वैदिक ज्योतिष में क्या दर्शाता है कुंडली का आठवां भाव

वैदिक ज्योतिष में क्या दर्शाता है कुंडली का आठवां भाव

वैदिक ज्योतिष में आयु भाव होने के कारण आठवें भाव का बहुत महत्व है। आयु, मृत्यु, लोन इसके साथ ही जीवन की अनचाही घटनाओं का पता आठवें भाव से लगाया जाता है। आठवें भाव को दुख का भाव भी कहा जाता है, ऐसा माना जाता है की यह हमेशा बुरा ही प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर डालता है। तो आइए जानते हैं, कुंडली में आठवां भाव क्या होता है?


आठवां भाव किसका प्रतिनिधित्व करता है

धन से संबंधित अप्रत्याशित उतार चढ़ाव,
दुर्घटना
घायल होना
अनचाही बीमारी,
आयु,
डेथ की वजह
विरासत,
इंश्योरेंस

इसमें कोई दो राय नहीं है की आठवा भाव बदलाव और रहस्य का भाव है। और अगर पॉजिटिव पहलू की बात करें तो, आठवें भाव से पता लगाया जा सकता है, जातक का सुख किन चीजों में छुपा हुआ है। यों कहें तो अमूमन जब व्यक्ति पूजा प्रार्थना करता है, तब भगवान से अपने लिए पैसा और दीर्घायु मांगता है। तो पैसा और दीर्घायु मिलना ना मिलना जातक की कुंडली के आठवें भाव पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव निर्भर करता है। साथ ही यह भाव आपके पैसे और भाग्य की स्थिति में उतार-चढ़ाव को भी इन्डिकेट करता है। यहां देखना यह है, जब आठवें भाव में शुभ ग्रह हो, या फिर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तब व्यक्ति का भाग्य हाई स्पीड में दौड़कर उसे प्रॉफिट देता है। जब स्थिती विपरीत हुई यानी की कोई अशुभ ग्रह इस भाव में हो जातक के लिए कई प्रकार की समस्या होती है।

अब हम जान चुके हैं आठवें भाव का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है, तो अब आइए जानते हैं आठवें भाव के स्वामी कौन से ग्रह होते हैं। कालपुरुष की कुंडली में आठवें भाव में वृश्चिक राशि होती है, जिसका मतलब हुआ की मंगल आठवें भाव का स्वामी हुआ। यह तो काल पुरुष कुंडली के अनुसार का एक सिद्धांत हुआ। इसके बाद जैसे जैसे लग्न बदलते है, आठवें भाव की राशि और उनके स्वामी भी बदलते हैं। आइए जानते हैं आठवें घर में स्थित अलग अलग राशि के क्या प्रभाव होते हैं।


ज्योतिष में आठवें घर का महत्व और लग्न के आधार पर उनके स्वामी

मेष लग्न

आठवें भाव में वृश्चिक राशि: जब आप की कुंडली का लग्न मेष हो तो आठवें भाव में वृश्चिक राशि होती है, और इनके स्वामी होते हैं मंगल। मंगल की वजह से व्यक्ति बनाने और बिगाड़ने की कला में माहिर होते है। धार्मिक कार्यों की ओर भी आपका झुकाव रहेगा। इसी के साथ आपको फिलोसॉफिकल नॉलेज भी अच्छी होती है। पैसों को लेकर यह लोग बहुत ज्यादा सोच-विचार करते हैं। कहां खर्च करें कहां नहीं इस पर अच्छे से सोचते है, फिर कोई कदम उठाते हैं। चूंकि आठवें भाव में स्थित वृश्चिक राशि रहस्यमय राशियों में से एक है। यह आपके व्यक्तित्व को गुप्त बनाती है।

वृषभ लग्न

आठवें भाव में स्थित धनु राशि: धनु राशि आठवें भाव में होने से बृहस्पति इस भाव के स्वामी माने जाते हैं। जिसके कारण आप का दृष्टिकोण आशावादी होता है, जो आप को दार्शनिक बनाता है, और धर्म की ओर आपका झुकाव नेचुरल होता है। साथ ही आप बदलाव को अपना लेते हैं उत्तेजित नहीं होते।
किसी प्रकार के चेंज में आप आसानी से एडजस्ट हो जाते हैं। आप की कोशिश रहती है कि आप नॉलेजेबल पार्टनर के साथ रहें, ताकी पैसो के झंझट से दूर रहें।

