हरियाली अमावस्या (hariyali amavasya) 2025 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
पवित्र महीने सावन या श्रावण के दौरान आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है। हरियाली अमावस्या आमतौर पर प्रसिद्ध हरियाली तीज से तीन दिन पहले आती है। हरियाली अमास्या श्रावण शिवरात्रि के एक दिन बाद आती है, जो चतुर्दशी तिथि को पड़ती है। इस साल हरियाली अमावस्या गुरुवार, 24 जुलाई 2025 के दिन पड़ने वाली है। हरियाली अमावस्या के तीन दिन बाद हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या पर लोग प्रकृति के नजदीक जाकर उसकी खूबसूरती को निहारते हैं।
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हरियाली अमावस्या कब है (Hariyali amavasya kab hai)
श्रावण या सावन मास की अमावस्या को ही हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस साल हरियाली अमावस्या गुरुवार, 24 जुलाई 2025 के दिन मनाया जाएगा।
तिथि मुहूर्त | दिनांक समय |
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हरियाली अमावस्या तिथि प्रारंभ | जुलाई 24, 2025 को 02:28 बजे |
हरियाली अमावस्या तिथि समाप्त | जुलाई 25, 2025 को 00:40 बजे |
हरियाली अमावस्या का महत्व (Hariyali amavasya ka mahatva)
हरियाली अमावस्या श्रावण मास की अमावस्या है और अंग्रेजी कैलेंडर में जुलाई – अगस्त के महीने के दौरान आती है। अन्य अमावस्या की तरह, यह लोगों के लिए मजबूत धार्मिक मूल्य रखता है। हरियाली अमावस्या को बारिश के मौसम के त्योहार के रूप में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन भगवान शिव की पूरी भक्ति के साथ पूजा की जाती है। हरियाली अमावस्या का उत्सव भारत के उत्तरी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बहुत प्रसिद्ध है। यह अन्य क्षेत्रों में भी प्रसिद्ध है लेकिन अलग – अलग नामों से। महाराष्ट्र में इसे गतारी अमावस्या कहा जाता है, आंध्र प्रदेश में इसे चुक्कल अमावस्या और उड़ीसा में इसे चितलगी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। जैसा कि नाम के साथ होता है, देश के विभिन्न हिस्सों में रीति – रिवाज और परंपराएं अलग – अलग होती हैं, लेकिन उत्सव की भावना समान रहती है। आइए हरियाली अमावस्या का महत्व समझने के बाद, हरियाली अमावस्या पूजा विधि और हरियाली अमावस्या से जुड़ी कुछ रोचक बातें जानें।
हरियाली अमावस्या खास क्यों (Hariyali amavasya khaas kyo)
सावन के पवित्र मास में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन उत्तर भारत के विभिन्न मंदिरों, विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में विशेष दर्शन का आयोजन किया जाता है। हजारों कृष्ण भक्त मथुरा, द्वारकाधीश और वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण के विशेष दर्शन के लिए आते हैं। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर का फूल बांग्ला कृष्ण भक्तों के बीच विश्व प्रसिद्ध है। हरियाली अमावस्या के दिन कृष्ण मंदिरों के अलावा विभिन्न शिव मंदिरों में भी विशेष शिव दर्शन की व्यवस्था की जाती है।
हरियाली अमावस्या के दिन क्या करें (Hariyali amavasya ke din kya karen)
हरियाली अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित है। इस दिन भक्त जल्दी उठते हैं और स्नान करते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है, इसी के साथ ब्राह्मणों के लिए विशेष भोजन तैयार किया जाता है। भक्त भक्ति के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। शिव पूजा धन और समृद्धि लाती है। भक्त भगवान शिव को समर्पित मंत्रों का पाठ करते हैं और भजन गाते हैं। भगवान शिव के मंदिरों में विशेष दर्शन और अनुष्ठान होते हैं व भक्त व्रत का पालन करते हुए श्री हरि व शिव के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। पूजा की रस्में पूरी करने के बाद ही भोजन किया जाता है। हरियाली अमावस्या पर भव्य मेलों का भी आयोजन किया जाता है। महिलाएं अपने पति की सलामती की दुआ करती हैं।
