भगवान गणेश की आराधना से बनाएं जीवन सुंदर


भगवान गणेश: विघ्नहर्ता

क्या आप जानते हैं, भगवान गणेशजी का आप की जिंदगी में कितना महत्व है? अगर नहीं जानते तब ये सही समय है, गणेश जी के बारे में जानने का और अपने आने वाली जिंदगी मे खुशहाली भरने का। गणेशजी जिन्हें हाथियों के देव भी कहा जाता है, वो ना सिर्फ सुख के करता और दुखों के हरता हैं, बल्कि इनके पास कई सारी कहानियां भी है। जिससे वो सभी का भाग्य भी लिखते हैं। गणेश जी को विनायक भी कहा जाता है।

इन्हें तो एकदंत कह कर भी स्मरण किया जा सकता है। अगर गणेश जी के टिप्स को माने तो वो कहते हैं, की हमें साधारण और खुशहाल जीवन जीना चाहिए। हमें यकीन है इस कहानी से हम सब जरूर कुछ ना कुछ जरूर सीख लेकर जाएंगे।


जीवन में कर्म का बहुत महत्व है

मान्यता है की पार्वती जी ने अपने शरीर पर लगे हल्दी के लेप से छोटा सा गुड्डा बनाया और बिना शिवजी की मदद के उसमे जान भर दी। फिर पार्वती जी ने उस बालक को आज्ञा देते हुए, कहा जब तक मैं नहा कर ना लौट आऊं, तब तक द्वार से किसी को भी अंदर नहीं आने देना और वो बालक अपनी माता के आज्ञा का पालन करने लगा।

उसी समय, भगवान शिव अपना ध्यान संपन्न करके लौटे, और द्वार से अंदर जाने की जिज्ञासा प्रकट की। जिसे भगवान गणेश जी ने खारिज कर दिया। देखते ही देखते इस प्रसंग ने युद्ध का रूप धारण लिया, और पिता पुत्र मे जंग छिड़ गई। परिणाम स्वरूप गणेशजी का सिर धड़ से अलग होने के कारण मृत्यु हो गई। बाद में हाथी का धड़ लगा कर शिवजी द्वार, उस बालक का पुनर्जन्म हुआ।

ईश्वर होते हुए भी उन्होंने बिना चूके अपने कर्तव्य का पुरी निष्ठा से पालन करते हैं। यही इस कहानी का सारांश कहता है, की संयमता से अपने माता पिता के प्रति निष्ठावान बने रहें। भगवान शिव की शक्ति से परिचित होने के बावजूद, परिणाम जानते हुए भी गणेशजी वहा से नहीं हटते। भले ही उनकी जान पर ही क्यों ना बन आए।


अपने माता पिता का हमेशा स्मरण करें

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने पुत्रों के सामने एक विचित्र सा फल रख दिया। फल एक ही होने के कारण दोनों आपस में लड़ने लगे। तब शिवजी ने युक्ति लगाई क्यों ना कार्तिकेय और भगवान गणेश की परीक्षा ली जाए, जिससे दोनों पुत्र संतुष्ट हो जाएं।

पृथ्वी के तीन चक्कर लगाने होंगे। ऐसी परीक्षा की शर्त रखी गई। जो चक्कर लगा कर पहले आयेगा फल उसका। प्रथम पुत्र कार्तिकेय ने शर्त जीतने की मंशा से अपने वाहन मोर पर सवार हो कर प्रस्थान हो गए। गणेशजी इस सोच में पड़ गए एक चूहे की सवारी कर मैं कैसे जीत पाऊंगा।

पूरे जोश के साथ जब कार्तिये पृथ्वी के ३ चक्कर लगा कर गणेश जी को ढूंढते हुए पहुंचते हैं, तब वे देखते हैं शिव पार्वती जी के चक्कर लगा कर वे विजेता हो गए हैं। तब गणेश जी ज्ञान रूपी फल से सम्मानित किए गए और इस तरह गणेशजी ज्ञान के देवता माने जाने लगे।