मिथुन लग्न

आठवें भाव में स्थित मकर राशि: जब आठवें भाव पर मकर राशि का आधिपत्य होता है तब शनि उसके स्वामी होते हैं। ऐसे जातक के बारे में कहा जाता है कि यह लोग जीवन से दूर जाने से पहले दुनिया के लिए मिसाल कायम कर के जाते हैं। इनका मानना होता है कि ज़िन्दगी एक बार ही मिलती है। एक दिन सब को बूढ़ा होना है और एक दिन सब को चले जाना है, इसलिए कुछ अच्छा करके जाओ।
ऐसे जातक पूरी दुनिया में एक अलग सी छाप छोड़ जाते हैं, जिसे लोग वर्षो तक याद रखते हैं। जब बात पैसे से संबंधित हो तो यह लोग बहुत ही सोच समझकर इन्वेस्टमेंट करते है। जिससे आप को कई गुना लाभ मिलता है।

कर्क लग्न

लग्न से आठवें भाव में कुंभ राशि: कर्क लग्न के आठवें भाव में कुंभ राशि होती है, जिसके स्वामी शनि देव होते हैं। साहसी स्वभाव के होने के कारण इन जातकों को शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग जैसे जोखिम भरे निवेश करने में आप को मज़ा आता है। इसका आप को लाभ तो मिलेगा लेकिन, इसके साथ ही आपको नुकसान भी उठाना पढ़ सकता है।

सिंह लग्न

आठवें भाव में मीन राशि: सिंह लग्न के आठवें भाव में स्थित मीन राशि के स्वामी बृहस्पति होते हैं। ऐसे व्यक्ति हर छोटी छोटी बात से परेशान हो जाते हैं। हालांकि बिना मतलब की बातों पर चिंता करना मानसिक परेशानी देता है। इसलिए आप को चाहिए की आप मेडिटेशन और योग की प्रैक्टिस करें। ताकि आप इन चीजों से बाहर आ सकें। पैसो से जुड़े मामलों आप रिस्क लेना पसंद नहीं करते। अगर आप को मुनाफा कमाना है, तब रिस्क तो उठाना ही पड़ेगा।

कन्या लग्न

कन्या लग्न के आठवें भाव में स्थित मेष राशि:
कन्या लग्न से आठ घर गिनने पर मेष राशि आती है जिसके स्वामी मंगल हैं। जिन जातकों के आठवें भाव पर मेष राशि का आधिपत्य होता है, ऐसे व्यक्ति अच्छे आर्थिक सलाहकार होते हैं, ऐसे व्यक्ति कामुक विषयों पर खुले विचार रखते हैं। ये व्यक्ति हर वो चीज़ करने के लिए तैयार होते हैं, जिससे इनका प्रेम संबंध गहरा हो। यहां तक कि दोनों का ज्वाइंट अकाउंट भी यह खुद ही संभालते हैं।

तुला लग्न

आठवें भाव में वृषभ राशि: कुंडली में तुला लग्न हो तब आठवें भाव में वृषभ राशि होती है और इसके स्वामी शुक्र होते हैं। ऐसा जातक अपने विवेक से धन कमाने में यकीन रखता है। जातक सावधानी से पोर्टफोलियो चुन कर निवेश करते हैं बदले में अच्छा मुनाफा कमाते हैं। लाभदायक निवेश के आप मास्टर माने जाते हैं और दूसरे आप से सलाह मांगते हैं। हालांकि, माहौल के साथ ढलने में आप को वक्त लगता है, जिसमें आप जल्दबाजी ना कर के कछुआ की चाल की तरह धीरे धीरे अपने आप को ढाल लेते हैं।

वृश्चिक लग्न

आठवें भाव में मिथुन राशि:
मिथुन राशि के स्वामी बुध होते हैं। जब कुंडली के आठवें भाव में मिथुन राशि हो तब जातक बुद्धिमान होता है, और नई चीजें सीखने में उसकी रुचि देखते ही बनती है। चर्चा का कोई भी विषय हो ये उसमे भाग लेने को हमेशा तैयार होते हैं, और दूसरों के साथ डिबेट मे जीतने के लिए आप असंवेदनशील भी हो जाते हैं। आठवें भाव पर मिथुन राशि का प्रभाव होने से व्यक्ति चंचल और बुद्धिमान होता हैं। पैसो से जुड़ें हुए हर मामले में ऐसे जातकों की गहरी रुचि होती है। बजट बनाने में, इन्वेस्ट करने में और बचत करने में यह लोग माहिर होते हैं। विपरीत समय में भी आप पीछे नहीं हटते, और डट कर सामना करते हैं। बुध का प्रभाव आठवें भाव पर होने की वजह से व्यक्ति किसी भी समस्या से लड़ने के लिए अपने शारीरिक बल का प्रयोग ना करते हुए अपने चातुर्य और विवेक से काम लेता है।