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हरियाली अमावस्या पर लगाएं पौधे (Hariyali amavasya par lagaye poudhe)
हरियाली अमावस्या के दिन पौधा लगाकर उसकी देख रेख करना और उसे जल खाद देने से पुण्य मिलता है। इंसान अपने जीवन में जितनी भी ऑक्सीजन लेता है, उसमें पेड़ पौधों की मुख्य भूमिका होती है। इसे ध्यान में रखकर ही हमारे पुरातन पंडित और ज्योतिषियों ने हरियाली अमावस्या के दिन पौधा लगाने को पुण्यों को बताया है। वैदिक ज्योतिषीयों के अनुसार, आरोग्य प्राप्ति के लिए नीम, संतान के लिए केला, सुख के लिए तुलसी और लक्ष्मी के लिए आंवले का पौधा लगाने की परंपरा है।
आइए अन्य वांछित फल प्राप्त करने के लिए कौन से पौछे लगाना चाहिए जानें।
1. लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए – तुलसी, आंवला, बिल्वपत्र और केले का वृक्ष लगाना चाहिए।
2. आरोग्य के लिए – आंवला, पलाश, ब्राह्मी, अर्जुन, तुलसी और सूरजमुखी के पौधे लगाना चाहिए।
3. सौभाग्य के लिए – अर्जुन, अशोक, नारियल या वट का वृक्ष लगाएं।
4. संतान के लिए – बिल्व, नीम, नागकेशर, पीपल या अश्वगन्धा के वृक्ष लगाएं।
5. सुख के लिए – कदम्ब, नीम या धनी छायादार वृक्ष लगाएं।
6. खुशियां प्राप्त करने के लिए – पारिजात, मोगरा, रातरानी और गुलाब के पौधे लगाएं।
हरियाली अमावस्या पर करवाएं रुद्राभिषेक (Hariyali amavasya par rudhrasbhishek karvaye)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार हरियाली अमावस्या की रात को कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हरियाली अमावस्या 2025 की रात के दौरान प्रकाशमान ग्रह चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है।
यह भी माना जाता है कि इस दिन बुरी आत्माएं सबसे मजबूत होती हैं इसलिए इस दिन काले जादू का अभ्यास भी किया जाता है। लोग बुरी आत्माओं से सुरक्षित रहने के लिए भगवान शिव और काली की पूजा करते हैं। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। बुरी आत्माओं और नकारात्मकता से बचने के लिए रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है।
हरियाली अमावस्या पूजा विधि और कथा
हरियाली अमावस्या पर सुबह उठकर पूरे विधि-विधान से माता पार्वती एवं भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। सुहागिन महिलाओं को सिंदूर लेकर माता पार्वती की पूजा करना चाहिए और सुहाग सामग्री बांटना चाहिए। ऐसा मानना है कि हरी चूड़िया, सिंदूर, बिंदी बांटने से सुहाग की आयु लंबी होती है और साथ ही घर में खुशहाली आती है। अच्छे भाग्य के उद्देश्य से पुरुष भी चूड़ियां, मिठाई आदि सुहागन स्त्रियों को भेट कर सकते हैं। लेकिन यह कार्य दोपहर से पहले कर लेना चाहिए। हरियाली अमावस्या के दिन भक्तों को पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करना चाहिए। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा एवं फेरे किये जाते हैं तथा मालपूए का भोग बनाकर चढ़ाए जाने की परंपरा है। धार्मिक ग्रंथों में पर्वत और पेड़-पौधों में भी ईश्वर का वास बताया गया है। पीपल में त्रिदेवों का वास माना गया है। आंवले के पेड़ में स्वयं भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का वास माना जाता है। इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं। इसके बाद शाम को भोजन ग्रहण कर व्रत तोड़ा जाता है। मान्यता है कि जो लोग श्रावण मास की अमावस्या को व्रत करते हैं, उन्हें धन और वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने की भी विशेष परंपरा है। हरियाली अमावस्या की कथा का भी पूजा में विशेष महत्व है। अलग-अलग क्षेत्रों में मान्यताओं के अनुसार कथाएं भी अलग-अलग प्रचलित है। यदि आप व्रत कर रहे हैं, तो कथा का पाठ जरूर करना चाहिए।
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