इस कहानी का सारांश हमें सिखाता है, माता पिता से किस प्रकार का बर्ताव हमे करना चाहिए। भले आप स्वयं ईश्वर ही क्यों ना हों। उम्मीद करते हैं इस कहानी के माध्यम से कई माता पिता जिनका परित्याग किया जा चुका है उनकी तकदीर बदल जाए।


क्षमा भाव बनाता है महान

गणेशजी द्वार दी गई यह सीख सभी के जीवन को सुखमय बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिषियों का मानना है एक बार जब गणेश जी यक्षराज कुबेर जो धन के दाता है। उनके आग्रह कराने पर भोजन पर पधारे और वहां से संतुष्ट हो कर जब गणेशा लौटने लगे, तब गणेशजी के पेट का उपहास करने पर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दे दिया।

खान पान के शौकीन गणेशजी, भोजन की प्रशंसा करते हुए लौट रहे थे तब चंद्र देव वहां प्रकट हुए और गणेशजी के पेट का मज़ाक उड़ाने लगे। पृथ्वी से दूर ऊपर आसमान से गणेशजी को देख कर उनका उपहास करना, गणेशजी से रहा नहीं गया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप देते हुए, कहा तुम पूरी तरह लुप्त हो जाओ, इससे भयभीत होकर चंद्रमा गणेश जी से क्षमा की याचना करने लगे।

परन्तु हृदय से कोमल और उदार होने के कारण गणेश जी को श्राप देने पर अफसोस हुआ। मगर गणेशजी के पास श्राप की काट नहीं थी। चंद्रमा आकाश से एक पूरा दिन गायब रहते हैं, और इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन जो भी चंद्रमा के दर्शन कराता है उसका आने वाला पूरा साल चुनौतीपूर्ण होता है।

आप में अच्छाई है और कोई उस सीमा को लांघ जाए, तब भी उस व्यक्ति को क्षमा कर देना चाहिए। यही आप को श्रेष्ठ बनाता है और यही इस कहानी का सार है।

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जो कार्य आप हाथ में लें उसे पूरा करने की कोशिश करें

ज्योतिषियों के अनुसार एक बार वेद व्यास जी महाकाव्य महाभारत की रचना करना चाहते थे, और उन्होंने गणेश जी से आग्रह किया मेरे कथन अनुसार सब लिखते जाएं। व्यास जी ने शर्त यह रखी जो भी कथा वे कहें गणेशजी को वो सब बिना ब्रेक लिए पुर्ण करना होगा।

दोनों ने ही विश्व के सबसे श्रेष्ठ महाकाव्य की रचना कर ली, मगर प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था। जब गणेशजी लिख रहे थे। तब उनकी कलम टूट गई। ऐसी स्थिति में गणेशजी ने महाकाव्य की रचना अपना एक दांत तोड़ कर उससे लिख कर पुर्ण की। कार्य की सिद्धि के लिए गणेश जी ने अपने एक दांत की कुर्बानी दे दी। इस कहानी की सीख यह है की हम जो भी काम अपने हाथ में लें, उसे हमेशा पूरा करें। यह बात यदि व्यक्ति हमेशा याद रखता है तो वो अपने जीवन में हमेशा सफल होता है।


व्यक्ति का आत्मसम्मान सबसे ऊपर है, उसे कभी ना भूलें

गणेशजी की यह कथा आत्मसम्मान के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण है। एक समय की बात है सभी देवी और देवता स्वर्ग की जिम्मेदारी गणेशजी पर छोड़ कर वे सब विष्णु जी की बारात लेकर लक्ष्मी जी के घर की ओर जाने लगे। चूंकि गणेशजी की बनावट और उनका ढेर सारा आहार के करण सभी देव उन्हे पसंद नही करते थे, और यही कारण है की गणेशजी को छल से स्वर्ग की रखवाली करने के लिए वही छोड़ दिया गया।

