आषाढ़ अमावस्या का है काफी महत्व, जानें सब कुछ
हिन्दू धर्म में चंद्रोदय का कफी महत्व होता है। इसी से शुक्ल और कृष्ण पक्ष का निर्धारण होता है। जहां तक अमावस्या की रात की बात करें तो यह हर माह में एक बार आती है। इस दिन पूजन और दान-पुण्य का काफी महत्व है और इस व्रत से काफी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
अमावस्या क्या है?
अमावस्या की रात महीने में एक बार आती है। अमावस्या की रात चंद्रमा पूर्ण रुप से दिखाई नहीं देता। तिथि के हिसाब से अमावस्या का काफी महत्वपूर्ण होती है। सबसे ज्यादा महत्व सोमवती अमावस्या का होता है। जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को काफी प्रिय होता है और यही कारण है कि सोमवती अमावस्या का काफी महत्व होता है और इस दिन विधिपूर्वक पूजन से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। इसी तरह जब अमावस्या शनिवार के दिन हो तो उसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं।
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पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें तर्पण
हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या तिथि पड़ती है। इसे हलहारिणी और आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन किसान खेती में उपयोग होने वाली वस्तुओं की पूजा करते हैं। इस लिहाज से यह माह किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी खास होता है। इस दिन नदी में स्नान के बाद दान का काफी महत्व होता है।
अमावस्या पूजन विधि
अमावस्या के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद पितरों को तर्पण करें। इस दिन दान-पुण्य का काफी महत्व होता है। इस दिन पितृदोष से मुक्त होने के लिए भी अनुष्ठान किया जाता है। इस दिन सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना और शाम में दीपक जलाना महत्वपूर्ण होता है।
आषाढ़ अमावस्या 2025 तिथि
जून 25, 2025, बुधवार – आषाढ़, कृष्ण अमावस्या
आषाढ़ अमावस्या 2025 तिथि | जून 25, 2025, बुधवार |
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तिथि | प्रारम्भ - 18:59, जून 24 समाप्त - 16:00, जून 25 |
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