गायत्री जयंती 2025: जानिए देवताओं की माता के बारे में संपूर्ण जानकारी
गायत्री जयंती वेद की देवी मां गायत्री के जन्मदिन के रूप मे मनाई जाती है। वह वेद की देवी है, इसीलिए उन्हें उनके उपासक वेदमाता के नाम से भी पुरकारते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी गायत्री में त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के समान शक्ति है। वह देवी पार्वती, देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती का अवतार हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि देवी गायत्री श्रावण मास की पूर्णिमा को अवतरित हुई थी। हालांकि, कई जगहों पर मान्यता है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवी गायत्री प्रकट हुई थी। इस दिन देवी गायत्री की पूजा करने से उपासक को सकारात्मकता, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां गायत्री व्यक्ति को उसके जीवन के कठिन दौर से उभरने में मदद करती है, उसकी सारी इच्छाओं की पूर्ती करती है। अक्सर देखने को मिलता है, तो भक्त बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए गायत्री मंत्रों का उच्चारण करते हैं।
गायत्री जयंती को लेकर तथ्य
गायत्री जयंती श्रावण पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन संस्कृत भाषा के महत्व को दर्शता है, इसलिए लोग इस दिन को ‘संस्कृत दिवस’ के रूप में मनाते हैं। वैदिक भाषा को बढ़ावा देने के लिए लोग विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हैं या संस्कृत नाटकों का आयोजन करते हैं। गायत्री जयंती के इस शुभ दिन को गंगा अवतार या गंगा दशहरा भी कहा जाता है।
देवी गायत्री की कथा
शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र की उत्पत्ति ब्रह्मांड के निर्माण के समय सबसे पहले भगवान ब्रह्मा के मुख से हुई थी। भगवान ब्रह्मा अपने चार मुखों से गायत्री मंत्र की व्याख्या चार वेदों के रूप में की। ऐसा माना जाता है कि ऋषि विश्वामित्र ने मां गायत्री को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की और उसके बाद गायत्री मंत्र अस्तित्व में आया।
कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी यज्ञ में बैठने वाले थे, तो उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री को बुलाया, लेकिन उन्होंने आने में काफी देर कर दी। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया। देवी गायत्री उनकी पत्नी सावित्री की जगह यज्ञ में उनके पास बैठने के लिए सहमत हो गई। इसीलिए कहा जाता है कि देवी गायत्री में भगवान ब्रह्मा के गुण हैं। उपासक माता गायत्री की उपासना पूरी लगन और विश्वास के साथ करते हैं, और उन्हें देवताओं की माता के रूप में मानते हैं।
गायत्री जयंती 2025 की तिथि और समय
गायत्री जयंती | तिथि और समय |
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ज्येष्ठ गायत्री जयन्ती | शुक्रवार, जून 6, 2025 |
एकादशी तिथि प्रारम्भ | जून 06, 2025 को 02:15 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त | जून 07, 2025 को 04:47 बजे |
गायत्री जयन्ती | शनिवार, अगस्त 9, 2025 |
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ | अगस्त 08, 2025 को 14:12 बजे |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | अगस्त 09, 2025 को 13:24 बजे |
देवी गायत्री की पूजा का महत्व
गायत्री जयंती का पर्व हिंदूओं में काफी महत्वपूर्ण है। देवी गायत्री को लेकर भक्तों में काफी विश्वास और श्रद्धा है। कहा जाता है कि जब विश्वामित्र ने देवी गायत्री को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। तब उन्होंने कहा कि जब भी कोई देवी गायत्री के मंत्रों का जाप करेगा, उसकी समस्या के समाधान के लिए देवी गायत्री उसकी सहायता करेगी। उसके बाद, लोगों ने देवी से आशीर्वाद लेने के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भी देवी गायत्री की पूजा का अत्यधिक महत्व है। लोगों का मानना है कि इस दिन देवी गायत्री स्वयं पृथ्वी पर आई थी। श्रावण पूर्णिमा पर लोग जीवन की बाधाओं और कष्टों को दूर करने के लिए देवी की पूजा करते हैं।
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गायत्री मंत्र जाप के लाभ
जो व्यक्ति गायत्री मंत्र का जाप श्रद्धा और अत्यधिक भक्ति से करता है, उसे देवा गायत्री से आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवी गायत्री के मंत्र जाप से निम्न लाभ होता है।
- मन शांत और एकाग्र रहता है। सकारात्मक मानसिकता विकसित होती है।
- चिंता, दुख या भ्रम होते हैं।
- कार्य और शित्रा में मनोवांछित सफलता मिलती है।
- शिव गायत्री मंत्र का जाप करने से पितृदोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु और शनि की पीड़ा से मुक्ति मिल सकती है।
- संतान को बुद्धि और जीवन में सफलता मिलती है।
- गायत्री मंत्र का लगातार जाप करने से भक्तों को अपने पापों से मुक्ति मिल सकती है।
गायत्री जयंती के दिन क्या करें
- इस दिन उपासक सूरज निकलने से पहले उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। नहाते के पानी में गंगाजल मिला लेगें, तो यह अच्छा रहेगा।
- इस दिन मां गायत्री का उपवास रखें, और मां गायत्री की पूजा करें।
- घर के मंदिर में गायत्री माता की मूर्ति या चित्र लगाएं।
- गायत्री मंत्र, गायत्री आरती या गायत्री चालीसा का पाठ करें।
- गायत्री मंत्र का जाप कर हवन का आयोजन करें।
- गरीबों को अनाज या कपड़े का दान करें।
- अपने माता-पिता, गुरुओं या बड़ों का आशीर्वाद लें।
निष्कर्ष
मां गायत्री की जयंती को लेकर भक्तों में काफी उत्साह रहता है। उपासक देवी गायत्री का आशीर्वाद पाने के लिए पूजा या यज्ञ का आयोजन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि आप मां गायत्री को याद कर उनका जाप करते हैं, तो देवी आपकी सारी मनोकामनाओं की पूर्ती करती है। आशा करते हैं कि यह यह ब्लॉग पढ़ने के बाद आप गायत्री जयंती के महत्व को समझ गए हों। देवी गायत्री आपको ज्ञान और ज्ञान प्रदान करें।
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