किचन के लिए वास्तु टिप्स (vastu tips for kitchen) : जानें कैसा होना चाहिए किचन

प्राचीन भारतीय विज्ञान “वास्तुशास्त्र” के नियमों का ध्यान रखते हुए यदि आप अपने किचन का डिजाइन और निर्माण करते हैं तो हमेशा भाग्य आप पर मेहरबान रहेगा। वास्तु के अनुरूप बनाई गई किचन से एक तरफ तो परिवार के सभी लोग स्वस्थ रहेंगे, वहीं दूसरी ओर उनके जीवन में सुख और समृद्धि कभी समाप्त नहीं होगी। वैसे भी भारतीय परंपरा में किचन को घर का एक ऐसा हिस्सा माना गया है जो पूरे घर को प्रभावित करता है। महिलाओं के दिन का अधिकांश हिस्सा किचन में ही बीतता है, ऐसे में किचन में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष होने पर उसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव भी महिलाओं पर ही पड़ता है। आधुनिक सुख-सुविधाओं के साथ डिजाइन की गई किचन में यदि वास्तु के कुछ नियमों का पालन किया जाए तो घर की महिलाओं के साथ-साथ सभी फैमिली मेंबर्स पर इसका पॉजिटिव असर होगा।

आजकल के तकनीकी युग को देखते हुए हमारे पास बहुत सी ऐसी सुविधाएं हैं जो पहले नहीं हुआ करती थीं। आधुनिक वास्तु में इन सभी चीजों को कहां रखना चाहिए, इसके लिए भी वास्तु एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं। उदाहरण के लिए साउथ-ईस्ट डायरेक्शन अग्नि का कोण है अतः किचन इसी दिशा में होनी चाहिए। यदि किसी कारण से इस दिशा में किचन नहीं बना पाते हैं तो फिर किचन नॉर्थ वेस्ट दिशा में बनाई जा सकती है। इसी तरह नॉर्थ, नॉर्थ-ईस्ट तथा साउथ-वेस्ट में कभी भी किचन नहीं बनानी चाहिए। इन दिशाओं में बनाई गई किचन वहां रहने वाले परिवार की आपसी कलह और नाश का कारण बनती है।


किचन डिजाईन करते समय ध्यान रखें ये वास्तु टिप्स (Important of Vastu Shastra While You Design a Kitchen)

हम जिस जगह पर रहते हैं, वहां के वातावरण तथा वहां मौजूद सभी प्रकार की एनर्जी का हम पर प्रभाव पड़ता है। किचन हमारे घर का एक जरूरी हिस्सा है जहां पर पूरे परिवार के लिए खाना बनता है। यदि यहां पर पॉजिटिव एनर्जी रहेगी तो प्रेम से भरा भोजन खाने और खिलाने से परिवार के सभी सदस्यों में स्नेह बढ़ेगा और सभी लोग स्वस्थ भी रहेंगे। परन्तु यदि यहां पर नेगेटिव एनर्जी होगी तो वह खाने के जरिए पूरे परिवार को प्रभावित करेगी। इसलिए यह जरूरी है कि किचन में हर एक चीज का ध्यान रखा जाए ताकि वहां पर अधिकतम पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो बना रहे और हम उसका लाभ उठा सकें।

वास्तुशास्त्र के अनुसार किचन को डिजाईन कर बनाया जाए तथा सभी जरूरी मशीनों व डिवाइस को वास्तु के नियमों के आधार पर सही जगह रखा जाए तो बहुत कम खर्चे और मेहनत में किचन के जरिए भी सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। इस तरह हम अपने किचन को सही करके पूरे परिवार को फायदा पहुंचा सकते हैं। आइए जानते हैं कि किचन में वास्तु दोष होने पर हमें किन कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

परिवार में कलह : यदि आपके घर में हमेशा कलह बना रहता है, परिवार के सदस्य आपस में एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं तो इसके पीछे वास्तु दोष मुख्य कारण हो सकता है।

स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां : किचन में नेगेटिव एनर्जी का जनरेट होना या एनर्जी का बैलेंस नहीं होना घर के सदस्यों के खराब स्वास्थ्य का कारण बन सकता है। किचन का वास्तु सही होने पर स्वास्थ्य संबंधी सभी परेशानियां खुद ही सही हो जाएंगी।

पैसे संबंधी समस्याएं : यदि घर में किसी तरह का वास्तु दोष है तो उस घर में रहने वाले परिवार के सदस्यों को सदैव आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, परिवार की पूरी कमाई डॉक्टर और दवाइयों में ही खर्च हो जाती है, कई तरह के झगड़े होते रहते हैं और घर का मालिक को पैसे की तंगी झेलनी पड़ती है।


