विष्णु सहस्त्रनाम : जानें इसके 108 श्लोक और उनका महत्व
एक प्राचीन शिलालेख पर संस्कृत में लिखे भगवान विष्णु के नाम विष्णु सहस्त्रनाम के नाम से जाने जाते हैं। विष्णु सहस्त्रनाम जिसका अर्थ है, भगवान विष्णु के एक हजार नाम। भगवान विष्णु को सबसे अधिक पूजनीय माना जाता है। संस्कृत में, “सहस्त्र” शब्द का अर्थ है हजार और “नाम” का अर्थ है नाम। ऐसा कहा गया है कि भगवान विष्णु रक्षक हैं, जो जीवन की रक्षा करते हैं। हिंदू परंपरा के अनुसार, माना जाता है कि मंत्र, स्तोत्र और श्लोकों का पाठ और प्रार्थना करना भगवान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के सबसे आसान तरीकों में से एक है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु सर्वोच्च हैं, ब्रह्मांड के भगवान हैं, जो जीवों और उनकी आत्माओं की रक्षा करते हैं। यह विष्णु सहस्त्रनाम की रचना संस्कृत के विद्वान ऋषि व्यास द्वारा की गई है। इन्होने ही रामायण, महाभारत और भगवद गीता जैसे महाकाव्य भी लिखे हैं।
संपूर्ण ब्रह्मांड पर शासन करने वाले भगवान विष्णु की पूजा करने के वैसे तो कई तरीके हैं। उन में से मंत्रों, स्तोत्रों और श्लोकों द्वारा भक्ति भाव से पाठ करना सबसे असरकारक माना जाता है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि कोई भी हिंदू व्यक्ति अपने पसंदीदा भगवान या इष्ट देवता को चुन कर उनकी पूजा कर सकता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, “त्रिदेव” ब्रह्मा, विष्णु और महेश, जीव की उत्पति, संरक्षण और विघटन के लिए हमेशा खड़े रहते हैं।
तीन देवताओं में से, भगवान विष्णु जीवों के लिए एक ढाल के रूप में कार्य करते हैं, और जीवन के विभिन्न रूपों का समर्थन करने में मदद करते हैं। हालांकि भगवान विष्णु की महिमा को लेकर कई तरह के पवित्र ग्रंथ लिखे गए हैं, पर विष्णु सहस्त्रनाम का सबसे ज्यादा महत्व है।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने के लाभ
यदि व्यक्ति सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करता है, तो उसे जरूर उनकी कृपा प्राप्त होती है। यदि व्यक्ति श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करता हैं। तो उसकी सारी परेशानी दूर होती है। भगवान विष्णु तक हमारी प्रार्थनाएँ हमारी अपेक्षा से अधिक तेज़ी से उन तक पहुँचती हैं। श्री हरि विष्णु के हजार नामों के जाप से सौभाग्य, शांति, सद्भाव और सबसे बढ़कर उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मंत्रों और श्लोकों का पाठ करने से हमारी एकाग्रता बढ़ती है। हमें स्थिर रहने में भी मदद मिलती है। यदि हम मन्त्र और श्लोक के प्रत्येक शब्द का सही ढंग से उच्चारण करते हैं, तो इन शब्दों की एनर्जी एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती है, जिसे आप अपने आंतरिक रूप से महसूस कर सकते हैं। मंत्रों और श्लोकों के पाठ से प्रवाहित होने वाली ऊर्जा, हमारे शरीर की प्रत्येक छोटी कोशिका को सक्रिय करती है, और हमारी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाती है।
स्वस्थ शरीर और स्फूर्तिदायक दिमाग जिन्दगी के लिए बहुत आवश्यक है। यह हमें तनाव और बीमारी से बचने के लिए अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सेहतमंद बनाए रखने में मदद करता है। रोज विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ पढ़ने या सुनने से हमें ये दोनों चीजे प्राप्त होती है।
नियमित रूप से भगवान विष्णु के नामों को लेते रहने से हमारा चित्त को स्थिर और शांत रखने में मदद मिलती है। दैवीय शक्तियां मनुष्य से अधिक शक्तिशाली और सर्वोच्च हैं, यह इस तथ्य को स्वीकार करने से हमारे अन्दर कृतज्ञता की भावना पैदा होती है।
हिंदू मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है की श्री हरि विष्णु के भक्त अपनी मृत्यु के बाद विष्णु के पवित्र निवास वैकुंठ में जाकर मोक्ष प्राप्त करते हैं।
विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ने का सही समय
किसी भी प्रकार की पूजा के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी सुबह के समय सबसे अच्छा होता है। आप सुबह स्नान करने के बाद इस स्तोत्र को पढ़ सकते हैं। आप शाम को 5 से 7 बजे के बीच में भी इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। यदि आप रात को सोने से पहले भी इस स्तोत्र का पाठ करते हैं तो भी लाभ होता है।
विष्णु स्तोत्र का पाठ करते समय वैसे तो आप किसी भी रंग के कपड़े पहन सकते हैं, लेकिन हिंदू संस्कृति के अनुसार पीले रंग के कपड़े पहनना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि पीला रंग भगवान विष्णु का पसंदीदा रंग है। विष्णु जी की जप या पूजा करते समय लकड़ी के आसन पर बैठना लाभकारी होता है।
