जानिए पारसी नव वर्ष का महत्व

जानिए पारसी नव वर्ष का महत्व

पारसी समुदाय हमारे देश में लंबे समय से रह रहा है। वे अन्य भारतीय समुदायों के साथ घुलमिल गए हैं और भारत में शांति से रहते हैं। पारसी लोग ईरानी कैलेंडर के अनुसार साल के पहले दिन अपना पारसी नव वर्ष मनाते हैं। पारसी नव वर्ष को नवरोज़ या जमशेदी नवरोज़ के नाम से भी जाना जाता है। इस साल पारसी समुदाय शुक्रवार, 15 अगस्त 2025 को नव वर्ष मनाएगा। महाराष्ट्र और गुजरात में पारसी समुदाय की अधिकता के कारण इन राज्यों में नवरोज के उत्सव की धूम विशेष रूप से देखने को मिलती है। लोग अपने पारंपरिक परिधान में एक दूसरे से मिलकर शुभकामनाएं देते हैं। घरों को सजाया जाता है, स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयां बनती हैं, एक दूसरे को तोहफे देते हैं। पूजा स्थलों में विशेष आराधना होती है, फल-फूल चढ़ाए जाते हैं। इस दिन भगवान से से परिवार, समाज और देश की खुशहाली की प्रार्थना की जाती है।

अगस्त में पारसी नव वर्ष समारोह की तिथि

भारत में पारसी नव वर्ष मार्च के महीने में नहीं मनाया जाता है, जैसा कि दुनिया के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है। भारत में, पारसी नव वर्ष की तारीख अलग है, इस आने वाले साल में यह शुक्रवार, 15 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। भारत में पारसी समुदाय शहंशाही कैलेंडर का पालन करता है, और यह लीप वर्ष के लिए नहीं गिना जाता है। इस प्रकार, पिछले साल 2025 में शुक्रवार, 15 अगस्त 2025 को पारसी नव वर्ष उत्सव मनाया गया था। दुनिया भर में करीब 300 मिलियन से ज्यादा लोगों के द्वारा नवरोज उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। नववर्ष नवरोज के लिए पारसी लोग साल भर इंतजार करते हैं।

पारसी नव वर्ष का इतिहास और परंपरा

पेरिस के लोग फारस के मूल निवासी हैं, उनका धर्म पारसी धर्म है। इसकी खोज जरथुस्त्र ने फारस में ही की थी। पारसी नव वर्ष समारोह जमशेद-ए-नौरोज़ के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसका नाम फारस के राजा जमशेद के नाम पर रखा गया है, उन्होंने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। पारसी लोगों ने 3000 साल पहले पारसी नव वर्ष के जश्न के साथ इसकी शुरुआत की थी। पारसी नव वर्ष को नवरोज के नाम से भी जाना जाता है। नव का अर्थ है नया, और रोज़ का अर्थ है दिन, अर्थात नवरोज। अंग्रेजी कैलेंडर में साल 365 दिनों का होता है,जबकि पारसी समुदाय के लोग 360 दिनों का ही साल मानते हैं, बाकी के पांच दिन गाथा के रूप में मनाए जाते हैं। पांच दिन जब परिवार के सभी लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, तो उसे गाथा कहा जाता है। पारसी इतिहास और कई मामलों में खास है, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्या है नए साल की कहानी?

नवरोज़ या जमशेद-ए-नवरोज़ का त्योहार पारसी राजा, जमशेद के नाम पर रखा गया था, जिन्हें पारसी या शहंशाही कैलेंडर बनाने का श्रेय भी दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जमशेद ने दुनिया को सर्वनाश होने से बचाया था। राजा जमशेद ने इसी रोज सिंहासन भी ग्रहण किया था, तभी से इस दिन को पारसी समुदाय के लिए नए साल के रूप में मनाए जाने की शुरुआत हुई। पारसी समुदाय की मान्यताओं के अनुसार इस दिन राजा जमदेश की विशेष पूजा-अर्चना करने से परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।

पारसी नव वर्ष समारोह का महत्व

पारसी लोग पारसी नव वर्ष को वैसे ही मनाते हैं, जैसे वे नवरोज वसंत उत्सव मनाते हैं। पारसी लोग नव वर्ष की पूर्व संध्या उत्सव शुरू करते हैं। पासरी दिन की शुरुआत जल्दी उठकर स्नान करने से करते हैं। इसके बाद वे अपने प्रथागत सांस्कृतिक पोशाक के साथ तैयार होते हैं और अगियारी या अग्नि मंदिर जाते हैं। पारसी भगवान को दूध और फूल चढ़ाते हैं। इस दिन पारसी समुदाय के लोग अपने घरों की अच्छे से सफाई करते हैं, और और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं। साथ ही एक-दूसरे को उपहार भी देते हैं और त्योहार का लुत्फ उठाते हैं। दान करना भी पारसी नव वर्ष महोत्सव का एक अभिन्न अंग हैं, इसलिए पारसी लोग इस दिन दान करना भी पसंद करते हैं। इस दिन पारसी लोग किसी के साथ भी अपने मुद्दों को सुलझाते हैं, जिससे उन्हें परिवार में शांति और सद्भाव लाने में मदद मिलती है।

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पारसी नव वर्ष के दिन विशेष व्यंजन

पारसी लोग खाने के बहुत शौकीन होते हैं और अपने घरों को रंग-बिरंगी रंगोली और रोशनी से सजाते हैं। पारसी लोग अपने घर आने वाले मेहमानों को नवरोज मुबारक कहकर बधाई देते हैं। वे घर में आने वाले मेहमानों के सम्मान में गुलाब जल भी छिड़कते हैं। भोजन पारसी नव वर्ष समारोह का एक अभिन्न अंग है। पारसी नए साल के खास मौके को सेलिब्रेट करने के लिए मिठाइयां और स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं। पारसी नव वर्ष के दिन परोसे जाने वाले कुछ बेहतरीन भोजन हैं धनसक, बेरी पुलो, पात्रा नु माछी, फरचा और सल्ली बोटी।

निष्कर्ष

पारसी समुदाय में इसे त्यौहार को मनाने की परंपरा काफी पुरानी है. इस दिन जरथुस्त्र की तस्वीर, मोमबत्ती, कांच, अगरबत्ती, शक्कर, सिक्के जैसी पवित्र चीजें एक जगह रखी जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। नवरोज के दिन परिवार से सभी लोग प्रार्थना स्थलों पर जाकर पुजारी को धन्यवाद भी देते हैं। इसके अलावा पवित्र अग्नि में चन्दन की लकड़ी चढ़ाने की परंपरा भी है।  

उम्मीद करते हैं कि आप पारसी समुदाय के इस उत्सव के बारे में समझ गए होंगे। पारसी मौज-मस्ती करने वाले लोग होते हैं और पारसी नव वर्ष का जश्न उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस पारसी नव वर्ष पर पवित्र अग्नि, संपूर्ण मानव जाति को आशीर्वाद दें।