनातन धर्म के अनुयायियों का कल्याण करेंगे। केवल हिंदू पुराणों में ही नहीं वरन कुछ सिख ग्रंथों में भी उनके अवतरण की बात मिलती है। आइए भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
कल्कि अवतार के बारे में ज्ञात तथ्य (Known Facts About Kalki Avatar)
बहुत से हिंदू शास्त्रों तथा कथाओं में कहा गया है कि कुल चार युग हैं, जिनमें सत्य युग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग शामिल हैं। हम वर्तमान में कलियुग में रह रहे हैं, जो लगभग 4,32,000 वर्ष की समायवधि वाला है। कलियुग की शुरुआत आज से 5000 साल पहले हुई थी, जिसका अर्थ है कि कलियुग के पूरा होने में अभी 4,27,000 साल बाकी हैं। इसके बाद, धरती पर पुन: सत्य युग लौटेगा। ये युग एक कैलेंडर की तरह काम करते हैं और एक युग के बाद दूसरा युग, दूसरे युग के बाद तीसरा और अंत में चौथा युग आता है, चौथा युग समाप्त होते ही पुन: प्रथम युग लौट आता है। पौराणिक कहानियों में कल्कि अवतार के बारे में बताया गया है, वह कलियुग का नाश कर सतयुग के आने की राह बनाते हैं।
द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने महाभारत के युग के पश्चात धर्म की स्थापना कर धरती को त्याग दिया था। कुछ समय तक सब कुछ सही था परन्तु जल्द ही, लालच ने मानव मन पर कब्जा कर लिया और लोग अध्यात्म से दूर जाने लगे। आज इतनी बुरी स्थिति आ चुकी है कि हर तरह अधर्म, अन्याय और कष्ट दिखाई देते है। इस समय मानव मन सर्वाधिक पीड़ित और दुखी है।
भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के लिए भविष्यवाणियां (Predictions For Lord Vishnu's Kalki Avatar)
पौराणिक कहानियों के अनुसार कलियुग के अंत में कल्कि अवतार का जन्म होगा। वह हाथों में तलवार लिए हुए देवदत्त (नामक एक उड़ते हुए घोड़े) पर सवार होंगे तथा बुरी शक्तियों का नाश कर धर्म का स्थापना करेंगे। वह धरती का भार कम कर मानव कल्याण की राह दिखाएंगे।
पुराणों में भगवान विष्णु और ऋषि मार्कंडेय के बीच बातचीत का विवरण मिलता है। इसमें कहा गया है कि भगवान विष्णु ऋषि को बताते हैं कि जब भी नकारात्मक शक्तियां पृथ्वी पर शासन करने की कोशिश करेंगी, तो वह उनका नाश करने के लिए अवतार लेंगे। भगवान यह भी कहते हैं कि वह कलियुग के अंत में अपना अगला अवतार लेंगे। कल्कि पुराण भी भगवान विष्णु के 10 वें अवतार, कल्कि अवतार की भविष्यवाणी करता है। पुराण कहता है कि अगर यदि बुरी शक्तियों का अन्याय हद से अधिक बढ़ जाएगा तब भगवान विष्णु पृथ्वी पर हस्तक्षेप करेंगे और दुष्टों का संहार करेंगे।
बहुत से अन्य धार्मिक ग्रंथ भी कल्कि के जन्म की भविष्यवाणी करते हैं। कई स्थानों पर कहा गया है कि कल्कि किसी एक छोटे से गांव शम्भाला का राजा के रूप में आएंगे। वह ईमानदार और अच्छे लोगों को डकैतों और अधर्मियों से बचाएंगे। भविष्यवाणियों से संकेत मिलता है कि कल्कि बैसाख महीने की पूर्णिमा के बाद 12 वें दिन जन्म ले सकती हैं। कलियुग के अंत समय में उनका जन्म होगा।
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कल्कि की कथा (The Legend Of Kalki)
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय ऋषि भृगु ने भगवान विष्णु को श्राप दिया था। कथा में कहा गया है कि एक बार देवताओं से पीड़ित राक्षस गण भृगु ऋषि के आश्रम में शरण लेने के लिए पहुंचे। जब देवताओं को इस बात का पता चला तो उन्होंने भृगु ऋषि के आश्रम में ही राक्षसों को नष्ट करने का प्रयास किया परन्तु भृगु की पत्नी ने अपनी आध्यात्मिक शक्तियों का उपयोग करके राक्षसों को बचाया। बाद में, देवताओं ने भगवान विष्णु के पास जाकर मदद मांगी। इस पर भगवान विष्णु ने तुरंत ऋषि भृगु की पत्नी का सिर काट दिया। जब ऋषि भृगु को अपनी पत्नी की मृत्यु के बारे में पता चला, तो उन्होंने भगवान विष्णु को पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दे दिया। इस श्राप के कारण ही भगवान विष्णु को बार-बार धरती पर जन्म लेना पड़ा। ऐसे में उन्होंने धरती का भार हरण करने के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए जब भी पृथ्वी पर राक्षसी शक्तियों का आधिपत्य बढ़ने लगा, उन्होंने अवतार लेकर उनका नाश किया। इस क्रम में कल्कि अवतार भगवान विष्णु का दसवां तथा अंतिम अवतार होगा जो पृथ्वी पर पुन: सतयुग की स्थापना करेगा।
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भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार (Different Incarnation Forms Of Lord Vishnu)
हिंदू धर्म में, तीन प्रमुख देवता ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश (शिव) सृष्टि के सृजन, संचालन तथा प्रलय का कार्य करते हैं। भगवान ब्रह्मा सृष्टि का सृजन करते हैं, उनके बनाए ब्रह्माण्ड की रक्षा तथा पालन का कार्य भगवान विष्णु करते हैं। जब सृष्टि का समयकाल पूर्ण हो जाता है, तब भगवान शिव प्रलय के द्वारा समस्त सृष्टि को स्वयं में लीन कर लेते हैं। अपने दायित्व की रक्षा के लिए भी भगवान विष्णु धरती पर अवतार लेते हैं। उनके दस अवतार निम्न प्रकार हैं-
मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार और अंतिम कल्कि अवतार होगा। अब तक उनके नौ अवतार अवतरित हो चुके हैं तथा कल्कि अवतार का जन्म लेना बाकी है।
कलियुग का अंत कब होगा? (When will Kali Yuga End?)
सृष्टि की गणना के अनुसार कलियुग की कुल समयावधि लगभग 432,000 वर्ष है। कलियुग को आरंभ हुए 5000 वर्ष बीच चुके हैं, इस प्रकार कलियुग की समाप्ति में अभी भी 4,27,000 वर्ष शेष बचे हुए हैं। इस प्रकार कलियुग की समाप्ति के बाद सतयुग आएगा। कलियुग के अंत समय में ही कल्कि अवतार दुष्टों का संहार कर सतयुग की स्थापना करेंगे।