सत्व, रजस, तमस – जानें प्रकृति के तीन गुणों के बारे में
जब हम रहस्यों की बात करते हैं, तो इस दुनिया में अगर सबसे रहस्मयी कोई चीज है तो वो है इंसान। हर इंसान में इतने गुण समाए होते हैं कि वो उन्हें कही ख़ास तो कही रहस्मयी बना देते हैं। जैसा की हम जानते है, मानव प्रजातियों के विकास की सुंदरता विविधता में निहित है। भले ही इस पृथ्वी पर अरबों की संख्या में लोग रहते हैं। लेकिन जादू लोगों की संख्या में नहीं बल्कि, जादू इस तथ्य में निहित है कि हम सब अलग-अलग विशेषताएं लिए हुए हैं। हमारे ख़ास गुण ही हमें लोगों से अलग बनाते है। यह गुण कुछ सकारात्मक हो सकते हैं, जबकि अन्य नकारात्मक हो सकते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे ग्रहों की ऊर्जा हमारी क्षमता को नियंत्रित करती है। जैसा कि हम ज्योतिष में पहचानते हैं, प्रत्येक ग्रह में अद्वितीय व्यवहार पैटर्न या क्वालिटी होती है, जिन्हें गुण कहा जाता है। कुंडली के किसी भाव में बैठकर जब यह ग्रह अपनी प्रकृति के अनुसार व्यक्ति के चरित्र और व्यवहार में छाप छोड़ते है, तो वो उसके गुण बन जाते है। व्यक्ति की इन्हीं गुणों के आधार पर हम लोगों को सात्विक, राजसिक या तामसिक श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं। आयुर्वेद का विज्ञान भी किसी भी उपचार का निदान या निर्धारित करने से पहले इन्हीं गुणों पर विचार करता है। तब जाकर वह उपचार करते हैं।
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, गुणों को सात्विक, राजसिक और तामसिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह गुण व्यक्ति की ऊर्जा के अलावा और कुछ नहीं हैं। यह ऊर्जा निर्धारित करती हैं कि कोई व्यक्ति कैसे कार्य और व्यवहार करता है। ये ऊर्जा सकारात्मक, नकारात्मक या तटस्थ हो सकती हैं। ज्योतिष का संबंध राशियों के गुण से होता है। यदि आप अपने कुछ कामों को बिल्कुल पसंद नहीं करते, उन्हें बदल भी नहीं सकते। तो परेशान मत होइए। हम आपको इस पोस्ट के अंत तक आपकी समस्या का समाधान बता देगे। आपको समझ आएगा की कैसे इस समस्या का हल निकलेगा। एक बार जब इन तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, तो आप न केवल आप को नेविगेट कर सकते हैं, बल्कि आप किसी ऐसे व्यक्ति का मार्ग भी रोशन कर सकते हैं जिसकी आप परवाह करते हैं।
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तीनों गुणों के लक्षण
जो लोग सात्विक गुण की अधिकता लिए होते हैं, ऐसे सात्विक गुण या सत्त्वगुण वाले बहुत ही दयालु, पवित्र, खुश, ज्ञानी, बुद्धिमान और सकारात्मक वाले होते हैं। वे महान आस्तिक और निष्पक्ष होते है। यह लोग हमेशा अनुचित, सही या गलत के बारे में बहुत विचारशील होते हैं। वे मानव और पशु दोनों के प्रति बराबर संवेदनशीलता रखते है। यह दैवीय गुण को दर्शाता है। सात्विक गुण वाले लोगों को जीवन में उच्च उद्देश्य और ज्ञान के रहस्यवाद को समझने की भी भूख होती है।
अब बात करते है रजत गुण वालों की, आज की दुनिया में ये वही लोग होते जिन्हें हम अचीवर्स कहते हैं। ये जुनूनी, आत्म-प्रेमी लोग हैं। यह लोग उस स्थिति में आक्रामक, अधीर और आवेगी हो सकते हैं, यदि उनके लक्ष्य पूरे नहीं होते हैं। इनको अपने लक्ष्य से बहुत प्यार होता है। लक्ष्य न मिलने की स्थिति में यह लोग आवेगी हो जाते हैं। सत्त्व गुण वाले लोगों को इस युग का कर्ता कहा जाता है। जब जोश के साथ प्रतिस्पर्धा करने की बात आती है, तो ये सर्वश्रेष्ठ होते हैं। वे दूसरों को प्रेरित कर सकते हैं।
अब बात करते है, तमस गुण वाले लोगों के बारे में। यह लोग वही विनाशकारी लोग हैं, जो जाने – अनजाने में हमेशा गलत रास्ता चुनते हैं। भले ही उनके दरवाजे पर मदद हो, वो सही रास्ते पर चल सकते हैं, पर यह लोग चलना नहीं चाहते। तामसिक गुण वाले लोगों के लिए सत्य और अधिक ज्ञान एलर्जी वाले पदार्थ हैं। इन तीन गुणों रजस तमस और सत्व के बारे में एक अच्छी बात यह है कि यह स्थिरता प्रदान करता है।
तीनों गुण और ग्रह
जैसा कि हम सब जानते है कि, प्रत्येक ग्रह एक विशिष्ट गुण के प्रति प्रतिक्रिया देता है। जिन ग्रहों को सात्विक गुण या सत्त्वगुण का कारक माना जाता है, वे सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति है। बुध और शुक्र को राजसिक गुण या राजस गुण प्रदर्शित करने वाले माने ज़ाते हैं। जबकि शनि, मंगल, राहु और केतु को तामसिक गुण का सूचक माना जाता है।