विष्णु स्तोत्र या पूजा में मंत्र का जाप करते समय मंदिर या पूजा स्थान पर जल से भरा कलश रखना चाहिए। आप प्रसाद के रूप में फल, सूखे मेवे, मिठाई या कोई अन्य पीली मिठाई भी चढ़ा सकते हैं। स्त्रोत पढ़ने के बाद आप परिवार के सदस्यों के बीच प्रसाद बांटें।
विष्णु सहस्त्रनाम में 108 श्लोक हैं। यदि आपको पढ़ने में मुश्किल हो, तो आप इसे सुनकर भी लाभ उठा सकते हैं।
विष्णु पूजा
हिंदू परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु धरती के संचालन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से एक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है।
पुराणों के अनुसार एक व्यक्ति से जब भगवान विष्णु की पूजा की तो, धन की देवी माँ लक्ष्मी प्रसन्न हो गई, उसके परिवार में धन की कमी नहीं होती है। इसके अलावा, उस व्यक्ति को धन, प्रसिद्धि और सम्मान भी मिला। धर्म ग्रंथों में माँ लक्ष्मी को भगवान विष्णु की पत्नी माना गया है।
विष्णु पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में विष्णु पूजा का बहुत महत्व है। भगवान विष्णु की पूजा के लिए गुरुवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। विष्णु जी की पूजा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जीवन से बाधाओं को दूर करने की शक्ति मिलती है।
- भगवान विष्णु को पूरे ब्रह्मांड का रक्षक माना जाता हैं।
- भगवान विष्णु की पूजा करने से वे अपने भक्तों के जीवन की रक्षा करते हैं।
- भगवान विष्णु ने मानवता को बचाने के लिए कई अवतार लिए हैं।
- पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
विष्णु पूजा के लाभ
जब व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, तो उनका जीवन अधिक सामंजस्यपूर्ण होता है। नौकरी और बिज़नस में भी उसे अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। अपनी जिन्दगी की सभी बाधाओं को दूर करने की ताकत मिलती है। व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के पिछले जन्मों के बुरे प्रभाव को भी कम करता है। आपको जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य प्राप्त होता है।
विष्णु पूजा के लिए सामग्री
विष्णु पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची निम्नलिखित है:
पूजा सामग्री
- विष्णु भगवान की मूर्ति
- अगरबत्तियां
- दीपक
- आम के पत्ते
- हल्दी
- गंगाजल
- अक्षत
- कुमकुम
- घी
प्रसाद के लिए
- फल
- मिठाइयाँ
- नारियल
- पान सुपारी
- शहद, चीनी, दूध, घी और दही (पंचामृत के लिए)
- पुष्प
- कपूर और अन्य पूजा सामग्री
विष्णु पूजा विधि
यदि आप घर पर विष्णु भगवान की पूजा कर रहे हैं, तो नीचे दी गई विष्णु पूजा करने की विधि पर एक नजर डाले, उसी के अनुसार पूजा करें :
भगवान विष्णु की पूजा शुरू करने के लिए उस दिन व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इस दिन लोगों को व्रत भी रखना चाहिए।
- विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु मंत्र का 108 बार जाप करें।
- आप “ॐ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः” का पाठ भी कर सकते हैं।
- चौकी पर आसन बिछाकर उसके ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो रखें। आसन अर्पित करते समय बीज मंत्र “ओम नमो नारायणाय” का पाठ करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से धोकर आसन पर रखें।
- अगरबत्ती और दीपक जलाएं, और भगवान को अर्पित करते समय भगवान के 108 नामों का आह्वान करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं। जरूरतमंद लोगों को प्रसाद और कपड़े दान करें।
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विष्णु जी के 108 नाम
1) ऊँ श्री विष्णवे नम:
2) ऊँ श्री परमात्मने नम:
3) ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:
4) ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नम:
5) ऊँ श्री केशवाय नम:
6) ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:
7) ऊँ श्री ईश्वराय नम:
8) ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:
9) ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:
10) ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम:
11) ऊँ श्री कृष्णाय नम:
12) ऊँ श्री प्रजापतये नम:
13) ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम:
14) ऊँ श्री सुरेशाय नम:
15) ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नम:
16) ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:
17) ऊँ श्री अच्युताय नम:
18) ऊँ श्री वासुदेवाय नम:
19) ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नम:
20) ऊँ श्री नर-नारायणा नम:
21) ऊँ श्री जनार्दनाय नम:
22) ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
23) ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:
24) ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नम:
25) ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
26) ऊँ श्री माधवाय नम:
27) ऊँ श्री महाबलाय नम:
28) ऊँ श्री गोविन्दाय नम:
29) ऊँ श्री प्रजापतये नम:
30) ऊँ श्री विश्वातमने नम:
31) ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नम:
32) ऊँ श्री नारायणाय नम:
33) ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नम:
34) ऊँ श्री महेन्द्राय नम:
35) ऊँ श्री वामनाय नम:
36) ऊँ श्री अनन्तजिते नम:
37) ऊँ श्री महीधराय नम:
38) ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
39) ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नम:
40) ऊँ श्री दामोदराय नम:
41) ऊँ श्री कमलापतये नम:
42) ऊँ श्री परमेश्वराय नम:
43) ऊँ श्री धनेश्वराय नम:
44) ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:
45) ऊँ श्री आनन्दाय नम:
46) ऊँ श्री सत्यधर्माय नम:
47) ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
48) ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:
49) ऊँ श्री भगवते नम:
50) ऊँ श्री शान्तिदाय नम:
51) ऊँ श्री गोपतये नम:
52) ऊँ श्री श्रीपतये नम:
53) ऊँ श्री श्रीहरये नम:
54) ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नम:
55) ऊँ श्री कपिलेश्वराय नम:
56) ऊँ श्री वाराहय नम:
57) ऊँ श्री नरसिंहाय नम:
58) ऊँ श्री रामाय नम:
59) ऊँ श्री हयग्रीवाय नम:
60) ऊँ श्री शोकनाशनाय नम:
61) ऊँ श्री विशुद्धात्मने नम:
62) ऊँ श्री केश्वाय नम:
63) ऊँ श्री धनंजाय नम:
64) ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नम:
65) ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नम:
66) ऊँ श्री लोकनाथाय नम:
67) ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नम:
68) ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:
69) ऊँ श्री एकपदे नम:
70) ऊँ श्री सुलोचनाय नम:
71) ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नम:
72) ऊँ श्री सप्तवाहनाय नम:
73) ऊँ श्री वंशवर्धनाय नम:
74) ऊँ श्री योगिनेय नम:
75) ऊँ श्री धनुर्धराय नम:
76) ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
77) ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
78) ऊँ श्री अक्रूराय नम:
79) ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नम:
80) ऊँ श्री भूभवे नम:
81) ऊँ श्री प्राणदाय नम:
82) ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:
83) ऊँ श्री शंख भृते नम:
84) ऊँ श्री सुरेशाय नम:
85) ऊँ श्री कमलनयनाय नम:
86) ऊँ श्री जगतगुरूवे नम:
87) ऊँ श्री सनातन नम:
88) ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नम:
89) ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:
90) ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नम:
91) ऊँ श्री दयानिधि नम:
92) ऊँ श्री एकातम्ने नम:
93) ऊँ श्री शत्रुजिते नम:
94) ऊँ श्री घनश्यामाय नम:
95) ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
96) ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नम:
97) ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नम:
98) ऊँ श्री विराटपुरुषाय नम:
99) ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नम:
100) ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम:
101) ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
102) ऊँ श्री प्रभवे नम:
103) ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:
104) ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नम:
105) ऊँ श्री वामनाय नम:
106) ऊँ श्री हंसाय नम:
107) ऊँ श्री वयासाय नम:
108) ऊँ श्री प्रकटाय नम:
विष्णु पूजन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- खाना खाने के बाद पूजा न करें। पूरे दिन उपवास रखें और पूजा करें।
- किसी से उधार लिए फूल देवताओं को नहीं चढ़ाने चाहिए।
- किसी मंदिर या अपने घर के मंदिर में जाते समय, आपको हमेशा पहले अपने पैर धोना चाहिए।
- घर में विष्णु पूजा करते समय किसी भी चीज को खाना और चबाना नहीं चाहिए।
- किसी भी डर को दूर करने, स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लें।
- आप इस पूजा को करके कई लाभ प्राप्त कर सकते हैं, और विभिन्न कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं।