अनंत चतुर्दशी या गणेश विसर्जन कब है?
भगवान गणेश हिन्दू धर्म के एक सिम्बल माने जाते हैं। उन्हें गणपति बप्पा और गजानंद के नाम से भी जाना जाता है। लोग गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे 10 दिनों तक एंजॉय करते हैं। विघ्नहर्ता भगवान गणेश के नाम मात्र से ही घर व परिवार के सारे दुख दूर हो जाते है। घर में सुख, शांति व समृद्धि आने लगती है। भगवान गणेश की पूजा देश भर में हर साल धूमधाम से की जाती है। उनके आगमन से पहले ही भक्तों में एक अलग सा उत्साह दिखाई देता है। हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से ही होती है।
हर साल देशभर में गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा हर्षोल्लास के साथ की जाती है। इन्हें गणपति बप्पा तथा गजानंद के नाम से भी जाना जाता है। भक्त पूरे परिवार संग 10 दिन तक भगवान की पूजा करते है। यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशी लाने के साथ सकारात्मक शक्ति का संचार करता है। पूजा के दौरान बड़ें, युवा, बच्चें, महिलाएं सभी बढ़ चढ़ कर भाग लेते है। गणपति बप्पा की स्थापना से पहले ही भक्त अपने घरों में बढ़ चढ़ कर तैयारी करते हैं। वहीं त्योहार के अंतिम दिन गणपति बप्पा के विसर्जन को लेकर भक्तों की आंखें नम हो जाती है। इस दौरान भक्तों के चेहरे पर एक अलग सी मायूसी छा जाती है। विसर्जन के दिन गणपति बप्पा की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। इस दौरान गणपति बप्पा मोरया के जयघोष से सारा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। इस दौरान भक्त सामूहिक रूप में नृत्य और भजन की मनमोहक प्रस्तुति देते है। अतः विसर्जन के दौरान सभी भक्त गणपति बप्पा मोरिया से अगले वर्ष जल्द आने की प्रार्थना कर उन्हें विदा करते है।
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गणेश पूजा विसर्जन 2024 मुहूर्त समय
श्रद्धालु आराध्य भगवान गणेश को अपने घराें में कुछ दिनों के लिए भी लाते हैं और फिर वे गणेश चतुर्थी के दिनों में गणपति बप्पा के विसर्जन की प्रक्रिया पूरी करते हैं। नीचे गणपति विसर्जन या गणेश चतुर्थी विसर्जन 2024 के मुहूर्त की जानकारी दी गई है।
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन:
- अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन: मंगलवार, 17 सितंबर 2024
- प्रातःकालीन मुहूर्त – 09:14 पूर्वाह्न से 01:48 अपराह्न तक
- प्रातःकालीन मुहूर्त (चर, लाभ, अमृता) – 09:14 AM से 01:48 PM
- दोपहर का मुहूर्त (शुभ) – 03:19 PM से 04:50 PM
- शाम का मुहूर्त (अमृत, चर) – शाम 07:50 बजे से 09:19 बजे तक
- रात्रि मुहूर्त (लाभ) – रात्रि 10:48 बजे से प्रातः 03:14 बजे तक, 18 सितंबर
- चतुर्दशी तिथि आरंभ – 16 सितंबर 2024 को दोपहर 03:10 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – 17 सितंबर 2024 को सुबह 11:44 बजे
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति विसर्जन
- शनिवार, 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी पर गणेश विसर्जन
- प्रातःकालीन मुहूर्त (चर, लाभ, अमृता) – प्रातः 04:45 बजे से प्रातः 06:13 बजे तक, 08 सितम्बर
- दोपहर का मुहूर्त (शुभ) – 01:33 PM से 04:55 PM
- शाम का मुहूर्त (लाभ) – 06:27 PM से 07:55 PM
- रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृता, चर) – रात्रि 09:23 बजे से प्रातः 01:48 बजे तक, 08 सितंबर
डेढ़ दिन के बाद गणपति विसर्जन
- डेढ़ दिन बाद गणेश विसर्जन रविवार, 8 सितंबर 2024 को
- प्रातःकालीन मुहूर्त (शुभ) – 04:45 AM से 06:13 AM, 09 सितंबर