- सूर्य आत्मा का और चन्द्र पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इसकी वजह से यह दोनों गुण सात्विक ग्रह कहलाते है। इसका एक और कारण भी है। ज्योतिष में सूर्य को पिता और चन्द्र को माता का प्रतीक माना जाता है।
- शुक्र ग्रह सुख का और बुध सांसारिक हितों के बारे में जानकारी देता है। इनकी प्रकृति सौम्य होती है। इसलिए यह राजसिक गुण में आते है।
- शनि आलस्य और अवसाद को नियंत्रित करता है। राहु भय और आसक्तियों को नियंत्रित करता है, इन ग्रहों को तामसिक कहा जाता है।
- मंगल अवांछित शत्रुओं और दुर्घटनाओं की ओर इशारा करता है, इसलिए यह तामसिक भी है। यह उग्रता का प्रतीक भी होता है।
- केतु हर चीज का एक्सट्रीम होता है। यह सात्विक और तामसिक दोनों को प्रदर्शित कर सकता है। जब यह शर्म या निष्क्रियता दिखाता है, तो यह तामसिक है। आस्था, ज्ञान और मुक्ति सात्विक की ओर संकेत करते हैं।
ज्योतिष राशि और गुणों की प्रवृत्ति
अब हम आगे देखेंगे की कैसे राशियों के अपने गुण होते है, लेकिन इसमें यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि हम किसी के गुण की किसी से तुलना नहीं कर सकते। इन गुणों को हमें संतुलित करने का तरीका खोजना चाहिए। यह तरीका किसी विशेषज्ञ के सानिध्य में ही खोज सकते हैं। ताकि जिन्दगी में सद्भाव बना रहे।
- मेष, कर्क, तुला और मकर राशियों वालों के अंदर राजसिक गुण पाए जाते हैं। वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशियों में तामसिक गुण पाए जाते हैं।
- मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशियों में सात्विक गुण के लक्षण होते हैं।
आपके गुणों के बारे में जानने योग्य बातें
आप गुणों को प्रवृत्तियों के रूप में भी वर्गीकृत कर सकते हैं। आपके कर्म इस का अनिवार्य हिस्सा हैं। नीचे दिए गए अवलोकन से आपको गुणों के आधार पर व्यक्ति का स्वभाव निर्धारित करने में मदद मिल सकती है। यदि आप लोगों के केवल उनके गुणों के आधार पर समझना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान दें।
- तामसिक लोगों के लिए धर्म, कर्म, मोक्ष और अर्थ के सिद्धांत अर्थहीन हैं। इन लोगों को इन सब से कोई मतलब नहीं होता है। यह लोग हमेशा हर काम के लिए अपनी उल्टी बुद्धि का प्रयोग करते हैं। यह लोग सबसे निष्क्रिय, विनाशकारी और अम्लीय लोग हैं। जिनको कोई भी चीज सीधी समझ नहीं आती है।
- राजसिक लोग आत्म-विकास पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। इस गुण वाले व्यक्ति जो कुछ भी करना चाहते हैं, उसे हासिल करने के लिए तैयार रहते हैं। इनका यह स्वभाव इन्हें कभी-कभी आत्म-केंद्रित भी बना देता हैं। वे सिद्धि की भावना से प्रेरित होते हैं। यह लोग अपने हर काम को व्यवस्थित तरीके से करने में यकीन रखते हैं।
- सात्विक लोग वे होते हैं, जो हमेशा संतुष्ट दीखते है। इस गुण वाले लोग उदार, मदद करने वाले, शुद्ध आत्मा के जानकार होते हैं। वे सकारात्मक कर्मों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह ज़िंदगी के भागदौड में भरोसा नहीं रखते हैं। जो है उस चीज में तसल्ली पा लेते है।
गुण को संतुलित करने के तरीके
इतना सब पढ़ने के बाद तो आपको समझ आ गया होगा की कौन सा गुण किस तत्व से जुड़ा हुआ है। यदि आप अपने गुणों को संतुलित करने का तरीका जानना चाहते है, तो इसका सिर्फ एक ही तरीका है अपने भावनात्मक पैटर्न और सकारात्मक कार्यों पर थोड़ी महारत हासिल करके, इनको संतुलित कर सकते हैं। आपको एक बात और ध्यान में रखनी होगी। जीवन को और गुणों को संतुलित करने के लिए सिर्फ भावनात्मक पैटर्न और सकारात्मक कार्यों पर ही ध्यान नहीं, बल्कि अपने खानपान पर भी ध्यान देना होगा।
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जैसा की हर मर्ज की दवा होती है। ठीक वैसे ही इन तीनों गुणों को बैलेंस करने की भी दवा है। जैसे हम इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते है, वैसे ही इन गुणों को बैलेंस करने के लिए हमें खगोल विज्ञान के महारथियों के पास जाना चाहिए। ‘जहां चाह वहां राह ” इस कहावत को आप ऐसा भी कह सकते हैं । ” जैसे “जहां गुण दोष हैं, वहां खगोलविद हैं।” आपको उन तक पहुंचने की कोशिश करने के लिए दृढ़ संकल्प होना चाहिए। यह आपको सही राह दिखाने में मदद कर सकते हैं।