जानिए क्या है नाग पंचमी (Nag panchmi) का महत्व

जानिए क्या है नाग पंचमी (Nag panchmi) का महत्व

कई त्योहार हमारे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है नागपंचमी। इसे हिंदू धर्म में काफी अहम स्थान दिया गया है।

नागपंचमी का त्योहार सावन माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस साल 205 में नाग पंचमी उत्तर भारत में मंगलवार, 29 जुलाई 2025

नाग पंचमी का महत्व

इस दिन नागलोक या फिर कहें कि पाताल लोक के स्वामी की आराधना की जाती है। यह भारत के अलावा पड़ोसी मुल्क नेपाल सहित दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। नाग का नाम सुनते ही हमारे मन में डर की भावना आ जाती है। नाग को काल का भी प्रत्यक्ष रूप माना गया है। लेकिन, नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा करने से यह डर दूर हो जाता है। नागपंचमी के दिन उपासक नाग देवता को दूध अर्पित करते हैं। कई लोग विभिन्न आकार की सांप की आकृति बनाकर उसकी उसकी पूजा करते हैं। वहीं कई इलाकों में घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र बनाया जाता है।

महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित देश के कई भागों में नाग देवता के स्थायी मंदिर भी है, जहां भक्त नागपंचमी के दिन नाग देवता की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। आज के परिपेक्ष्य में देखें तो नाग पंचमी को नागों के संरक्षण के रूप में भी देखा जा सकता है। यह हमें नाग को बचाने की प्रेरणा देता है। नाग पंचमी के दिन नाग के अलावा भगवान शिव की भी पूजा की जानी चाहिए, इससे नागदेवता खुश होते हैं।

नाग पंचमी का दिन और शुभ मुहूर्त

हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार नाग पंचमी सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल 2025 में यह 29 जुलाई 2025 दिन मंगलवार को पड़ रही है। हालांकि, दक्षिण भारत और गुजरात के कुछ हिस्सों में इसे कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है, जो कृष्ण जन्माष्टमी के तीन दिन पहले पड़ती है। आइए जानते हैं कि नागपंचमी की पूजा किस मुहूर्त में करना शुभ होगा :-

उत्तरी भारत में नाग पंचमी की तिथि और मुहूर्त

नाग पंचमीतिथि और समय
नाग पंचमी 202529 जुलाई 2025, मंगलवार
पंचमी तिथि प्रारंभ28 जुलाई 2025 को रात 11:24 बजे
पंचमी तिथि समाप्त30 जुलाई 2025 को प्रातः 12:46 बजे
नाग पंचमी पूजा मूहूर्तप्रातः 05:41 बजे से प्रातः 08:23 बजे तक

दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों सहित गुजरात में मनाई जाने वाली नाग पंचमी मुहूर्त

नाग पंचमतिथि और समय
नाग पंचम 2025बुधवार, अगस्त 13, 2025
पंचमी तिथि प्रारम्भअगस्त 12, 2025 को 21:05 बजे
पञ्चमी तिथि समाप्तअगस्त 13, 2025 को 18:53 बजे
नाग पंचम पूजा मूहूर्त06:22 से 09:07
अवधि02 घण्टे 45 मिनट्स

भारत समेत कई जगहों पर नागपंचमी का त्योहार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों सहित गुजरात में कृष्ण पक्ष की पंचमी को नाग पंचम का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देव के 12 स्‍वरूपों की पूजा की जाती है और दूध चढ़ाया जाता है। सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसलिए भी नाग पंचमी को सावन के महीने में मनाया जाता है। आन्ध्र प्रदेश में नाग की पूजा करने का एक अलग दिन है। यहां पर नाग चतुर्थी अथवा नागुला चविथी दीपावली के ठीक बाद चतुर्थी को मनायी जाती है।

