
चौघड़िया पटना के लिए

अगर आप कोई नया काम शुरू करने जा रहे हैं तो शुभ मुहूर्त देखते हैं, लेकिन अगर आपको जल्द से जल्द कोई कार्य करना हो तो चौघड़िया मुहूर्त महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी शुभ मुहूर्त की जांच के लिए चौघड़िया या यूं कहें चोगड़िया का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, परंपरागत रूप से चौघड़िया का उपयोग यात्रा मुहूर्त का पता लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन आसान होने के कारण इसका उपयोग किसी भी मुहूर्त के लिए किया जाता है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने के लिए चार अच्छे चौघड़िया हैं। इन चार चौघड़िया अमृत, शुभ, लाभ और चर को शुभ और उत्तम माना जाता है। इसी तरह तीन खराब चौघड़िया रोग, काल और उदवेग से बचने की बात कही जाती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को दिन का चौघड़िया और सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को रात का चौघड़िया कहा जाता है।
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क्या होता चौघड़िया
किसी भी काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाना आम बात है, लेकिन यदि जल्दी में किसी कार्य को करना है और शुभ मुहूर्त देखने विलंब है, तो चौघड़िया देखकर काम शुरू किया जा सकता है। पहले चौघड़िया का प्रयोग केवल यात्रा के लिए किया जाता था, लेकिन तेज भागते जीवन में अब चौघड़िया का उपयोग किसी भी शुभ काम को करने से पहले किया जा सता है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने के लिए चार अच्छे चौघड़िया हैं। इन चार चौघड़िया अमृत, शुभ, लाभ और चर को शुभ और उत्तम माना जाता है। इसी तरह तीन चौघड़िया में कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है। ये चौघड़िए हैं रोग, काल और उदवेग। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को दिन का चौघड़िया और सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को रात का चौघड़िया कहा जाता है। इन चौघड़िया का समय सूर्योदय से शुरू होकर 1.30 घंटे तक रहता है।
जानिए क्या है वार वेला, काल वेला और काल
दिन और रात के चौघड़िया में वार वेला, काल वेला और काल रात्रि का भी समय होता है। ये वार वेला, काल वेला और काल रात्रि किसी भी शुभ चौघड़िये के दौरान भी हो सकती है। वार वेला और काल वेला दिन के समय में होती है, जबकि काल रात्रि रात के समय प्रबल होती है। इस दौरान किए गए मांगलिक कार्य फलदायी नहीं होते हैं। इस समय को छोड़ा जाना चाहिए।
कौन सा चौघड़िया शुभ और कौन सा अशुभ होता है?
सप्ताह में सात दिन होते हैं। ज्योतिष और मुहूर्त शास्त्र के अनुसार प्रत्येक दिन का एक स्वामी ग्रह होता है। हर दिन के पहले मुहूर्त पर उस दिन के स्वामी का शासन होता है। इसे एक उदाहरण से समझें तो रविवार को पहले चौघड़िया मुहूर्त पर सूर्य का शासन होता है, उसके बाद के मुहूर्त पर शुक्र, बुध, चंद्रमा, शनि, बृहस्पति और मंगल का शासन होता है। दिन के अंतिम मुहूर्त पर भी उस दिन के स्वामी ग्रह का शासन होता है।
दरअसर एक दिन में 24 घंटे होते हैं और चौघड़िया 1.30 घंटे की अवधि का होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र, बुध, गुरु और चंद्रमा को शुभ ग्रह माना जाता है, इसलिए इन वार पर पहला चौघड़िया हमेशा अच्छा होगा, लेकिन सूर्य, मंगल, शनि पाप ग्रह है, इन वार पर पहला चौघड़िया हमेशा नकारात्मक होगा।
महत्वपूर्ण शुभ मुहूर्त
स्थान अनुसार चौघड़िया
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त्यौहार कैलेंडर
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स्वामीनारायण जयंती
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पूरे देश में राम नवमी मनाई जाती है। भगवान श्री राम के जन्म को इस दिन बड़े हर्ष -उल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन इसी दिन स्वामीनारायण जयंती भी मनाया जाता है।
राम नवमी
भारतवर्ष में कई त्योहार में मनाएं जाते हैं, जिनमें से कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जिनके जाने के बाद फिर अगले साल उनके आने का इंतजार होने लगता है। ऐसे त्योहारों में शामिल है रामनवमी (Ramnavmi)।
कामदा एकादशी
चैत्र नवरात्रि के बाद आने वाले दिन को कामदा एकादशी के रूप में जाना जाता है। कामदा एकादशी को चैत्र शुक्ल एकादशी भी कहते हैं। हिंदू धर्म में, कामदा एकादशी भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार, भगवान कृष्ण की पूजा करने का दिन है।
महावीर जयंती
जैन समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार महावीर जयंती है। इस दिन भगवान महावीर का जन्म हुआ था। वे जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान थे। जैन धर्म के अनुसार जो भावनाओं और इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, वही तीर्थंकर कहलाते है।
पंगुनी उथिरम
पंगुनी उथिराम या मीना उत्तरा फाल्गुनी के नाम से जाने जाना वाला यह त्योहार भारत के तमिल भाषी क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय है। यह स्कंद पुराण में वर्णित आठ महाव्रतों में से एक है।
हनुमान जयंती
हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस दिन संकटमोचन हनुमान का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
बोहाग बिहू
बिहू असमिया समुदाय द्वारा मस्ती और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके तीन प्रकार हैं, ‘बोहाग बिहू’, जिसे रोंगाली बिहू, ‘कोंगाली बिहू’ या कटि बिहू और ‘भोगली बिहू’ के नाम से भी जाना जाता है, जो माघ बिहू या मगहर दोमही के नाम से भी प्रसिद्ध है।
मेष संक्रांति
मेष संक्रांति 2025 के अनुष्ठान, तिथि और समय को जानें। साथ ही, इस शुभ दिन को मनाने का महत्व भी जानें।
पोहेला बोइशाख
बंगाल में नया साल बैसाख के महीने में पहले दिन को मनाया जाता है, जिसे पोईला बैसाख के नाम से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल के अलावा यह त्रिपुरा, असम बांग्ला देश में मनाया जाता है।
बैसाखी
बैसाखी का उत्सव सिखों का एक प्रमुख त्योहार है। जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस उत्सव का आयोजन सिख नव वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में किया जाता है। यह मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा और भारत के उत्तरी क्षेत्र में मनाया जाता है।
विशु कानी
इस त्योहार का गहरा सांस्कृतिक महत्व है, और दुनिया भर में मलयाली हिंदू इसे उत्साह के साथ मनाते हैं। इसे बिसु के नाम से भी जाना जाता है और कर्नाटक के मैंगलोर और उडुपी जिलों में अप्रैल के दूसरे सप्ताह में इसे मनाया जाता है।
पुथांडु या तमिल नव वर्ष
तमिल वर्ष का पहला दिन पुंथाडु के नाम से जाना जाता है। इसे चिथिरई भी कहते हैं। इस दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है। इसका दूसरा नाम वरुशा पिरप्पू भी होता है।
ईस्टर
ईसाई धर्म में ईस्टर को पवित्र समय-अवधि में से एक माना जाता है। ईस्टर के धार्मिक त्योहार को ग्रीक और लैटिन में ‘पास्का’ के नाम से भी जाना जाता है। ईसाई मानते हैं कि इसका मतलब है कि इजरायल के लोग मिस्र से भाग गए।
पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन है जो मुख्य रूप से पर्यावरण की सुरक्षा पर केंद्रित है। 2025 में इस वार्षिक आयोजन की 55वीं वर्षगांठ है। इसकी थीम धरती को पुनःस्थापित करना है, जो यह बताता है कि जलवायु परिवर्तन ने कैसे हमारी प्राकृतिक प्रणाली को विकृत कर संकट बढाया है और कई घातक बीमारियों के साथ-साथ दुनिया की अर्थव्यवस्था में दरार आ गई है।
वरूथिनी एकादशी
साल भर में जितनी भी एकादशी होती है, हिन्दू धर्म शास्त्र में उन सभी को करने का अलग-अलग स्थान और महत्व प्राप्त है। वरुथिनी एकादशी वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की तिथि को पड़ती है।
वल्लभाचार्य जयंती
श्री वल्लभाचार्य एक भारतीय दार्शनिक थे, जिन्होंने भारत के ब्रज क्षेत्र में वैष्णववाद के कृष्ण-केंद्रित पुष्टि संप्रदाय और शुद्ध अद्वैत दर्शन की स्थापना की। आज की दुनिया में, भगवान श्री कृष्ण के कई भक्तों का मानना है कि श्री वल्लभाचार्य ने गोवर्धन पर्वत पर प्रभु के दर्शन किए थे।
परशुराम जयंती
भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र हैं। उन्होंने देवी लक्ष्मी के अवतार धरणी से विवाह किया। इस ब्राह्मण योद्धा ने पृथ्वी पर बुरी ताकतों को खत्म करने के लिए जन्म लिया था।
अक्षय तृतीया
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया या आखा तीज का बहुत अधिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भाग्य की रेखाएं बदल जाती है।
आगामी पारगमन
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
चौघड़िया क्या होता है?
चौघड़िया का मतलब होता है चार और घड़िया यानी घड़ी, इस तरह दोनों शब्दों को मिलाकर एक शब्द बनता है चौघड़िया। सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच के सम को 30-30 घड़ी और उस 30 घड़ी को 8 भागों में विभाजित किया गया है। हिंदू समयानुसार एक घड़ी 24 मिनट के बराबर होती है और एक चौघड़िया 4 घड़ियों के बराबर यानी करीब 96 मिनट की होती है। इस हिसाब से एक चौघड़िया की अवधि करीब डेढ़ घंटे की होती है। इसी के मुताबिक चौघड़िया का मुहूर्त देखा जाता है।
चौघड़िया मुहूर्त के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
चौघड़िया में वार वेला, काल वेला और काल रात्रि का भी स्थान होता है। हालांकि, वार वेला, काल वेला और काल रात्रि के दौरान कोई भी शुभ कार्य वर्जित होता है। अब समय के हिसाब से इसे देखें तो वार वेला और काल वेला दिन के समय प्रबल होते हैं जबकि काल रात्रि रात के समय प्रबल होती है। इस दौरान किए गए मांगलिक कार्य फलदायी नहीं होते हैं।
क्या होगा यदि एक शुभ चौघड़िया मुहूर्त वेला, काल या रात्री के अशुभ समय के साथ मेल खाता है?
यदि किसी शुभ चौघड़िया में वेला, काल या रात्री का अशुभ समय रहता है, तो ऐसे समय को छोड़कर दूसरा चौघड़िया देखा जाना चाहिए।
क्या होगा अगर एक शुभ चौघड़िया मुहूर्त वेला, काल या रात्रि के अशुभ समय के साथ मेल खाता है?
चौघड़िया शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- चो यानी चार और घड़िया यानी घड़ी। प्रत्येक घड़ी, हिंदू समय के अनुसार, 24 मिनट के बराबर होती है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक 30 घड़ियां होती हैं जिन्हें 8 से विभाजित किया जाता है। इसलिए, 8 दिन चौघड़िया मुहूर्त और 8 रात चौघड़िया मुहूर्त होते हैं। एक चौघड़िया 4 घड़ी (लगभग 96 मिनट) के बराबर होता है। तो, एक चौघड़िया लगभग 1.5 घंटे तक रहता है।