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इष्टी और अन्वधान त्यौहार के बारे में जानिए

वैष्णव सम्प्रदाय में इष्टी तथा अन्वधान को एक अनिवार्य पर्व माना गया है। संस्कृत में अन्वधान का अर्थ है अग्निहोत्र (हवन या होम) करने के बाद अग्नि प्रज्जवलित करने की परंपरा। इसी प्रकार इष्टी का संस्कृत भाषा में अर्थ है ‘इच्छा’। पारंपरिक रूप से इष्टी एक प्रकार का हवन है जो प्रत्येक मास एक निश्चित मुहूर्त में किया जाता है। यह कुछ घंटों से लेकर कई महीनों तक चल सकता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त उनका आह्वान करते हैं और व्रत कर उनकी पूजा करते हैं। यह पर्व प्रत्येक हिंदू मास में, अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन दो बार आता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।

अन्वधान इष्टी से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। दोनों ही पर्व एक-दूसरे से संबंधित हैं, हालांकि बहुत से लोग इनमें कन्फ्यूज हो जाते हैं। अन्वधान एक दिन पूर्व आता है, इस दिन वैष्णव भक्त व्रत रखते हैं तथा इष्टी के दिन हवन किया जाता है।


कौन होते हैं वैष्णव

सनातन धर्म में पांच प्रमुख सम्प्रदाय माने गए हैं जिनके नाम क्रमश: वैष्णव, शैव, शाक्त, गाणपत्य तथा सौर्य हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि भगवान विष्णु के भक्तों को वैष्णव कहा जाता है। इनके अनुसार भगवान विष्णु ही महाविष्णु के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के द्वारा इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, संचालन और संहार का कार्य करते हैं। भगवान विष्णु पृथ्वी पर अधर्म का नाश करने के लिए समय-समय पर अवतार लेते हैं तथा पापियों का नाश कर फिर से धर्म की स्थापना करते हैं। वह अब तक नौ अवतार ले चुके हैं और दसवां कल्कि अवतार का जन्म होना बाकी है।

क्या आप इष्ट और आनंदन पर्व के अर्थ और महत्व के बारे में जानते हैं ?


कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा एवं यज्ञ

शास्त्रों में भगवान विष्णु का एक नाम यज्ञ भी बताया गया है। इष्टि के दिन उन्हीं भगवान विष्णु के निमित्त यज्ञ किया जाता है। इस दिन सुबह स्नान आदि कर साफ, स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प करें। घर के पूजास्थल अथवा घर के निकट के किसी मंदिर में भगवान विष्णु तथा लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा करें तथा विष्णुजी के महामंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र से हवन करें। हवन के बाद गाय, बंदर, कबूतर, चींटी, ब्राह्मण तथा किसी गरीब जरूरतमंद को यथासंभव भोजन आदि दान करें। इस प्रकार यज्ञ करने से भक्तों का दुर्भाग्य दूर होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


वर्ष 2021 में कब-कब आएगा इष्टि का पर्व

तारीखदिनतिथि
13 जनवरी 2021बुधवारअमावस्या
29 जनवरी 2021शुक्रवारपूर्णिमा
12 फरवरी 2021शुक्रवारअमावस्या
27 फरवरी 2021शनिवारपूर्णिमा
14 मार्च 2021रविवारअमावस्या
29 मार्च 2021सोमवारपूर्णिमा
12 अप्रैल 2021सोमवारअमावस्या
27 अप्रैल 2021 मंगलवारपूर्णिमा
12 मई 2021बुधवारअमावस्या
27 मई 2021गुरुवारपूर्णिमा
11 जून 2021शुक्रवारअमावस्या
25 जून 2021शुक्रवारपूर्णिमा
10 जुलाई 2021शनिवारअमावस्या
24 जुलाई 2021शनिवारपूर्णिमा
9 अगस्त 2021सोमवारअमावस्या
23 अगस्त 2021सोमवारपूर्णिमा
7 सितंबर 2021मंगलवारअमावस्या
21 सितंबर 2021मंगलवारपूर्णिमा
7 अक्टूबर 2021गुरुवारअमावस्या
21 अक्टूबर 2021गुरुवारपूर्णिमा
5 नवंबर 2021शुक्रवारअमावस्या
20 नवंबर 2021शनिवारपूर्णिमा
4 दिसंबर 2021शनिवारअमावस्या
19 दिसंबर 2021रविवारपूर्णिमा