नाग पंचमी की पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध जल से स्नान करें। साथ ही अपने घर में गंगा जल या फिर शुद्ध जल का छिड़काव करें। इस दिन नाग को नागदेवता का जीवित स्वरूप मानकर उसकी पूजा की जाती है। नागपंचमी के दिन उपवास रखना भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। पूजा करने के लिए नाग देवता का चित्र या फिर मिट्टी से नाग की प्रतिमा बनाकर उसकी लड़की की चौकी पर स्थापना करें। वहीं घर के दरवाजे के दोनों ओर भी नाग का चित्र बना सकते हैं। उसके बाद  हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करेंं। इसके बाद कच्चे दूध में घी  और चीनी मिलाकर नाग को अर्पित करें। इसके बाद आप नाग देवता की आरती करें, और किसी सपेरे को दक्षिणा देकर उसे विदा करें। इसके बाद आपको नांगपंचमी की कथा सुनना चाहिए। इसके अलावा नाग पंचमी के दिन रूद्राभिषेक का भी महत्व है। यह दिन गरुड़ पंचमी के नाम से भी प्रसिद्घ है, इसलिए नाग पंचमी के दिन गरुड़ की भी पूजा की जानी चाहिए। नाग पंचमी के दिन इन 12 नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

अपने ग्रह की स्थिति के आधार पर हमारे विशेषज्ञों से निःशुल्क कुंडली चार्ट प्राप्त करें।

नाग पंचमी पर लें 12 नागों का नाम

  • अनन्त
  • वासुकि
  • शेष
  • पद्म
  • कम्बल
  • कर्कोटक
  • अश्वतर
  • धृतराष्ट्र
  • शङ्खपाल
  • कालिया
  • तक्षक
    पिङ्गल

नाग पंचमी पूजा मन्त्र

ॐ भुजंगेशाय विद्महे, नागराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।

– ‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।

ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।

ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।

ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।’

इस मंत्र का अर्थ होता है कि इस ब्रह्मांड में निवास करने वाले नाग देवताओं को हम बारंबार नमन करते हैं, आप हमें आशीर्वाद दें।

आप वार्षिक जीवन में क्या करेंगे? प्रीमियम जन्मपत्री रिपोर्ट तक पहुंच प्राप्त करें।

नाग पंचमी की कथा

भारत के अलग अलग हिस्सों में नागपंचमी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि नागपंचमी की पूजा करने के बाद इसकी कथा सुनने से अधिक लाभ मिलता है। इनमें से सबसे प्रचलित कथा के बारे में हम आपको बताते हैं।

प्राचीन काल में एक सेठ के सात बेटे थे। उनमें सबसे छोटे बेटे की पत्नी का कोई भाई नहीं था। एक दिन उनकी पत्नियां घर को लीपने के लिए मिट्टी लेने गई थी। मिट्टी खोदते समय सबसे बड़ी बहु को एक सांप दिखा, सांप को देखते ही वह उसे मारने लगी। तभी सबसे छोटी बहु ने उसे रोकते हुए कहा कि यह बेचारा निरपराध है। यह सुनकर बड़ी बहु ने उसे नहीं मारा और सांप एक तरफ जाकर बैठ गया। तभी सांप को छोटी बहु ने कहा कि तुम कहीं जाना मत मैं लौट कर आती हूं। सांप अपनी जगह पर बैठा रहा, लेकिन छोटी बहु सबकुछ भूल गई और घर चली गई। जब उसे अगले दिन इस बात का एहसास हुआ, तो वह दौड़ती हुई उस सांप के पास गई, और उसे भाई संबोधित करते हुए मांफी मांगी। तब नाग ने उसे कहा कि तुमने मुझे भाई कहा है इसीलिए मैं तुम्हेें माफ करता हूं। तब सांप ने कहा कि तुमने मेरी जान बचाई है, तुम जो चाहो मुझसे मांग सकती है। तभी छोटी बहु ने कहा कि मैरा कोई भाई नहीं है, तुम मेरे भाई बन जाओ। सांप ने उसकी इच्छा पूरी करते हुए उसका भाई बनना स्वीकार किया और उसे उपहार स्वरूप कुछ देने के लिए अपने घर में लेकर गया। वहां का धन और ऐश्वर्य देखकर छोटी बहु हैरान रह गई, उसका घर हीरे जवाहरात से भरा हुआ था। सांप ने अपनी बहन को बहुत से गहने और हीरे से जड़ा हार देकर विदा कर दिया।