किचन में कलर थैरेपी के लिए वास्तु टिप्स (Best Vastu Tips for Colour Therapy in Kitchen)

वास्तु के अनुसार किचन में कलर थेरेपी भी हमारे मन, मस्तिष्क तथा शरीर को स्वस्थ व शांत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन में कई रंगों का प्रयोग किया जा सकता है। इन कलर्स के प्रयोग से न केवल किचन बल्कि पूरे घर में पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो बनाता है, साथ ही घर भी सुंदर दिखाई देता है। इसलिए वास्तुशास्त्र के अनुसार ही आपको अपने घर का कलर चुनना चाहिए।

किचन को पूरी तरह से वास्तुशास्त्र के अनुसार ही सजाना चाहिए। किचन को घर के साउथ-ईस्ट डायरेक्शन में बनाना चाहिए, वहां पर वास्तु के अनुसार ही दीवारों का कलर होना चाहिए ताकि सभी परिजनों का स्वास्थ्य बढ़िया रहे और घर में सुख, समृद्धि बनी रहे।

किचन में वास्तु के अनुसार आप इन कलर्स में से किसी भी एक कलर या कलर कॉम्बिनेशन को चुन सकते हैं।

  • लाइट स्कारलेट रेड (पवित्रता का प्रतीक)
  • सैफरॉन ऑरेंज (शक्ति तथा साहस का प्रतीक)
  • ब्रिक ऑरेंज (गतिशीलता और मोटिवेशन का संयोजन)
  • पीच कलर (सामंजस्य और विश्वास का प्रतीक)
  • वुडी ग्रीन (प्रकृति तथा हरियाली का कॉम्बिनेशन)
  • ब्राउन (डायजेस्टिव सिस्टम को सही रखने वाला)

कौन सी दिशा किचन के लिए उपयुक्त नहीं है (Which Direction is Not Good for the Kitchen?)

आमतौर पर एक घर में सभी तरह की एनर्जी होती हैं, फिर चाहे वो बेडरूम हो, बाथरूम हो, पूजा रूम हो या फिर घर का कोई भी हिस्सा हो। किचन के जरिए भी घर में पॉजिटिव एनर्जी को एकत्रित किया जा सकता है। किचन का लेआउट तैयार करने से लेकर वहां पर एप्लायंसेज को सही जगह पर रखने और दीवारों पर कलर स्कीम चुनने तक हर जगह वास्तु की टिप्स फॉलो कर आप मनचाहा इफेक्ट चुन सकते हैं।

अच्छी तरह डिजाइन किया गया लेआउट
यदि आप घर बनाते समय पहले से ही पूरे घर सहित किचन की भी प्री-प्लानिंग कर लें तो बेहतर रहेगा। किचन को साउथ-ईस्ट कॉर्नर में रखें। जमीन का यह हिस्सा किचन के लिए सर्वाधिक बेस्ट ऑप्शन हैं। यदि यहां किचन नहीं बना सकते तो नॉर्थ-वेस्ट में किचन बनाई जा सकती है।

किचन में एंट्रेंस सही दिशा में होना चाहिए
लेआउट और डिजाइनिंग के अलावा किचन का एंट्रेंस गेट भी बहुत महत्व रखता है। वास्तु एक्सपर्ट्स के अनुसार किचन में एंट्रेंस ईस्ट, वेस्ट या नॉर्थ डायरेक्शन में रखा जा सकता है। यहां यह ध्यान रखें कि किचन का गेट किसी कॉर्नर में नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार खाना बनाते समय मुंह नॉर्थ या ईस्ट फेसिंग होना चाहिए। ज्यादा जानने के लिए हमारे एक्सपर्ट से बात करें।

किचन में स्टोव कहां रखें
किचन का लेआउट डिजाईन करते समय कुकिंग गैस को भी प्लान कर लेना चाहिए। गैस स्टोव को किचन के साउथ-ईस्ट डायरेक्शन में ही रखना चाहिए।

सिंक तथा पानी का स्थान सही दिशा में होना चाहिए
वास्तु के अनुसार न केवल किचन बल्कि बाथरूम में भी सिंक और पानी का स्थान नॉर्थ -ईस्ट डायरेक्शन में होना चाहिए। यदि ओवरहेड पानी स्टोरेज की प्लानिंग कर रहे हैं तो उसे नॉर्थ-ईस्ट डायरेक्शन की बजाय साउथ-वेस्ट डायरेक्शन में रखना चाहिए। आपको यह बात जरूर ध्यान रखनी चाहिए कि अग्नि और पानी का मेल नहीं होता है इसलिए कभी भी साउथ-ईस्ट में पानी न रखें और नॉर्थ-ईस्ट में गैस का चूल्हा नहीं रखें। इस तरह बनाई गई किचन घर में सुख और सौभाग्य लेकर आती है।