धनु लग्न

आठवें भाव पर कर्क राशि का प्रभाव: चंद्रमा की कर्क राशि जब कुंडली के आठवें भाव पर स्थित हो तब ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति पारंपरिक तौर पर संकोची और शर्मीले स्वभाव का होता है। यही कारण है कि ऐसे व्यक्ति अपनी बात अपने तक ही सीमित रखते हैं। जब बात धन संबंधी रिस्क लेने की आती है, तब ऐसे व्यक्ति अपने कदम पीछे खींच लेते है, और थके हारे, घबराए से नज़र आते हैं। जब भी हिम्मत करके इन्होंने किसी पोर्टफोलियो में निवेश किया इन्हे सकारात्मक परिणाम मिले हैं।

मकर लग्न

आठवें भाव में सिंह राशि का प्रभाव: सिंह राशि के स्वामी सूर्य है, जब आठवें भाव में सूर्य की सिंह राशि हो तब आपकी बोली से आपका आत्मसम्मान झलकता है। अगर बात करें धन संबंधी बातों की तो इनसे ज्यादा सीरियस और कोई नहीं होता। आप अपने इन्वेस्टमेंट और ज्वाइंट अकाउंट के मामलों में भी बहुत संवेदनशील हैं। यही कारण है जब बहुत ज्यादा जरूरी होता है तभी आप पैसा खर्च करते हैं अन्यथा नहीं। इन लोगों को कंजूस भी कहा जाता है।

कुंभ लग्न

कन्या राशि का आठवें भाव पर प्रभाव: 
जब कुंडली में लग्न से आठवें भाव पर बुध की कन्या राशि स्थित हो, ऐसे में जातक बड़ी सावधानी से रहता है। परंतु जब किसी खास मौके पर निकलते हैं तब खूब खरीदारी करते हैं। वैसे तो शॉपिंग के लिए आप हमेशा तैयार रहते हैं परंतु, अचानक से प्लान की गई शॉपिंग आप को ज्यादा उत्साहित करती है। इससे पता चलता है, वित्तीय मामलों में आप अपने पार्टनर पर निर्भर रहते हैं, क्योंकि आप में बचत करने की आदत नहीं होती है।

मीन लग्न

तुला राशि का आठवें भाव पर प्रभाव: कुंडली में लग्न से आठवें भाव पर तुला राशि का आधिपत्य होता है, तुला राशि के स्वामी शुक्र होते हैं। इन लोगों को अपनी बातें खुद तक सीमित रखना पसंद होता है, मगर आप उन बातों को तब तक ही निजी रख पाते हैं, जब तक आपको किसी का डर नहीं होता है। जैसे ही आपको डर लगने लगता है, तब आप सभी निजी बातों का खुलासा कर देते हैं। किसी भी प्रकार का इन्वेस्टमेंट करने से पहले आप अपने पार्टनर और विशेषज्ञ की सलाह लेने में विश्वास रखते हैं।


आठवें भाव में स्थित ग्रहों का प्रभाव

सूर्य जब आठवें भाव में स्थित हो

आठवें भाव में स्थित सूर्य जातक के अन्दर शाईन और नई ऊंचाई छूने की तीव्र इच्छा पैदा करता है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों के लिए जातक तैयार रहता है, जातक इन चुनौतियों से लड़ते-लड़ते आक्रामक भी बन जाता है। आपकी हमेशा कोशिश रहती है की सब कुछ आपके कंट्रोल में रहे। हालांकि आप सही समय पर सही बात कहने के लिए उत्सुक रहते हैं।

आठवें भाव में स्थित चन्द्र का प्रभाव

आठवें भाव में स्थित चंद्र आप को क्रिएटिव बनाते हैं। इसमें संशय नहीं है, कि आप के मन में हर समय रचनात्मक विचारों का जमावड़ा लगा रहता है। आप मेहनती हैं परंतु, जहां स्मार्टनेस से काम हो सकता है वहां बेकार की मेहनत क्यों जाया की जाए इसका भी ख्याल आप रखते हैं। ऐसे में अगर चीजे विपरीत भी हो जाती है, तब भी आप शांत रह कर कोई ना कोई रास्ता निकाल लेते हैं, पीछे नहीं हटते।

जब बृहस्पति आठवें भाव में स्थित हो

ऐसे व्यक्ति अत्यंत प्रतिभाशाली होते हैं, जटिल से जटिल समस्या भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती। आप जड़ तक जा कर समस्या का समाधान ढूंढ निकालने में कुशल होते है। इसी के साथ आप रहस्य से जुड़ी विद्याओं में छिपी शक्तियों पर भी यकीन रखते हैं।