जब वह अपने घर हार लेकर लौटी तो इसकी चर्चा पूरे राज्य में फैल गई। छोटी बहु के हार की खबर उस राज्य की रानी तक पहुंच गई, उसने हार को पहनने के लिए राजा से जिद की। राजा की आज्ञा पाकर सेवक छोटी बहु से हीरे-मोतियों से जड़ा हार लेकर आ गए। अपने भाई के द्वारा उपहार में दिए गए हार को राजा द्वारा छीने जाने से छोटी बहुत दु:खी हो गई, उसने अपने भाई को पुकारते करते हुए कहा कि जब भी रानी उस हार को पहने वह हार सांप बन जाए, और उतारने पर वापस अपने स्वरूप में आ जाए। नाग ने अपनी बहन की इस इच्छा को पूरी कर दी। अब जब भी रानी इस हार को पहनने की कोशिश करती, वह सांप बन जाता। राजा को जब इस बात की खबर लगी तो उन्होंने तुरंत ही छोटी बहु के लिए बुलावा भेजा, और उससे पूछा कि तूने क्या जादू किया है। तभी छोटी बहु ने विम्रता पूर्वक कहा कि – क्षमा करें महाराज यह हार ऐसा ही है, जब यह मेरे अलावा किसी अन्य के गले में होता है, तो यह सांप बन जाता है। राजा ने उसे इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देने के लिए कहा। छोटी बहु ने जब हार पहना तो वह हार ही था। तब राजा को उसकी बात पर विश्वास हो गया और उसका हार लौटा दिया। जब इस बात की खबर छोटी बहु के घर वालों को लगी, तो उन्होंने इसके बारे में जानने की इच्छा जाहिर की। तभी छोटी बहु ने अपने नाग भाई के बारे में बताया। लेकिन उसकी बात पर कोई विश्वास नहीं कर रहा था। तभी उसने फिर से अपने भाई को पुकारा। बहन की पुकार सुनकर नागराज प्रकट हुए और सबको सच्चाई बताई। तभी से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।

नाग पंचमी से जुड़ी वैसे तो कई कथाएं प्रचलित है, लेकिन देश के अधिकतर हिस्सों में यह कथा सुनाई जाती है। अधिकतर जगहों पर इसी कथा को सुनकर पूजा का समापन किया जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टि से नाग पंचमी

ऐसा नहीं है कि नाग पंचमी का त्योहार सिर्फ धार्मिक कारणों से मनाया जाता है। इसका एक वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है। जैसे कि पूरे विश्व में कई सारी प्रजातियां हैं, जो आजकल विलुप्त होती जा रही है। ऐसे में हमें उन्हें संरक्षण देने की जरूरत है। उन्हें बचाने के लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है। कई बार लोग सांप को इसी से डरकर मार देते हैं कि कहीं वह डस न लें। जबकि, कहा जाता है कि जब तक आप सांप से छेड़ते नहीं है, वह नहीं डसता है। सांपों से किसानों को फायदा भी है। खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचानें वाले चूहे आदि जीवों का नाग नष्‍ट कर देता है, जिससे किसानों की फसल सुरक्षित रहती है। नागपंचमी के साथ नाग की पूजा करने से लोगों के बीच जागरुकता आएगी और उन्हें बचाने का प्रयास करने को लेकर जागरूकता फैलेगी।

निष्कर्ष

नागपंचमी के दिन महिलाएं नाग को भाई के रूप में पूजती है। नाग पंचमी की कथा में इसका कारण उल्लेख है। इस दिन देवाधिदेव महादेव की पूजा करने से भी लाभ प्राप्त होता है। सावन के माह में महादेव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि अगर आपके घर में किसी की मृत्यु सांप के काटने से हुई है, तो आपको सालभर यानी बारह महीने तक पंचमी का उपवास करना चाहिए। इससे भविष्य में कभी भी सांप का भय नहीं होता है। दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आप नागपंचमी के महत्व के बारे में समझ गए होंगे। कुछ दिनों बाद नागपंचमी का त्योहार आने वाला है, आशा है कि आप नाग पंचमी का त्योहार विधि विधान के साथ ही मनाएंगे। साथ ही भगवान शिव की आराधना के साथ नाग की पूजा कर इसका उचित लाभ लेंगे।

अपने राशिफल के बारे में जानना चाहते है? अभी किसी ज्योतिषी से बात करें!