खिड़कियां
किचन में खिड़कियों का होना बहुत जरूरी है। न केवल वास्तु वरन रसोई की गर्मी और धुएं को निकालने के लिए वहां पर पर्याप्त आकार की खिड़की होनी चाहिए। खिड़की को पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए। इससे किचन में सुबह-सुबह सूर्य की किरणें आएंगी जिससे पॉजिटिव एनर्जी बढ़ेगी। एग्जॉस्ट फैन को साउथ डायरेक्शन में इंस्टॉल करना चाहिए।

दीवारों का कलर
दीवारों पर सुंदर दिखने वाले लाइट कलर्स का प्रयोग करना चाहिए। किचन में काले तथा गहरे कलर प्रयोग करने से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार किचन में ब्राइट कलर जैसे ग्रीन, ऑरेंज, रेड, पीच तथा येलो कलर का प्रयोग कर आप अपने किचन को स्टाइलिश और सुंदर बना सकते हैं।

रेफ्रिजरेटर
किचन में रेफ्रिजरेटर एक अति आवश्यक एप्लाएंस बन चुका है। इसे रखने के लिए किचन में साउथ-ईस्ट, वेस्ट, साउथ या नॉर्थ दिशा को सबसे अच्छा माना गया है। रेफ्रिजरेटर को साउथ-वेस्ट दिशा में भी रखा जा सकता है लेकिन इसे कॉर्नर से थोड़ा दूर रखना चाहिए।

भंडारगृह (Storage)
मॉडर्न किचन में स्टोरेज रूम की भी जगह बनाई जाती है। वहां पर आप गेंहू, बर्तन, क्रॉकरी तथा छोटे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स रख सकते हैं। दक्षिण या पश्चिम दीवारों से जुड़ी जगहों पर भंडारगृह या अलमारी बनाई जा सकती हैं। वास्तु के अनुसार कभी भी नॉर्थ या ईस्ट डायरेक्शन में स्टोरेज नहीं बनाया जाना चाहिए।

इलेक्ट्रॉनिक एप्लायंसेज
आज की किचन में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, डिवाइस जैसे माइक्रोवेव, ओटीजी, मिक्सर, हीटर आदि की जरूरत होती है। इन सभी को किचन की साउथ-ईस्ट दिशा में रखना चाहिए। यथासंभव नॉर्थ-ईस्ट दिशा में इन गैजेट्स को रखने से बचें।

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वास्तु के अनुसार किचन बनाते समय भूल से भी न करें ये गलतियां (Things to Avoid While Designing a Kitchen as per Vaastu Shastra)

वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन में कहां, क्या रखना चाहिए, इसके बारे में हम पढ़ चुके हैं। अब हम यह भी जानेंगे कि किचन बनाते समय किन चीजों को अवॉइड करना चाहिए।

  • आपके घर में किचन का वास्तु दोष नहीं आए, इसके लिए जरूरी है कि आप पूजा रूम के ठीक ऊपर या ठीक नीचे किचन नहीं बनवाएं।
  • गैस स्टोव को रसोई के एंट्रेंस के ठीक सामने की ओर न रखें और न ही उसका फेस गेट की ओर होना चाहिए।
  • किचन का डोर हमेशा ईस्ट, वेस्ट या नॉर्थ दिशा में होना चाहिए। दरवाजा बनाते समय चारों कॉर्नर्स को अवॉइड करना चाहिए।
  • किचन की दीवारों पर डार्क कलर न करवाएं वरन लाइट और ब्राइट कलर स्कीम चुनें।
  • कभी भी घर के नॉर्थ-ईस्ट दिशा में किचन नहीं बनवानी चाहिए।
  • किचन में पश्चिम की ओर मुंह बनाकर खाना बनाने से बचना चाहिए।
  • नॉर्थ-ईस्ट दिशा में रेफ्रिजरेटर तथा अन्य दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स नहीं रखने चाहिए।
  • टॉयलेट के ऊपर या नीचे किचन नहीं बनानी चाहिए।
  • बेडरूम के ठीक ऊपर या नीचे भी किचन नहीं बनानी चाहिए।
  • किचन वास्तु टिप्स के अनुसार कभी भी साउथ-वेस्ट डायरेक्शन में किचन नहीं बनानी चाहिए। इससे घर के सदस्यों के बीच आपसी कलह बढ़ती है।

वास्तु के अनुसार किचन बनवाते समय ध्यान रखें ये बातें (Tips to Follow while Constructing a Kitchen as Per Vaastu Shastra)

  • किचन में प्लेटफार्म बनाने के लिए ईस्ट तथा साउथ-ईस्ट दिशा सबसे उपयुक्त दिशा है।
  • कुकिंग गैस या स्टोव को साउथ-ईस्ट दिशा में दीवार से थोड़ी दूरी रखते हुए बनाना चाहिए।
  • किचन के मेन प्लेटफार्म से L आकार में जोड़ते हुए एक दूसरा प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए जिस पर आप इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स और दूसरा जरूरी सामान रख सकें।
  • वास्तु के अनुसार रसोई में वाश-बेसिन, टैप तथा गंदा पानी बाहर निकालने के लिए नॉर्थ-ईस्ट दिशा का प्रयोग करना चाहिए।
  • नॉर्थ और नॉर्थ-ईस्ट दिशा में पीने का पानी तथा पानी के बर्तन को रखना चाहिए।
    रसोई की साउथ या वेस्ट डायरेक्शन को गेहूं, दाल, मसाले, नमक तथा दूसरी चीजें स्टोर करने के लिए प्रयोग करना चाहिए।
  • ईस्ट या नॉर्थ डायरेक्शन में हल्की-फुल्की चीजें तथा बर्तनों को रखा जा सकता है।
  • खाना बनाते समय आपका मुंह ईस्ट डायरेक्शन की ओर होना चाहिए। यह दिशा हेल्थ और समृद्धि के लिए अच्छी मानी जाती है।
  • किचन के फ्लोर के लिए रेड, येलो, चॉकलेट, रोज तथा ऑरेंज कलर्स का प्रयोग करना चाहिए।
  • प्रतिदिन किचन में खाना बनाना आरंभ करने से पहले अग्नि की पूजा करनी चाहिए, इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  • रात को सोने से पहले किचन को पूरी तरह साफ करना चाहिए, बर्तन धोकर रखने चाहिए अन्यथा वास्तु दोष के चलते आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है।

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क्या वास्तु के अनुसार ओपन किचन बनाना सही है (Is Open Kitchen good as per Vastu?)

वास्तुशास्त्र के अनुसार पारंपरिक रूप से किचन बनाना ज्यादा बेहतर है फिर भी आधुनिकता के चलते और स्पेस का सही जगह से उपयोग करने की इच्छा के कारण आजकल ओपन किचन का फैशन बढ़ रहा है। वास्तु में कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं जिनका प्रयोग कर आप ओपन किचन को भी वास्तुदोष से मुक्त कर सकते हैं और एक सर्वगुण सम्पन्न किचन बना सकते हैं।

  • ओपन किचन बनाने के लिए साउथ-ईस्ट तथा साउथ-साउथ ईस्ट जोन को सर्वोत्तम माना गया है। इन दोनों ही दिशाओं में अग्नि की प्रधानता रहती है। इन दिशाओं में पकाया गया खाना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है और घर में साक्षात लक्ष्मी का वास होता है।
  • साउथ साउथ-ईस्ट डायरेक्शन में बनाई गई ओपन किचन वहां रहने वाले परिजनों के लिए मानसिक शांति तथा अच्छा स्वास्थ्य लेकर आती है। वेस्ट डायरेक्शन में किचन बनाना भी आपके लिए लाभप्रद हो सकता है।
  • ओपन किचन बनाने के लिए साउथ साउथ-वेस्ट दिशा से बचना चाहिए। इस दिशा में किचन बनाने से पैसे संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  • नॉर्थ-ईस्ट दिशा में भी ओपन किचन बनाने से बचना चाहिए। ऐसा नहीं करने से ब्रेन संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। किचन बनाने के लिए सर्वोत्तम दिशा साउथ-ईस्ट या साउथ साउथ-ईस्ट को ही माना गया है।
  • नॉर्थ डायरेक्शन में बनाई गई किचन व्यापारियों के लिए लाभप्रद बताई गई है। इससे कॅरियर में नए अवसर मिलते हैं और पैसे की आवक बढ़ती है। परन्तु जो लोग जॉब करते हैं, उनके लिए नॉर्थ में किचन बनाना समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • नॉर्थ नॉर्थ-ईस्ट डायरेक्शन ओपन किचन बनाने के लिए किसी भी प्रकार से उपयुक्त दिशा नहीं है। घर का यह हिस्सा स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और यहां पर किसी भी तरह का वास्तु दोष होना गंभीर बीमारियों के होने का कारण बन सकता है।

आपने इस आर्टिकल में किचन वास्तु टिप्स के बारे में पढ़ा। यहां आपने जाना कि किस तरह आप वास्तु के नियमों का पालन करते हुए किचन बना कर अपने जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली पा सकते हैं। किचन से जुड़ी वास्तु की अधिक जानकारी के लिए आप हमारे अनुभवी ज्योतिषियों तथा वास्तुविदों से बात कर सकते हैं। वे आपको आपकी समस्याओं के लिए सबसे आसान तथा प्रभावशाली उपाय बताएंगे।



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