आठवें भाव में स्थित शुक्र का फलादेश

सुख के दाता शुक्र के आठवें भाव में स्थित होने से जातक अपने साथी के साथ लग्जुरियस लाइफ जीने की कल्पना करता है। यही कारण है कि अपने साथी की मदद से जातक धनवान होता है और उसके सुख में कोई कमी नहीं आती। आप कैजुअल रिलेशनशिप में रहना पसंद नहीं करते। बल्कि आप का झुकाव मनी और प्रॉपर्टी जुटाने में होता है। जिसका उल्टा असर आप के रिलेशनशिप पर पड़ सकता है और संबंध टूट सकते हैं।

आठवें भाव में मंगल का फलादेश

यहां मंगल व्यक्ति में जोश और उत्साह भर देते हैं, आप की छठी इंद्री काफी मजबूत होती है। आप में अपने आप को दूसरों के सामने प्रेजेंट करने की काबिलियत नही होती। आपके अंदर बहुत ही ज्यादा महत्वाकांक्षा होती है। जब किसी चीज़ पर आप की नजर पड़ जाती है तो आप उसे हासिल कर के ही दम लेते हैं। आप की क्या राय है इसपर यह गुण अच्छा है या नहीं? अनुमान लगाना चाहिते हैं तो लगा सकते हैं?

आठवें में स्थित बुध का फलादेश

सतही ज्ञान पर आप यकीन नहीं करते, आप को चाहिए गहरा और लॉजिक से भरा ज्ञान। हालांकि आप का जिज्ञासु स्वभाव अवश्य आपको उस गहराई तक ले जाएगा। शुक्र ग्रह की कृपा से व्यक्ति आध्यात्मिक और गुप्त शिक्षा का प्रॉफिट भी ले पाते हैं।

आठवें भाव में स्थित शनि का फलादेश

आप का धैर्य, आप की मेहनत किसी काम नहीं आएगी, ना ही आप मनी सेविंग कर पाएंगे। जब तक कर्मफल दाता शनि आप में डिसिप्लिन ना भर दें। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि शनि की वजह से व्यक्ति अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए थक हार कर बैठ जाए। परंतु परिवर्तन के साथ ढल जाना आप के बस की बात नही। जब भी आप अपने कंफर्ट जोन से बाहर जाने का प्रयास करेंगे, आप को बेचैनी सी महसूस होने लगती है।

आठवें भाव में स्थित राहु का फल

आप में सब से हटकर सोचने की क्षमता होती है, इसी में आपकी स्किल आपको सपोर्ट करेगी। आठवें भाव में स्थित राहु आध्यात्मिक पढ़ाई कर रहे, व्यक्ति के लिए लाभदायक होता है। जासूसी जैसे कार्य कर रहे व्यक्ति के लिए आठवें का राहु विशेष मददगार होता है। आप धनवान व्यक्ति की तरफ खींचे चले जाते हैं। संभावना है उन्ही में आप को अपना जीवनसाथी भी मिल जाए।

आठवें का केतु

केतु आठवें भाव में बैठ कर जातक को बहादुर और मेहनती बनाते हैं। यहां केतु आप को रहस्यमय दुनिया से जोड़ता है। विशेषकर ऑकल्ट से जुड़े व्यवसाय करें। आप गेमिंग और खेल जैसे व्यवसाय भी आजमा सकते हैं इसमें भी सफलता अवश्य मिलेगी।
ऐसा नहीं है की आठवां भाव हमेशा बुरे रिजल्ट ही देगा, मगर इसके पीछे कुछ कारण है जिसकी वजह से आठवां भाव बुरे रिजल्ट भी देता है, और वो क्या है आइए पता करे।


क्यों खराब माना जाता है आठवां भाव

आठवें भाव में स्थित कमजोर ग्रह या मारक ग्रह का प्रभाव आयु को कम करता है। इसी के साथ नीच और मारक ग्रह के प्रभाव से जातक में असाध्य और लंबे समय तक चलने वाली बीमारी हो सकती है। आठवें भाव के दुष्प्रभाव से आप का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है। और भी कई कारण हैं जिससे आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। फाइनेंस, कोर्ट केस में फंसना, नियम कानून तोड़ने की सजा यह भी आठवें भाव के दुष्परिणाम की देन है। किसी अनचाही लत के आप शिकार हो जाएं, प्रेम संबंध में दरार आ जाये, ब्रेकअप हो जाए, किसी चाहने वाले की मृत्यु के कारण साथ छूट जाए, इन सब कारणों को आठवा भाव जन्म देता है। और यह किसी व्यक्ति को तबाह करने के लिए काफी है इसीलिए आठवें भाव को दुःख भाव भी कहा जाता है।

आपके आठवें भाव में है कौन सा ग्रह। जाने मुफ़्त जन्मकुंडली के साथ