- दोपहर का मुहूर्त (चर, लाभ) – 01:51 PM से 03:23 PM
- शाम का मुहूर्त (शुभ, अमृता, चर) – शाम 06:26 बजे से रात 10:51 बजे तक
- प्रातःकालीन मुहूर्त (लाभ) – 01:48 AM से 03:16 AM, सितम्बर 09
तीसरे दिन गणपति विसर्जन:
- तीसरे दिन गणेश विसर्जन, सोमवार, 9 सितंबर, 2024
- प्रातःकाल का मुहूर्त (शुभ) – 09:16 पूर्वाह्न से 10:48 पूर्वाह्न तक
- प्रातःकाल का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृता) – प्रातः 06:13 बजे से प्रातः 07:45 बजे तक
- दोपहर का मुहूर्त (शुभ) – 01:51 PM से 06:26 PM
- शाम का मुहूर्त (अमृत, चर) – शाम 06:26 बजे से शाम 07:54 बजे तक
- रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 10:51 अपराह्न से 12:19 पूर्वाह्न, 10 सितंबर
पांचवें दिन गणपति विसर्जन
- 5वें दिन बुधवार, 11 सितंबर 2024 को गणेश विसर्जन
- प्रातःकालीन मुहूर्त – प्रातः 10:47 बजे से अपराह्न 12:19 बजे तक
- दोपहर का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 03:22 PM से 06:25 PM
- सायंकाल मुहूर्त (लाभ) – 07:53 अपराह्न से 12:19 पूर्वाह्न, 12 सितंबर
- प्रातः काल मुहूर्त (लाभ) – 03:16 पूर्वाह्न से 04:44 पूर्वाह्न, 12 सितंबर
- सुबह का मुहूर्त (लाभ, अमृता) – 06:13 पूर्वाह्न से 09:16 पूर्वाह्न तक
सातवें दिन गणपति विसर्जन
- 7वें दिन शुक्रवार, 13 सितंबर 2024 को गणेश विसर्जन
- सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृता) – 06:12 बजे से 10:47 बजे तक
- दोपहर का मुहूर्त (चर) – 04:52 अपराह्न से 06:23 अपराह्न तक
- दोपहर का मुहूर्त (शुभ)– 12:18 अपराह्न से 01:49 अपराह्न तक
- रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 09:21 अपराह्न से 10:49 अपराह्न तक
- रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृता, चर) – 12:18 पूर्वाह्न से 04:44 पूर्वाह्न, 14 सितंबर
गणपती विसर्जन का महत्व
विसर्जन के दौरान भक्त अपने आराध्य को पूरे श्रद्धा भाव से विदा करते है। विसर्जन के दौरान सुबह भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष पूरे परिवार व सगे संबंधियों के संग भव्य आरती करते हैं। इसके बाद उन्हें घर के बने लड्डू तथा फूल अर्पित करते है। इसके बाद गणपति बप्पा मोरिया के जयघोष के साथ सभी प्रतिमा को पूजा स्थल से लेकर नदी घाट के लिए निकलते हैं। नदी घाट पर सभी भक्त गणेश प्रतिमा के समक्ष अपने व अपने परिवार के लिए मंगल कामना करते हैं।
गणेश विसर्जन भगवान गणेश के रूप और जीवन के प्रतीक के लिए किया जाता है। उनका जन्म मिट्टी से हुआ था, और गणेश की मूर्तियाँ भी मिट्टी से बनी हैं। भक्त अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति को जल निकायों में विसर्जित करते हैं। विसर्जन इसलिए किया जाता है ताकि भगवान गणेश अपने घर वापस जा सकें।
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गणेश विसर्जन की पूजा विधि
- गणेश जी की आरती के साथ पूजा शुरू होती है। लोग अपने पूरे परिवार के साथ पूजा करते हैं।
- श्रद्धालु घर में बनी मिठाई मोदक के साथ ही फूल चढ़ाते हैं।
- आरती के बाद लोग गणेशजी की प्रतिमा को लेकर विसर्जन स्थल की ओर जाते हैं।
- गणपति विसर्जन की विधि पूरा करने वाले व्यक्ति पर जल का छिड़काव होता है।
- विसर्जन के लिए निकलने से पहले प्रतिमा को घर में घुमाया जाता है, ताकि बप्पा का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
- विसर्जन स्थल पर भी एक बार आरती करें।
- इसके बाद नदी या तालाब में धीरे-धीरे प्रतिमा का विसर्जन करें।
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