जब गणेशजी के समझ आया की उनके साथ छल हुआ है तब गणेश जी ने विचार किया देवो को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। तब गणेश जी ने अपने वाहन गजासुर से आग्रह करते हुए, कहा लक्ष्मी जी के घर जाने वाले सभी रास्ते ब्लॉक कर दो और गजासूर ने ऐसा ही किया।

गजासूर द्वार सारे रास्ते बंद करने के बाद उन रास्तों को किसी भी देवो से खोला नहीं गया। वहा से जा रहे एक किसान ने देवो की मदद करने की जिज्ञासा दिखाते हुए, गणेशजी का नाम लेकर रास्ते से गाड़ी हटाने लगे। गणेशजी जो की विघ्नहर्ता हैं, उनका केवल स्मरण करने मात्र से उस बग्घी को उठाने की ताकत उस किसान में आ गई। ऐसा उसका मानना था। तब उन देवो को समझ आया जो दिखाई दे रहा है वैसा नहीं है हकीकत कुछ और है।

गणेशजी की यह कथा हमें सिखाती है कभी भी किसी को आप की काबिलियत और बनावट पर शक करने का हक नहीं देना।


सुखी और समृद्ध जीवन के लिए सरल उपाय

  • चाहे आप के विवाह की सालगिरह हो या जन्मदिन अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा कच्चा दूध मिला लें। इससे आप दोनों के बीच का संबंध और गहरा होता जायेगा।
  • किसी जोड़े को ऐसा लगता है की उनके बीच प्रेम की मात्रा कम होने लगी है तब बरसात के समय दोनों साथ वॉक पर निकल जाएं। बाकी सब बारिश संभाल लेगी।
  • अगर किसी महिला को ऐसा महसूस होता है, की उनके पति का बाहर किसी दूसरी महिला से सम्बन्ध है। ऐसी स्थिति में पत्नी सुबह जब अपने पति को देखे तब मन ही मन पति के नाम का उच्चारण करती रहे। नाम का स्मरण करते समय आप की उंगली माथे से लगी हो इस बात का ध्यान रखें।
  • आप को लगता है कि खर्च अधिक हो रहा है। ऐसी स्थिति में घर में पंछी को मीठा खिलाने की व्यवस्था करें।
  • आप को डरावने सपने आते हैं तो ऐसे में एक लोहे की प्लेट या चाकू अपने चादर के नीचे रखे।
  • दक्षिण मुखी घर में कभी वास ना करें। फिर भी अगर रहना ही पड़े तब करें ये उपाय करें। तांबे की कील मुख्य द्वार पर ठोक दें।
  • बकरी को मूंग की दाल खिलाए।
  • हो सके तो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को बकरी का दान कर दें। जो इसके दूध का इस्तेमाल करे।

तीन प्राणी ऐसे है जिनका जीवन भर हमे ख्याल रखना चाहिए

  • गौ-ग्रास जिसका अर्थ है अपनी थाली में से कुछ हिस्सा गौमाता, कौवा और कुत्ते के लिए अलग से निकाल कर रखना। गाय शुक्र की कारक है, शुक्र जिसे ज्योतिषी सुख समृद्धि और पत्नी के कारक मानते हैं। शुक्र द्वितीय (धन) भाव के मालिक हैं, और सप्तम भाव(पार्टनर) के मालिक हैं। इसलिए गौमाता के लिए निकाला गया अंश आप के शुक्र को मजबूती देगा।
  • कौवा शनि देव के कारक है, इनका अधिपत्य दशम और ग्यारहवें भाव पर है। कौवे की सेवा से आप शनि देव से शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
  • तीसरा प्राणी है, कुत्ता जिसे केतु का कारक भी कहा गया है। केतु को संतान और वंश को बढ़ाने वाला माना गया है। रविवार के दिन कुत्ते को खिलाने पिलाने से केतु आपको शुभ फल देने लगेंगे।

निष्कर्ष

गणेश जी की कथा जिससे आप अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। उनके पास ऐसी कई सारी कथा है जिसमे आप की भलाई छिपी है।