जानें कृष्ण पिंगला चतुर्थी की व्रत, कथा और मुहूर्त…

जानें कृष्ण पिंगला चतुर्थी की व्रत, कथा और मुहूर्त…

कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी जिसको संकट गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान गणेश का होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश पृथ्वी पर ही विराजमान होते हैं। आषाढ़, कृष्ण पक्ष और ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष के संकष्टी व्रत को कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इसे करने से भगवान गणेश सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं। धार्मिक ग्रंथों मे ऐसा कहते हैं कि कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी वाले दिन ही भगवान शंकर ने यह घोषणा की थी कि गणेश भगवान को सभी प्रसंगों में सबसे प्रथम पूज्य और सबसे महत्वपूर्ण माना जाएगा। किसी भी पूजा को करने से पहले भगवान गणेश का नाम जरूर लिया जाएगा। 

माना जाता है कि कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी भक्तों के जीवन से कष्टों और दुख से छुटकारा मिल जाता है ।

कृष्ण पिंगला चतुर्थी 2025 में कब है?

कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी: शनिवार, 14 जून 2025

संकष्टी के दिन चन्द्रोदय21:28
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ14 जून 2025 को 15:46
चतुर्थी तिथि समाप्त 15 जून 2025 को 15:51

कृष्ण पिंगला चतुर्थी पूजाविधि

कृष्ण पिंगला चतुर्थी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध पानी से स्नान करें। उसके पश्चात साफ पीले या लाल रंग के वस्त्र को धारण करें। घर की पूरी तरह से सफाई करें, पूरे घर मे गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा के स्थान पर चौकी रखें और उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर गणेश भगवान की प्रतिमा रखें। अब भगवान गणेश को घी का दीपक लगाएं और सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद पुष्प चढ़ाकर पूजन की सारी सामग्री चढ़ाएं। भोग के लिये फल, मोदक या मोतीचूर के लड्डू भी चढ़ा सकते हैं। उसके बाद भगवान गणेश जी की आरती करें। पूजा करते समय भगवान गणेश के मंत्रों का उच्चारण भी करते रहें। संध्या के समय चंद्रमा निकलने के बाद पूजा करके भोजन ग्रहण करें।

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कृष्ण पिंगला चतुर्थी महत्व

ऐसी धार्मिक मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान गणेश को सर्वोच्च देवता के रूप में स्वीकृति प्राप्त हुई थी। इस दिन जो भी भक्त पूरे विधि-विधान से व्रत का पालन करता है, भगवान गणेश उसके जीवन के सभी कष्ट हर लेते हैं। भगवान गणेश सबकी बाधाओं को दूर करके उन्हें सौभाग्य, स्वास्थ्य, धन, शांति, समृद्धि और खुशी प्रदान करते हैं। कृष्ण पिंगला चतुर्थी पर एक दिन का उपवास किया जाता हैं, व्रत कथा पढ़ जाती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

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कृष्ण पिंगला चतुर्थी व्रत कथा

एक समय की बात है, एक गाँव में दो भाई बहन रहते थे। उनमें बहन का हमेशा से नियम था कि वह अपने भाई का चेहरा देखकर ही खाना खाती थी। प्रतिदिन सुबह वह उठती और जल्दी-जल्दी सारा काम करके अपने भाई का मुंह देखने के लिए उसके घर जाया करती थी। एक दिन रास्ते में एक पीपल के नीचे गणेश जी की मूर्ति रखी थी। उसने भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहा कि मेरे जैसा अच्छा सुहाग और मेरे जैसा अच्छा पीहर सबको दीजिए। यह कहकर वह आगे बढ़ गई। जंगल के झाड़ियों के कांटे उसके पैरों में चुभते रहते थे। एक दिन वह अपने भाई के घर पहुंची और भाई का मुंह देख कर बैठ गई, तो उसकी भाभी ने पूछा कि पैरों में क्या हो गया हैं। यह सुनकर उसने भाभी को जवाब दिया कि रास्ते में जंगल के झाड़ियों से गिरे हुए कांटे पांव में चुभ गए हैं। जब वह वापस अपने घर आने लगी तब भाभी ने अपने पति से कहा कि उस रास्ते को साफ करवा दीजिए, आपकी बहन के पांव में बहुत सारे कांटा चुभ गए हैं। भाई ने तब कुल्हाड़ी लेकर सारी झाड़ियों को काटकर रास्ता साफ कर दिया। जिससे गणेश जी का स्थान भी वहां से हट गया। यह देखकर भगवान क्रोधित हो गए और उसके भाई के प्राण ले लिए।

जब लोग अंतिम संस्कार के लिए उसके भाई को ले जा रहे थे, तब उसकी भाभी रोते हुए लोगों से कहने लगी कि थोड़ी देर रुक जाओ, उनकी बहन आने वाली है। वह अपने भाई का मुंह देखे बिना नहीं रह सकती है। उसका यह नियम है। तब लोगों ने कहा आज तो देख लेगी पर कल कैसे देखेगी। हर दिन की तरह बहन अपने भाई का मुंह देखने के लिए जंगल में निकली। तब जंगल में उसने देखा कि सारा रास्ता साफ किया हुआ है। जब वह आगे बढ़ी तो उसने देखा कि सिद्धिविनायक को भी वहां से हटा दिया गया हैं। तब उसने भाई के पास जाने से पहले गणेश जी को एक अच्छे स्थान पर रखकर उन्हें फिर से एक स्थान दिया और हाथ जोड़कर बोली भगवान मेरे जैसा अच्छा सुहाग और मेरे जैसा अच्छा पीहर सबको देना और यह बोलकर आगे निकल गई।

तब भगवान सिद्धिविनायक ने उसे आवाज लगाई और कहा कि बेटी इस खेजड़ी की सात पत्तियां लेकर जा और उसे कच्चे दूध में घोलकर भाई के ऊपर छींटें मार देना वह जीवित हो जाएगा। यह सुनकर जब बहन पीछे मुड़ी तो वहां कोई नहीं था। फिर वह उसने सोचा कि ठीक है, जैसा सुना वैसा कर लेती हूं। वह 7 खेजड़ी की पत्तियां लेकर अपने भाई के घर पहुंची। उसने देखा वहां कई लोग बैठे हुए हैं, भाभी बैठी रो रही और भाई की लाश रखी हैं। तब उसने उन पत्तियों को बताए हुए नियम के जैसे अपने भाई के ऊपर इस्तेमाल किया। उसका भाई फिर से जीवित हो गया। 

इन मंत्रों से करें गणेश जी की पूजा

  • दुर्वा अर्पित करते हुए मंत्र बोलें ‘इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः।

ये मंत्र जीवन में शांति का संचार करता है। 

  • एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
  • ओम नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

ये धन संपत्ति के लिए किया जाने वाला मंत्र है। 

  • ओम ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।

ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।

यह मंत्र जीवन से परेशानी को दूर करता है। 

ओम एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।

कृष्ण पिंगला पर करें गणपती की आरती

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे,

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फूल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे,

संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत,

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

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