कौन से ग्रहों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दिलाई इतनी ख्याति ?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मां भारती के सच्चे सपूत होने का दर्जा मिला है। उन्होंने भारत माता को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए ही 21 अक्टूबर के दिन आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के रूप में स्वतंत्र भारत की वैकल्पिक सरकार बनाई थी। जिसे उन्होंने ‘आरजी हुकूमत-ए-आजाद हिंद’ का नाम दिया था। सुभाष चंद्र बोस बोस का मानना था कि अंग्रेजी हुकूमत को केवल सशस्त्र विद्रोह से ही चुनौती दी जा सकती है। मां भारती से के ऐसे वीर पुरुष की कुंडली क्या कहती है, आइए जानते हैं…
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कुंडली में था सूर्य, बुध और राहु का योग
23 जनवरी 1897 को पश्चिम बंगाल के कटक में जन्में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कुडली में सूर्य, बुध और राहु का योग था, जिससे वह अपनी बात आसानी से लोगों तक पहुंचा सकते हैं, और उनके दिलों में जगह बना सकते थे। इसी कारण से उनकी बातों का प्रभाव लोगों पर बहुत पड़ता था और लोगों का काफी समर्थन मिलता था। समान तत्व के सूर्य और राहु साथ में होने से उनके विचार क्रांतिकारी थे। इन दोनों ग्रहों के साथ बुध के होने की वजह से उनके क्रांतिकारी विचार तार्किक भी थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को युवा वर्ग का मिला था समर्थन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1921 में प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ दी थी। उसके बाद देश की आजादी की लड़ाई में उनके उग्र विचारों के कारण देश के युवा वर्ग का उन्हें बहुत समर्थन मिला। उन्होंने अपनी एक सेना ‘आजाद हिंद सेना’ बनाई थी। जिसमें शामिल होने वाले नौजवानों को ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया था।
समस्या से भागे नहीं, विशेषज्ञों से समाधान पाएं।